बजट 2022: क्या मिला चुनावी राज्यों को, क्यों खुश नहीं हैं आम जन
‘बीते पांच साल तो कुछ नहीं हुआ, चुनाव आने वाले हैं, अब हो सकता है सरकार हमारे प्रदेश को कुछ खास दे दे’... वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण से पहले यूपी समेत पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा की जनता शायद यही सोच रही होगी, लेकिन जब वित्त मंत्री ने आम बजट पेश किया तो कांग्रेस सांसद शशि थरूर की बात याद आ गई- कि ये आम बजट ‘गीला पटाखा’ निकला।
योगी ने किया बजट का स्वागत
बजट पेश होने के बाद जहां आम आदमी ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा था, वहीं भाजपा सरकार के तमाम मंत्री समेत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बखान करते नहीं थक रहे थे। योगी कह रहे थे कि, बजट में हर तबके का ध्यान रखा गया है, उन्होंने बजट का स्वागत करते हुए कहा कि ये किसानों, महिलाओं, युवाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया बजट है और बजट किसानों की आय बढ़ाने वाला साबित होगा।
योगी को चुनाव में फायदा करेगा ये बजट?
अब योगी ऐसा क्यों कह रहे हैं, इसकी भी एक खास वजह है। दरअसल वित्त मंत्री ने भले ही डॉयरेक्ट उत्तर प्रदेश के लिए कुछ घोषणा नहीं की हो लेकिन किसानों को मनाने के लिए 39.45 लाख में एक हिस्सा किसानों के लिए निकाला गया है, और चुनावों से पहले किसानों को मनाने के लिए भाजपा का ये आखिरी दांव भी कहा जा सकता है। किसानों के लिए क्या खास है:
· किसानों के खातों में 2.37 लाख करोड़ रुपये की एमएसपी सीधे ट्रांसफर की जाएगी।
· आने वाले दिनों में केमिकल फ्री नेचुरल फार्मिंग को प्रमोट किया जाएगा। पहले चरण में गंगा किनारे की किसानों की जमीन 5 किलोमीटर के कॉरिडोर को पहले चरण में चुना जाएगा।
· ऑयल सीड का आयात घटाने की दिशा में काम करते हुए घरेलू प्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जाएगा।
· वित्त मंत्री ने किसानों तक तकनीक पहुंचाने की दिशा में भी काम करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पीपीपी मॉडल के तहत स्कीम लाई जाएंगी, जिससे किसानों तक डिजिटल और हाईटेक तकनीक पहुंचाई जाएगी।
· यहां तक कि किसानों की खेती के असेसमेंट के लिए ड्रोन टेक्नोलॉजी की मदद ली जाएगी। साथ ही ड्रोन के जरिए 6- न्यूट्रिएंट और कीटनाशक के छिड़काव को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
· निर्मला सीतारमण ने कहा कि राज्यों को एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटीज को रिवाइव करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
· साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।
· नाबार्ड के जरिए एग्रिकल्चर से जुड़े स्टार्टअप और रूरल एंटरप्राइज को फाइनेंस किया जाएगा, जो खेती से जुड़े होंगे।
· किसानों को फल और सब्जियों की सही वैरायटी इस्तेमाल करने के लिए सरकार कंप्रेहेंसिव पैकेज देगी, जिसमें राज्यों की भी भागीदारी होगी।
