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उत्तराखंड : सिलक्यारा सुरंग में हाथ से ड्रिलिंग जारी, बचावकर्मी 50 मीटर से आगे पहुंचे

निर्माणाधीन सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में अब शेष रह गए 10 मीटर मलबे में खुदाई कर रास्ता बनाने के लिए 12 'रैट होल माइनिंग' विशेषज्ञों को लगाया गया है।
Uttarakhand
फ़ोटो : PTI

सिलक्यारा सुरंग में बचावकर्मियों ने 50 मीटर की दूरी को पार कर लिया है और पिछले 16 दिन से अंदर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 'रैट होल माइनिंग' तकनीक से की जा रही ड्रिलिंग के जरिए अब मलबे में केवल 10 मीटर का रास्ता साफ करना शेष रह गया है।

अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में अब शेष रह गए 10 मीटर मलबे में खुदाई कर रास्ता बनाने के लिए 12 'रैट होल माइनिंग' विशेषज्ञों को लगाया गया है।

इससे पहले, एक भारी और शक्तिशाली 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन से सुरंग में क्षैतिज ड्रिलिंग की जा रही थी लेकिन शुक्रवार को उसके कई हिस्से मलबे में फंसने के कारण काम में व्यवधान आ गया। लेकिन इससे पहले उसने मलबे के 47 मीटर अंदर तक ड्रिलिंग कर दी थी।

लार्सन एंड टूब्रो टीम का नेतृत्व कर रहे क्रिस क्रूपर ने मंगलवार को 'पीटीआई भाषा' को बताया, ‘‘हमने सुरंग में 50 मीटर की दूरी को पार कर लिया है।’’ इसी के साथ ही मजदूरों के जल्द बाहर निकलने की उम्मीदें भी बढ़ गयी हैं क्योंकि अब मलबे में केवल 10 मीटर की ही खुदाई शेष है।

हालांकि, अभियान की गति मौसम और मलबा साफ करने के रास्ते में आने वाली अड़चनों पर भी निर्भर करती है। पहले भी अभियान के रास्ते में कई अवरोध आते रहे हैं।

श्रमिकों की एक कुशल टीम 'रैट होल माइनिंग' तकनीक के जरिए हाथ से मलबा साफ कर रही है जबकि उसमें 800 मिमी के पाइप डालने का काम ऑगर मशीन से लिया जा रहा है।

मलबे में आ रही बाधाओं को काटकर हटाने के काम में लगे प्रवीण यादव ने बताया कि सुरंग में 51 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है।

ऑगर मशीन की सहायता से मलबे में पाइप डालने का काम कर रहे ट्रेंचलैस कंपनी के एक श्रमिक ने बताया कि अगर कोई अड़चन नहीं आयी तो शाम तक कोई अच्छी खबर मिल सकती है।

रैट होल माइनिंग एक विवादास्पद और खतरनाक प्रक्रिया है जिनमें छोटे—छोटे समूहों में खननकर्मी नीचे तंग गड्ढों में जाकर थोड़ी थोड़ी मात्रा में कोयला खोदने के लिए जाते हैं।

बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने स्पष्ट किया कि मौके पर पहुंचे व्यक्ति 'रैट होल' खननकर्मी नहीं है बल्कि ये लोग इस तकनीक में माहिर लोग हैं।

उनके अनुसार, इन लोगों को दो या तीन लोगों की टीम में विभाजित किया जाएगा। प्रत्येक टीम संक्षिप्त अवधि के लिए ‘एस्केप पैसेज’ में बिछाए गए स्टील पाइप में जाएगी।

'रैट होल' ड्रिलिंग तकनीक के विशेषज्ञ राजपूत राय ने बताया कि इस दौरान एक व्यक्ति ड्रिलिंग करेगा, दूसरा मलबे को इकटठा करेगा और तीसरा मलबे को बाहर निकालने के लिए उसे ट्रॉली पर रखेगा।

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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