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झारखंड-बिहार : "फ़िलिस्तीन की जनता का साथ दें"

“गाज़ा में निर्दोष लोगों कि हत्या बंद करो, फ़िलिस्तीन की जनता का नरसंहार बंद करो, इज़राइल को सैन्य सहयता देनेवला अमेरिकी साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, भारत सरकार इज़राइल को हथियार-सहायता देकर फिलिस्तीन के लिए घड़ियाली आंसू बहाना बंद करो, मासूम बच्चों-महिलाओं के हत्यारे इज़राइल को सजा दो"
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इजराइल द्वारा फिलिस्तीन पर किए जा रहे बर्बर जुल्म को लेकर झारखंड और बिहार में वामदलों ने मार्च निकाला और सभाएं आयोजित कीं।

झारखंड की राजधानी रांची में ‘प्रतिवाद विमर्श’ कार्यक्रम किया गया। साथ ही, धनबाद समेत कई स्थानों पर ‘एकजुटता मार्च’ निकालकर सभाएं की गयीं।

वहीँ बिहार प्रदेश की राजधानी पटना के अलावा भोजपुर, बक्सर, मुजफ्फरपुर, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास, नालंदा, बेगूसराय, गया व चम्पारण समेत कई अन्य स्थानों पर वाम दलों के कार्यकर्ता शामिल हुए।

सभा को संबोधित करते हुए वाम दल के नेताओं ने कहा कि “गाज़ा में निर्दोष लोगों कि हत्या बंद करो, फ़िलिस्तीन की जनता का नरसंहार बंद करो, इज़राइल को सैन्य सहयता देनेवला अमेरिकी साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, भारत सरकार इज़राइल को हथियार-सहायता देकर फिलिस्तीन के लिए घड़ियाली आंसू बहाना बंद करो, मासूम बच्चों-महिलाओं के हत्यारे इज़राइल को सजा दो, नेतन्याहू को अविलम्ब गिरफ्तार करो!- के नारे लगाते हुए ‘एकजुटता मार्च’ में नागरिक-सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों के सदस्यों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।"

प्रतिवाद सभाओं को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि एक साल पहले आज ही के दिन “हमास” से बदला लेने के नाम पर फिलिस्तीन पर इज़राइल द्वारा फौजी हमला कर 85 हज़ार से अभी अधिक बच्चे, महिलाओं और निर्दोष नागरिकों को मार डाला गया। जिसमें ‘वर्ल्ड रेडक्रॉस के वालंटियरों के साथ साथ इजराइली हमले की ज़मीनी सच्चाई उजागर करनेवाले अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार व फोटोग्राफरों की भी हत्या कर दी गयी। अमेरिका द्वारा भेजे जा रहे घातक सैन्य हथियारों के जरिये पश्चिम एशिया में “इज़राइली दादागिरी” को, ‘इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस’ (आईसीजे) ने भयानक नरसंहार की कार्रवाई बताते हुए उसे अविलम्ब रोकने के आदेश जारी किये। लेकिन अमेरिकी शह पर इज़राइल आज भी इसकी कोई परवाह नहीं कर रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि, सारी दुनिया खुली आंखों से देख रही है कि किस तरह से अमेरिका समेत अन्य साम्राज्यवादी देशों की मदद से इज़राइल द्वारा ‘आत्मरक्षा” के नाम पर किया जा रहा एक बर्बर जनसंहार है। एक आज़ाद मुल्क के समूचे अस्तित्व को ही मिटा देने की सुनियोजित बर्बरता है। युद्ध व मानवाधिकार से जुड़े तमाम अंतर्राष्ट्रीय नियम, मान्यताएं व शांति बहाली की अपील की धज्जियां उड़ाई जा रही है। अब इसका विस्तार लेबनान तक किया जा चुका है।

इसके ख़िलाफ़ दुनिया में लाखों लोगों ने सड़कों पर उतर कर न सिर्फ विरोध प्रदर्शनों से फ़ौरन शांति बहाली की मांग कर रहें हैं बल्कि अपने देश की सरकारों पर फ़िलिस्तीन की जनता के पक्ष में खड़ा होने का दबाव भी बना रहे हैं।

दुर्भाग्य है कि जिस भारत देश की वर्षों पुरानी ये नीति रही है कि फिलिस्तीन एक आज़ाद देश है और भारत के साथ उसका दोस्ताना सम्बन्ध रहेगा, मोदी सरकार ने उसे पलटकर इजराइल को न सिर्फ समर्थन देने का काम किया है बल्कि उसे हर तरह कि मदद और सैन्य सहायता दे रही है।

इसलिए शांति और आज़ादी पसंद इस देश की जनता कि ओर से सभी वाम दल ये मांग करते हैं कि मोदी सरकार फिलिस्तीन को लेकर भारत की पुरानी नीति पर अमल करे। इज़राइल को सैन्य सहायता देना बंद करे और वहां शांति बहाली के साथ साथ फिलिस्तीन के स्वतंत्र अस्तित्व को स्थापित कराने में पहल करे।