जबसे किसान आंदोलन खत्म हुआ है, तभी से भाजपा किसानों को किसी भी तरह मनाने की जुगत में लगी हैं, लेकिन हर बार इसे बैकफुट पर जाना पड़ता है। 403 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में चुनावों की शुरुआत पश्चिमी यूपी से होने वाली है, जो किसान बाहुल्य माना जाता है। उसपर भी बड़े किसान नेता रहे चौधरी अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी ने किसानों के साथ ताल ठोक रखी हैं। जो भाजपा की किसी भी राजनीति को कामयाब नहीं होने दे रहा है। दूसरी ओर सड़कों पर पड़े रहकर हर मौसम की मार झेल चुका किसान भी भाजपा को अच्छी तरह से समझ चुका है, यही कारण है कि अब 2.37 लाख करोड़ जैसी बातों से उसे कोई दिलासा नहीं मिल रही है।
वहीं योगी आदित्यनाथ इस बजट की तारीफ इसलिए भी कर रहे हैं। क्योंकि कॉरिडोर के लिए गंगा किनारे जमीन वाले किसानों चुना गया है। दरअसल पूरे पांच साल योगी आदित्यनाथ के लिए ये चुनौती रहा है, लेकिन अभी इससे निजात नहीं है, हर बार बाढ़ के वक्त, या जब भी गंगा में पानी छोड़ा जाता है, किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। अब बजट में इन किसानों के लिए नेचुरल फार्मिंग और कॉरिडोर की बात कही गई है, यही कारण है कि योगी आदित्यनाथ किसानों को सब कुछ ठीक होने का विश्वास दिलाकर फिर से सत्ता में आना चाहते हैं।
बेतवा नदी के लिए खुला खजाना
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के आम बजट में केन-बेतवा नदी को जोड़ने वाली परियोजना के लिए भी खजाने का मुंह खोला है, उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए 44,605 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की है, इस परियोजना से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। परियोजना के पूरा होने से 62 लाख लोगों को शुद्ध पेयजल की सुविधा मिल सकेगी। इससे बुंदेलखंड क्षेत्र को काफी लाभ मिलने की उम्मीद है।
उत्तर प्रदेश समेत बाकी चुनावी राज्यों की समस्याएं भी लगभग एक सी हैं, यही कारण है कि सीधे तौर पर घोषणाएं न करते हिए सामूहिक तरीके से मतदाताओं को साधने की कोशिश की गई है।
‘उम्मीदों पर खरा नहीं बजट’
समाजवादी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, ‘बहुत ही निराशाजनक है, मुझे उम्मीद थी कि चुनाव को देखते हुए कुछ यूपी को दे दें, लेकिन तब भी नहीं दिया... बड़े लोगों को दिया है, जिन घरानों की महिलाएं डायमंड के गहने पहनती हैं, उनको दिया। हम लोग मीडियम क्लास के लोग हैं, मिडिल क्लास के, कोई छूट नहीं दी. लंबी बातें कर दीं।
विपक्षी नेताओं का भी यही कहना है कि चुनावी राज्यों में तो खास कर ही देना चाहिए था, हालांकि इससे पहले भी देखा गया है कि:
· साल 2021 में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल में अप्रैल-मई में चुनाव हुए थे।
· उससे पहले जब फरवरी 2021 में बजट पेश हुआ तो इन राज्यों के लिए कई एलान थे।
· जैसे बंगाल और असम के चाय बागान वर्करों के लिए बजट में एक हजार करोड़ रुपये।
· केरल में हाईवे के लिए 65 हजार करोड़, तमिलनाडु में कई इकोनॉमिक कॉरिडोर का एलान हुआ था।
· इसी तरह से साल 2017 में जब यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव हुए थे, तो सरकार ने बजट में 10 लाख करोड़ रुपये किसानों के कर्ज के लिए रखे थे।
लेकिन इस बार चुनावी बजट नहीं
· सरकार ने बजट में लोकलुभावन घोषणाएं नहीं कीं
· आम लोगों को सीधे फायदे देने वाली घोषणा नहीं थी
· आयकर दाताओं के लिए कोई बदलाव नहीं था
· मध्यम वर्ग के लिए कोई सीधी घोषणा नहीं थी
· किसानों की कर्जमाफी जैसी कोई घोषणा नहीं थी
ऋण मुक्त कर्ज से मान जाएगा पंजाब?
उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब चुनाव भी चर्चा का विषय बना हुआ है, हालांकि किसान आंदोलन के बाद से भाजपा ने पंजाब से दूरी बना ली है, जिसका बड़ा कारण पंजाब में किसी भी भाजपा नेता का हर वक्त विरोध होते रहना है। पंजाब के लिहाज से अगर बजट को देखा जाए तो वित्त मंत्री ने किसानों को अगले 50 सालों तक ऋण मुक्त ब्याज़ देने की घोषणा की है। हालांकि सरकार के द्वारा 50 साल का विज़न सेट करना किसानों को और विपक्षियों को कुछ जम नहीं रहा है।
ख़ैर अगर निर्मला सीतारमण की इस बात पर अमल कर लिया जाए तो पंजाब को इससे फायदा ज़रूर होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,
पंजाब पर इस समय 2.73 लाख करोड़ रुपये का ऋण है, जो निश्चित तौर पर अगले वित्तीय वर्ष में और बढ़ जाएगा। क्योंकि इसमें एक प्रतिशत अतिरिक्त ऋण राशि भी शामिल हो जाएगी। ऋण के कारण पंजाब सरकार को 20315 करोड़ रुपये केवल ब्याज के रूप में ही खर्च करने पड़ते हैं। यह रकम पंजाब की कुल जीएसटी से भी ज्यादा है। इसका असर यह हो रहा है कि पंजाब ढांचागत सुविधाओं पर खर्च नहीं कर पा रहा है। ऐसे में अगर ब्याज मुक्त ऋण मिलता है तो पंजाब को बड़ी राहत मिलेगी।
ये कहना ग़लत नहीं होगा कि भाजपा पंजाब में अपनी सियासी ज़मीन खोजने और किसानों को मनाने के लिए इस योजना को हथियार ज़रूर बनाएगी।
रोज़गार वाला पासा भी फेकेंगे योगी!
आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा उत्तर प्रदेश हर वक्त बेरोज़गारी की मार झेलता ही रहा है, योगी के कार्यकाल में पिछले पांच साल कई-कई बार युवा सड़कों पर उतरे और प्रदर्शन किया, पिछले दिनों नौकरी की मांग कर रहे युवाओं को पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर पीटा, मौजूदा भाजपा सरकार को पता है युवाओं का बड़ा तबका उनसे नाराज़ है यही कारण है कि बजट में युवाओं को लुभाने के लिए कई वादे किए गए हैं:
· वर्ल्ड क्लास डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी, अलग-अलग भाषाओं में कंटेंट उपलब्ध होगा। देश के विभिन्न संस्थानों को इससे जोड़ा जाएगा. जहां से इस डिजिटल यूनिवर्सिटी को रिसोर्स मिलेगा।
· स्टूडेंट्स के लिए पीएम ई-विद्या के तहत एक क्लास एक चैनल की योजना को 200 चैनल्स तक बढ़ाया जाएगा, ताकि महामारी के कारण बच्चों की पढ़ाई के नुकसान की भरपाई की जा सके।
· इंडस्ट्री के साथ मिलकर स्किलिंग प्रोग्राम को मार्केट की जरूरत के अनुसार डेवलप किया जाएगा। इसके जरिए उम्मीदवारों को रोजगार के लायक तैयार करने में मदद मिलेगी। एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज को आधुनिक बनाने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
· लघु एवं कुटीर उद्योग को दो लाख करोड़ का अतिरिक्त फंड दिया जाएगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सभी राज्यों के चुनिंदा आईटीआई संस्थानों में आवश्यक स्किलिंग कोर्सेज शुरू किए जाएंगे।
· वर्ल्ड क्लास फॉरेन यूनिवर्सिटी और संस्थानों को GIFT City में अनुमति मिलेगी ताकि वे फाइनांशियल मैनेजमेंट कोर्सेज़ ऑफर कर सकें। इसमें फिनटेक, साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स के क्षेत्र में कोर्सेज़ के जरिए स्किल्ड मैनपावर बढ़ाया जाएगा।
· भारत के परिदृश्य में अर्बन प्लानिंग और डिजाइन के क्षेत्र को विकसित करने, और सर्टिफाइड ट्रेनिंग देने के लिए 5 मौजूदा शिक्षण संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा।
युवाओं के लिए तमाम ऐलानों में ‘पीएम ई-विद्या एक क्लास-एक चैनल’ बहुत ज्यादा चर्चा का विषय है, क्योंकि जब देश के ज्यादातर इलाकों में बिजली न हो, ज्यादातर उचित संसाधन न हों तो ये फॉर्मूला कैसे संभव हो सकता है। हालांकि भोली-भाली जनता के वोट की खातिर इस जुमलानुमा फॉर्मूले का भी खूब इस्तेमाल किया जाएगा।
ख़ैर.. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा पेश किया गया 2022-23 का ये बजट आम आदमी के लिए तो निराशा ही लेकर आया है, लेकिन जिन चुनावी राज्यों को कुछ उम्मीद थी उन्हें सिर्फ हाथ मलना पड़ गया। हालांकि भाजपा बजट के किन मुद्दों को निकालकर चुनावी राज्यों में इस्तेमाल करने वाली है, ये देखना बेहद दिलचस्प होगा।
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