शंभू बॉर्डर पर किसानों पर आंसू गैस , रबर की गोलियां चलाईं, AIKS ने इस दमन की निंदा की
अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) ने शंभू बॉर्डर और अन्य स्थानों पर दिल्ली मार्च कर रहे किसानों पर किए गए हिंसक दमन की निंदा की है। AIKS ने कहा कि आंसू गैस फेंकने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल, कंक्रीट की बैरिकेडिंग, रबर की गोलियां, सड़कों पर बड़ी-बड़ी लोहे की कीलें और किसानों और नेताओं की अंधाधुंध गिरफ्तारियां नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के बर्बर चेहरे को उजागर करती हैं। किसानों पर आंसू गैस छोड़ने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हमारे देश के किसानों के प्रति इस भाजपा सरकार के अत्यधिक प्रतिशोध को दर्शाता है। एआईकेएस ने भाजपा सरकार को विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार पर ऐसे हमलों से बाज आने की चेतावनी दी है। एआईकेएस ऐसे दमनकारी उपायों का विरोध करने के लिए सभी लोकतांत्रिक ताकतों के साथ-साथ संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के साथ एकता में शामिल होगा। एआईकेएस सभी गिरफ्तार नेताओं की रिहाई और दमन बंद करने की मांग करता है।
AIKS ने अपनी सभी इकाइयों से 16 फरवरी को देश भर में किसानों और श्रमिकों के साथ-साथ सभी लोकतांत्रिक वर्गों को एकजुट करने के प्रयासों को दोगुना करने का आह्वान किया है। किसान सभा ने आगे कहा कि किसानों और श्रमिकों का लगातार विरोध प्रदर्शन नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार द्वारा बार-बार किए गए विश्वासघात का परिणाम है। किसानों पर हिंसा करने का भाजपा सरकार का कदम हताशा का संकेत है। यह स्पष्ट संकेत है कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के उनके विभाजनकारी प्रयासों को हमारे देश के किसानों, श्रमिकों और जनता द्वारा अस्वीकार किया जा रहा है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और नफरत अभियान के माध्यम से लोगों की समस्याओं और आजीविका के मुद्दों, बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी से ध्यान हटाने के इसके प्रयास स्पष्ट रूप से विफल हो रहे हैं। यह लोगों की एकता से डरने की भावना है कि वे इस तरह से प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
#WATCH | Haryana: Concrete slabs, iron nails, barricades, barbed wires, police and paramilitary personnel deployed in Haryana's Jind as a measure to maintain law and order in view of farmers 'Delhi Chalo' march pic.twitter.com/GNFrVaoxIy
— ANI (@ANI) February 13, 2024
AIKS यह बताना चाहता है कि सरकार की अच्छी छवि बनाने के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च करने वाले कॉर्पोरेट मीडिया का उपयोग करने के उनके प्रयास अब लोगों को धोखा नहीं दे सकते। वे जानते हैं कि मोदी की हर गारंटी एक दिखावा है और भाजपा सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है। AIKS समाज के सभी वर्गों से हमारे अधिकारों के लिए आगे आने, कॉर्पोरेट लूट का विरोध करने, सांप्रदायिक जहर और लोकतंत्र के साथ-साथ भारतीय संविधान पर हमलों का विरोध करने का आह्वान करता है। यह भारत को बचाने का संघर्ष है। साथ ही AIKS ने अपील की कि आइए हम सब एकजुट होकर लड़ें; आइए हम 16 फरवरी और आगामी संसदीय चुनावों में इस सरकार को करारा झटका दें।
बता दें कि पंजाब से सटा हरियाणा का शंभू बॉर्डर मंगलवार को युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया। एक तरफ किसान हैं तो दूसरी तरफ पुलिस के जवान और दोनों तरफ से भयंकर लड़ाई और खींचतान जारी रही। किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए शंभू बॉर्डर पर लगाए गए मोटे-मोटे सीमेंट वाले बैरिकेड्स जब काम नहीं कर पाए तो पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले और रबर की बुलेट छोड़नी शुरू कर दी। जिसका नतीजा यह रहा कि पूरा इलाका धुंए से भर गया।
यह सिलसिला यहीं नहीं थमा बाकायदा ड्रोन के जरिये किसानों को लक्षित कर आंसू गैस के गोले छोड़े जाने लगे। लेकिन पुलिस प्रशासन की इन सारी कार्रवाइयों का किसानों के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा। वे बैरिकेड्स तोड़ रहे हैं और अलग-अलग रास्तों से दिल्ली की ओर बढ़ते रहे। इस बीच आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ऐलान कर दिया कि अगर केंद्र में उनकी सरकार बनती है तो वह एमएस स्वामीनाथन के फार्मूले के तहत किसानों को एमएसपी की गारंटी करेगी।
यह सिलसिला यहीं नहीं थमा बाकायदा ड्रोन के जरिये किसानों को लक्षित कर आंसू गैस के गोले छोड़े जाने लगे। लेकिन पुलिस प्रशासन की इन सारी कार्रवाइयों का किसानों के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा। वे बैरिकेड्स तोड़ रहे हैं और अलग-अलग रास्तों से दिल्ली की ओर बढ़ते रहे। इस बीच आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ऐलान कर दिया कि अगर केंद्र में उनकी सरकार बनती है तो वह एमएस स्वामीनाथन के फार्मूले के तहत किसानों को एमएसपी की गारंटी करेगी।
शंभू बॉर्डर असल में पंजाब और हरियाणा का बॉर्डर है, जो दिल्ली से 215 किमी की दूरी पर है। इसका अर्थ है कि पंजाब से बड़ी संख्या में आ रहे किसानों को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने अंबाला शहर से पहले ही बेहद तगड़ा इंतजाम किया हुआ है।
13 फरवरी के दिन 9 राज्यों के 200 किसान संगठनों का दिल्ली चलो के आह्वान पर कल अचानक से केंद्र सरकार मेहरबान हो गयी थी, और उसकी ओर से 3-3 केंद्रीय मंत्रियों को कल शाम चंडीगढ़ में किसान नेताओं के साथ वार्ता की मेज पर देखा गया था। इस वार्ता में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल थे। वार्ता बेनतीजा रही, लेकिन केंद्र सरकार की तैयारियों का सिलसिला तो पिछले एक सप्ताह से जारी था।
इस बारे में किसान नेताओं का कहना था कि इन मुद्दों पर हमें सिर्फ आश्वासन दिया गया, उनकी ओर से कोई ठोस प्रपोजल नहीं था। हम इन कोरे आश्वासन को नहीं स्वीकारते। कल सुबह 10 बजे शंभू बॉर्डर, ख़नौरी बॉर्डर और डबवाली बॉर्डर पर इकट्ठा होने की अपील है, जहाँ से इकट्ठा होकर किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
3 दिन पहले ही हरियाणा के गाँवों में पुलिस प्रशासन के द्वारा घूम-घूमकर ऐलान किया जा रहा था कि कोई भी किसान अपने ट्रैक्टर के साथ दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने की हिमाकत न करे, वरना उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ-साथ पासपोर्ट तक जब्त कर लिया जायेगा। दूसरी तरफ दिल्ली की हर तरफ की सीमाओं पर इस बार जैसी बाड़ेबंदी का इंतजाम किया गया है, वैसा शायद ही आजाद भारत में कभी देखने को मिला हो। कुछ अखबारों ने तो यह तक लिखा है कि ऐसी बाड़ तो पाकिस्तान या चीन के साथ भी सीमा पर भी नहीं लगाई गई है, जैसा केंद्र की मोदी सरकार ने देश के किसानों के खिलाफ लगाई है।
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