पटना के बुद्धा स्मृति पार्क परिसर के समक्ष आयोजित प्रतिवाद सभा को संबोधित करते हुए वाम नेताओं ने आरोप लगाया कि चूंकि भारत में मोदी सरकार खुद तानशाही का शासन चला रही है और ‘नफ़रत-हिंसा की सांप्रदायिक राजनीति’ से इस देश की ‘गंगा-जमुनी तहज़ीब’ के मजबूत स्तम्भ मुस्लिम समुदायों को निशाना बनाये हुए है। इसलिए आज के नए तानाशाह-हिटलर नेतन्याहू को खुलकर अपना समर्थन दे रही है। केवल युद्ध के हथियारों की खेती करनेवाले अमेरिका जो अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए फिर से दुनिया को युद्ध में झोंकने पर आमादा है, के इशारे पर काम कर रही है। अमेरिका फ़िलस्तीन के बाद अब लेबनान पर इजराइल द्वारा हमले करवाकर पूरे दक्षिण एशिया के साथ साथ ‘तेल बाहुल्य इलाका’ पूरे अरब क्षेत्र में अपनी दादागिरी थोपने पर आमादा है।

जिसके खिलाफ आज दुनिया भर अधिकांश देशों की शांतिप्रिय और लोकतंत्रपसंद जनता सड़कों पर विरोध प्रदर्शित कर रही है। भारत की मोदी सरकार भी विश्व जनमत के मनोभावों को अनदेखा करने की अपनी नीतियों और कृत्यों से बाज आ जाये। अन्यथा दुनिया के साथ साथ भारत देश कि भी आजादी और शांतिप्रिय जनता के भारी विरोध का समाना करना पड़ेगा।

“पिछले एक साल से फ़िलिस्तीन में जारी बर्बर ज़ुल्म और अन्याय के भयानक दौर के गवाह हैं। हम देख रहें हैं कि किस तरह से नवजात शिशुओं-दुधमुंहे बच्चों से लेकर महिलाओं और निहत्थे-निर्दोष नागरिकों का कत्लेआम और हैवानियत लगातार जारी है। किस तरह से पेज़र और संचार के अन्य अत्याधुनिकतम तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए बेगुनाह नागरिकों पर भयानक हमले हो रहें हैं।

ऐसे में ये बेहद ज़रूरी हो गया है कि हम फ़िलिस्तीन की जनता का साथ दें, आज़ादी-मानवता और शांति के दुश्मन इज़राइल का पुरज़ोर विरोध करें। हमारे देश की वर्षों से जो नीति रही है कि हमेशा फ़िलिस्तीन की जनता के पक्ष में रही है, इस पर दृढ़ता के साथ अमल करें। जिसे आज पलटकर इज़राइल का समर्थन-सहयोग दे रही मोदी सरकार पर दबाव डालें कि वह इज़राइलपरस्ती फ़ौरन छोड़े। फ़िलिस्तीन पर हो रहे हमलों को रोकने और विश्व शांति के लिए पहल करे।

7 अक्टूबर के दिन पूरी दुनिया भर में लाखों-लाख लोग सड़कों पर उतर कर फ़िलिस्तीन में नरसंहारी जंग के ख़िलाफ़ तीखा विरोध प्रदर्शन कर हमले तुरंत रोकने की मांग की। भारत में भी विश्व जनमत की इस आवाज़ में आवाज़ मिलाते हुए देश के सभी प्रमुख वामपंथी दलों के संयुक्त आह्वान पर ‘फ़िलिस्तीनी जनता के साथ एकजुटता दिवस’ का राष्ट्रीय अभियान संगठित किया।

इसी क्रम में झारखंड और बिहार के सभी वामपंथी दलों ने प्रदेश की राजधानियों से लेकर सभी जिला मुख्यालयों के अलावा कई अन्य स्थानों पर कार्यक्रम किये। जिसमें सीपीआई, सीपीएम्, भाकपा माले, आरएसपी व फारवर्ड ब्लॉक समेत कई छात्र-युवा एवं जन संगठनों के एक्टिविष्ट शामिल हुए।

“फ़िलिस्तीन की जनता का साथ दें, आज़ादी-मानवता व शांति के दुश्मन इज़राइल का विरोध करें व भारत सरकार इज़राइलपरस्ती छोड़े और गाज़ा में हो रहे जनसंहार-युद्ध के विरोध में तथा विश्व शांति के लिए पहल करे!” जैसे नारे लिखे पोस्टर-बैनरों के साथ जगह जगह ‘फ़िलिस्तीन एकजुटता मार्च’ निकालकर प्रतिवाद सभाएं की गयीं।

वाम दलों के नेताओं ने देश सभी धर्मनिरपेक्ष-लोकतान्त्रिक दलों से अपील की कि वे भी फ़िलिस्तीन कि जनता समर्थन में खुलकर सामने आयें और इस देश की सरकार पर दबाव बनायें। ताकि इस देश की जो नीति रही है कि भारत हमेशा से फ़िलस्तीन के साथ खड़ा रहा है, उसे पूरी दृढ़ता के साथ पालन कराएं। इस सभा को भाकपा माले विधायक गोपाल रविदास व माले की एम्एलसी शशि यादव के साथ साथ सभी वाम दलों के वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया। 

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