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मध्यप्रदेश: एक और आश्रयगृह बना बलात्कार गृह!

मूक-बधिर छात्राओं ने दुष्कर्म और छेड़छाड़ की शिकायत 6 महीने पहले की थी, लेकिन उस पर इतने समय तक कोई कार्यवाही नहीं हुई जो सरकार और व्यवस्था का महिलाओं के प्रति सुरक्षा के दावों की पोल खोलता हैI
rape incidents in MP
Image Courtesy : The Hindu

आज पूरे देश में कहीं भी देखें यौन हिंसा और बालिकाओं से यौनाचार की खबर सामने में आ रही है, जो किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक की तरह हैI ‘लेकिन आज कल तो सरकार के संरक्षण में बालिकाओं का यौन-शोषण हो रहा’ ये टिप्पणी  सुप्रीम कोर्ट ने बिहार बालिका सुधारगृह में बच्चियों से हुए बलात्कार पर सुनवाई के दौरान दीI यह किसी भी सरकार के और व्यवस्था के विफलता की कहानी बताता हैI

सुधारगृह में बलात्कार और यौनाचार की यह दुखद कहानी बिहार से शुरू हुई थी, फिर यूपी में भी इस तरह की घटनाएँ सामने आयीं, तो फिर मध्यप्रदेश कैसे पीछे रहता हैI वहाँ तो वैसे भी जब से भाजपा की सरकार बनी है तब से बलात्कार और यौन हिंसा की घटनाओं में 536% की वृद्धि हुई हैI

कल्पना कीजिए शारीरिक रूप से कमज़ोर बच्चे जो बोल और सुन नहीं सकते, उनके लिए बने एक छात्रावास में वे रहतीं हैं, इस उम्मीद में कि वहाँ उन्हें बाहरी जीवन के दौरान होने वाली तकलीफों को कम कर सकेंI लेकिन उसी छात्रावास में पिछले कई महीनों से मूक -बधिर छात्राओं से दुष्कर्म हो रहा थाI इसकी शिकायत 6 महीने पहले ही  सामाजिक न्याय विभाग के आला अधिकारियों से की गयी थीI फिर भी ऐसे भयावह मामले में इतने महीनों तक कोई कार्यवाही न हो, तो क्यों न माना जाए कि इस पूरे कुकर्म में अपराधी के साथ वहाँ का पूरा प्रशासनिक मिला हुआ है? 

भोपाल के  मूक-बधिर छात्राओं से दुष्कर्म व छेड़छाड़ के इस मामले में छात्रावास संचालक अश्विनी शर्मा को  गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया  गयाI यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस मामले की  शिकायत छात्रावास की छात्राओं ने 6 महीने पहले सामाजिक न्याय विभाग को की गई थी। यदि उसी समय विभाग के अधिकारियों ने शिकायत पर ध्यान दिया होता तो हो सकता है कि इस 6 महीने के बीच जिन के साथ दुष्कर्म हुआ हो वो बच जातींI साथी ही  इसके आरोपी भी अब तक पुलिस की गिरफ्त में होता। अभी आरोपी दो दिन के लिए न्यायिक हिरासत में हैI

अब इस मामले की जाँच एसआईटी को सौंप दी गयी है और वो इस मामले की छानबीन कर रही हैI इस मामले को लेकर प्रेस से बात करते हुए आईजी जयदीप प्रसाद ने कहा कि 20 वर्षीय एक युवती ने सामाजिक न्याय विभाग को 6 महीने पहले ही शिकायत की थी और विभाग का कहना है कि इस मामले की जाँच और कार्यवाही करने की ज़िम्मेदारी सहायक संचालक संध्या शर्मा को सौंपी गयी थी, परन्तु इसमें कोई कार्यवाही नहीं हुईI इस मामले में उनसे भी पूछताछ की जाएगीI अभी वो उज्जैन में पदस्थ हैंI छात्रावास को सील कर दिया हैI

इस बीच वहाँ के स्थानीय अख़बार में संध्या शर्मा का एक बयान आया है जो पुलिस की अबतक की पूरी जाँच को पलट देता हैI अबतक इस पूरे मामले के लिए संध्या शर्मा को दोषी बनाया जा रहा थाI अख़बार में छपे इस बयान के अनुसार उन्होंने कहा कि “वो  कभी भोपाल में पदस्थ नहीं रही। उन्हें  विभाग ने ऐसे किसी मामले की कभी कोई जाँच नहीं सौंपी है, न ही उन्हें इस मामले की कोई जानकारी है”। 

अब बड़ा प्रश्न यह उठता है कि इस शिकायत को किसने इतने समय तक दबाया और किसने छात्रओं का शोषण होता रहने दिया? उसके खिलाफ कार्यवाही होन भी महत्वपूर्ण हैI

ऐसे ही भ्रष्ट नौकरशाहों के सरपरस्ती में ऐसे कुकर्मियों का आत्मबल में बढ़ता जा रहा हैI बिहार और यूपी में भी यही देखने को मिला कि किस तरह से अधिकारियों के साथ मिलीभगत से सुधारगृह को बलात्कारगृह में परिवर्तित कर दिया गयाI

बिहार के मुज़फ्फरपुर की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से टिप्पणी देते हुए कहा कि, “ऐसा लग रहा है कि यह पूरी वीभत्स घटना जो घटी है वो राज्य प्रायोजित हैI”

NCRB के डेटा का हवाला देते हुए कहा कि हर 6 घन्टे में बलात्कार की वारदात हो रही है और रोज़ चार महिलाओं के साथ बलत्कार होता हैI आँकड़ों के मुताबिक 2016 में भारत में 38,947 बलात्कार हुए थे I

कोर्ट ने अपनी सुनवाई में सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही कि इन सभी संस्थाओं को सरकार से इतने भारी फंड दिए जाते थे, तो इस बारे में जानकारी क्यों नहीं जुटीई गई कि वे इसका क्या कर रहे हैं?

अभी मध्यप्रदेश की जिस संस्था पर आरोप लगे हैं उसे भी सरकार एक अच्छी खासी रकम देती थीI

यौन अपराधों के प्रति, खासतौर से अगर यह अपराध आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों पर किये जाएँ, सरकार, प्रशासन और यहाँ तक कि समाज भी आँखें मूँद लेता हैI इन तमाम मामलों से एक बात स्पष्ट है कि इस तबके के प्रति उदासीनता उन्हें एक बेहद दर्दनाक ज़िन्दगी जीने के लिए मजबूर कर रही हैI

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