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उरुग्वे आम चुनावों की तैयारी में जुट गया है

उरुग्वे में हुए हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार, आने वाले आम चुनावों में राष्ट्रपति पद के लिए दक्षिणपंथी और मध्यमार्गी और वामपंथी दल बराबर की दौड़ में हैं।
Uruguay elections
ब्रॉड फ्रंट गठबंधन के उम्मीदवार यामांडू ओरसी की रैली का नज़ारा (फोटो: @Frente_Amplio via X)

अगले रविवार, 27 अक्टूबर को उरुग्वे की जनता अपने राष्ट्रपति और सांसदों का चुनाव करेगी। फिलहाल, किसी भी राजनीतिक दल के बीच मतों का इतना बड़ा अंतर नहीं नज़र आ रहा है कि वह चुनाव के पहले दौर में स्पष्ट जीत का संकेत का दावा कर सके। दो राजनीतिक गठबंधन आमने सामने हैं जिसमें एक दक्षिणपंथी और दूसरा मध्यमार्गी-वामपंथी गठबंधन है, जो संभवतः सबसे अधिक वोट हासिल कर पाएंगे।

दक्षिणपंथियों का संभावित गठबंधन

एक तरफ, कई दक्षिणपंथी पार्टियों (नेशनल पार्टी, कोलोराडो पार्टी, ओपन काउंसिल और इंडिपेंडेंट पार्टी) का गठबंधन है, जो हालांकि पहले दौर में अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे, लेकिन वे साथ ही दूसरे दौर में जो भी उम्मीदवार राष्ट्रपति पद के लिए सबसे ज़्यादा वोट लेगा सभी उसका समर्थन करेंगे। नवीनतम सर्वेक्षणों के अनुसार, लग ऐसा रहा है कि दक्षिणपंथी उम्मीदवार नेशनल पार्टी (पीएन) के पशु चिकित्सक अल्वारो डेलगाडो होंगे।

संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति को फिर से तुरंत नहीं चुना जा सकता है, इसलिए वर्तमान राष्ट्रपति लुइस लैकेले पो ने जो खुद के विश्वासपात्र डेलगाडो को जिताने का फैसला किया (डेलगाडो तीन साल से अधिक समय तक उनकी सरकार के राष्ट्रपति पद के सचिव रहे थे)। लैकेले पो की सरकार की विशेषता उदारवाद और नवउदारवाद का एक घरेलू नुस्खा है, और उनकी विदेश नीति में दुनिया की प्रगतिशील और वामपंथी सरकारों के खिलाफ बयानबाजी होती रही है।

ब्रॉड फ्रंट का खेल

दूसरी ओर, ऐसा लगता है कि इतिहास के प्रोफेसर यामांडू ओरसी भी दूसरे दौर में बढ़त लेंगे। ओरसी पॉपुलर पार्टिसिपेशन मूवमेंट (एमपीपी) के सदस्य हैं, जो ब्रॉड फ्रंट (फ्रेंटे एम्प्लियो) नामक मध्यमार्गी और वामपंथी दलों के एक बड़े गठबंधन का हिस्सा है। इस गठबंधन में साम्यवाद से लेकर ईसाई लोकतंत्र तक के बहुत ही विविध राजनीतिक रुख वाले दल शामिल हैं। इसने मध्यमार्गी-वाम गठबंधन को सरकारी योजना के विस्तार के लिए न्यूनतम समझौतों पर पहुंचने के लिए मजबूर किया है, जो महत्वपूर्ण आंतरिक विवादों से घिरा है।

एफए ने 2004 और 2014 के बीच लगातार तीन राष्ट्रपति पद पर जीत हासिल की थी (तबरे वाज़क्वेज़, जोस मुजिका, और फिर से वाज़क्वेज़)। उनके प्रशासन की विशेषता कल्याणकारी नीतियों की ओर झुकाव रखने वाली थीं साथ ही सोश्ल डेमोक्रेटिक सार्वजनिक नीतियों को लागू करने की थी।

सर्वेक्षण क्या कहते हैं?

चुनाव से दो सप्ताह से भी कम समय पहले, पोलिंग फर्म फैक्टम का पूर्वानुमान है कि एफए के ओरसी को 44 फीसदी वोट मिलेंगे, जबकि पीएन के डेलगाडो मुश्किल से 24 फीसदी तक पहुंच पाएंगे। दूसरी ओर, पोलस्टर ऐतिहासिक दक्षिणपंथी पार्टी, कोलोराडो पार्टी को तीसरे स्थान पर रख रहा है, जिसका नेतृत्व युवा वकील एंड्रेस ओजेडा कर रहे हैं, जिसके पास 17 फीसदी वोट शेयर जा सकता है। कुछ विशेषज्ञों की चेतावनी दी है कि ओजेडा जब दूसरे दौर में दक्षिणपंथी उम्मीदवार के रूप में उतरेंगे तो वे नेशनल पार्टी को आश्चर्यचकित रूप से पीछे छोड़ सकते हैं। चौथे स्थान पर दक्षिणपंथी दल कैबिल्डो एबिएर्टो हैं, जिनके पास 4 फीसदी ही मत हैं, और स्वतंत्र पार्टी, जिसके पास 3 फीसदी मत हैं।

फैक्टम पोल सेंटर-लेफ्ट गठबंधन के लिए अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि काल्पनिक दूसरे दौर में, अगर वे सरकार बनाने के लिए गठबंधन बनाते हैं तो दक्षिणपंथी अपने वोट शेयर को बढ़ा सकते हैं (कुछ ऐसा जो लैकेल पो के मामले में पहले ही हो चुका है)। दूसरे शब्दों में, 48 फीसदी मत दक्षिणपंथी उम्मीदवार को मिलेंगे, जबकि 44 फीसदी मत सेंटर-लेफ्ट गठबंधन को मिलेंगे। यह खासतौर पर इसलिए भी महत्वपूर्ण है यदि कोई संसद की भविष्य की संरचना को ध्यान में रखता है, जिसमें, इस पोल के अनुसार, दक्षिणपंथी के पास अधिकांश सीटें होंगी।

किसी भी मामले में, संभावित राष्ट्रपति पद का चुनाव कोई सरल गणित के रूप में काम नहीं करता है। इसलिए, उरुग्वे के दो प्रमुख राजनीतिक रुझान पहले से ही दूसरे दौर में जाने को तैयार हैं और इसलिए उरुग्वे के प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पद को हासिल करने के लिए आवश्यक वोटों को जोड़ने के लिए संभावित गठबंधन और रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि उरुग्वे के नए राष्ट्रपति को बढ़ती असुरक्षा और आर्थिक असमानता जैसी गंभीर सामाजिक चुनौतियों के चलते एक जुझारू विपक्ष का सामना करना पड़ेगा, जो नीतियां सबसे गरीब दक्षिण अमेरिकी देशों पर हावी हैं।

ाभार: पीपल्स डिस्पैच

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