अमेरिकी अडानी रिश्वत मामले में क़ानून क्या कहता है?
एक बड़े भारतीय कॉर्पोरेट समूह, अडानी ग्रुप और अडानी ग्रीन एनर्जी के और अन्य अधिकारियों पर करोड़ों डॉलर की कथित धोखाधड़ी के लिए अमेरिकी कानूनों के तहत गंभीर अपराधों के आरोप लगाए गए हैं।
यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने बुधवार को दावा किया कि गौतम अडानी ने कई अन्य प्रतिवादियों के साथ मिलकर भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की रिश्वत की पेशकश करके अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम 1977 (एफसीपीए) के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
इसके अलावा, आरोप यह भी है कि डिफ़ेंडेंट/प्रतिवादी प्रतिभूति और वायर धोखाधड़ी में भी शामिल थे, तथा सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध हासिल करने के लिए गलत बयानी की थी, जिससे अगले 20 वर्षों में अडानी ग्रीन एनर्जी को 2 अरब अमेरिकी डॉलर का मुनाफा होने की संभावना थी।
कथित आरोप अमेरिकी अधिकारियों के लिए चिंता का विषय हैं क्योंकि अमेरिका और वैश्विक निवेशकों से निवेश जुटाने के लिए, अदानी ग्रीन ने अमेरिकी संस्थाओं को उपरोक्त तथ्यों का खुलासा नहीं किया था। जबकि अदानी समूह ने अपने अधिकारियों के खिलाफ लगे सभी आरोपों से इनकार किया है, मामला अभी भी विचाराधीन है और दोषी साबित होने तक निर्दोष होने का अनुमान उपर्युक्त प्रतिवादियों पर लागू होता है।
लीफलेट ने अनुराग एम. कटारकी (चैंबर्स ऑफ अनुराग कटारकी के संस्थापक) और कृति सविता गौतम (चैंबर्स ऑफ अनुराग कटारकी की वरिष्ठ सहयोगी) से बात की, ताकि मामले के कुछ प्रमुख कानूनी पहलुओं पर चर्चा की जा सके और उन लोगों के लिए कानून को सरल भाषा में बतया जा सके, जो इस विषय को बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं।
प्रश्न: प्रत्येक अपराध के लिए लगाए गए आरोपो के तहत, प्रतिवादियों को दी जाने वाली अधिकतम एवं न्यूनतम सजा क्या है?
उत्तर. अमेरिकी न्याय विभाग एफसीपीए उल्लंघनों के आपराधिक मुक़दमा चलाने के लिए जिम्मेदार है।
एफसीपीए के तहत, रिश्वतखोरी के प्रत्येक कृत्य के लिए निगमों या अन्य व्यावसायिक संस्थाओं पर 20 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 16.8 करोड़ रुपये) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
व्यक्तियों को कम जुर्माना भरना पड़ सकता है, लेकिन उन्हें कारावास की सजा हो सकती है। कंपनी के निदेशक, अधिकारी या शेयरधारक जैसे किसी व्यक्ति द्वारा इस तरह के उल्लंघन के लिए दंड में 100,000 अमरीकी डॉलर (लगभग ₹84 लाख रुपए) तक का जुर्माना और अधिकतम पांच साल की जेल शामिल है।
ऐसे व्यक्तियों पर लेखांकन प्रावधानों (अकाउंटिंग) के तहत भी आरोप लगाया जा सकता है, जिसके तहत प्रत्येक उल्लंघन के लिए निगमों या अन्य व्यावसायिक संस्थाओं के लिए अधिकतम जुर्माना 2 लाख 50 हज़ार अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹200 करोड़ रुपए) और व्यक्तियों के लिए 50 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹40 करोड़ रुपए) तक है। लेखांकन यानि अकाउंटिंग प्रावधानों के तहत ऐसे प्रत्येक अपराध के लिए व्यक्तियों को अधिकतम 20 वर्ष की कैद भी हो सकती है।
न्यायालय वैकल्पिक जुर्माना अधिनियम, 18 यू.एस.सी. 3571(डी) (Alternative Fines Act, 18 U.S.C. 3571(d)) के अंतर्गत अपने विवेक का इस्तेमाल कर अपराधी को मिलने वाली राशि की दोगुनी तक का जुर्माना लगा सकता है, यदि जुर्माना वृद्धि साक्ष्य के आधार पर साबित हो और अपराधी दोषी हो या किसी उचित संदेह से परे दोषी सिद्ध हो तो उपरोक्त सज़ा का हकदार है।
वर्तमान परिदृश्य में, चूंकि यह अफवाह है कि अडानी ग्रीन अगले दो दशकों में 2 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹16,800 करोड़ रुपए) का मुनाफा कमाने वाली है, इसलिए जुर्माना 4 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹33,600 करोड़ रुपए) तक बढ़ सकता है।
सिविल निषेधाज्ञा कार्रवाई में, एसईसी प्रतिवादी को भविष्य में कानून का पालन करने के लिए बाध्य करने के लिए न्यायालय आदेश की मांग कर सकता है। ऐसे आदेश का उल्लंघन करने पर सिविल या आपराधिक अवमानना कार्यवाही हो सकती है। एसईसी द्वारा लाए गए सिविल अवमानना प्रतिबंध प्रकृति में दंडात्मक के बजाय उपचारात्मक होते हैं और दो उद्देश्यों में से एक को पूरा करते हैं: निषेधाज्ञा के उल्लंघन के परिणामस्वरूप पीड़ित पक्ष को मुआवजा देना या निषेधाज्ञा की शर्तों का अनुपालन करने पर बाध्य किया जा सकता है।
जहां किसी प्रतिवादी ने कानून का उल्लंघन कर लाभ कमाया है, एसईसी गलत तरीके से अर्जित लाभ और पूर्व-न्यायिक ब्याज की वापसी की न्यायसंगत राहत हासिल कर सकता है और यूएस सिक्योरिटीज एक्सचेंज एक्ट 1934 की धारा 21 (डी) (3) और 32 (सी) के तहत नागरिक धन दंड भी मिल सकता है।
एसईसी, सहायक राहत (जैसे कि प्रतिवादी से लेखा-जोखा) भी मांग सकता है। एक्सचेंज एक्ट की धारा 21(डी)(5) के अनुसार, एसईसी किसी अन्य न्यायसंगत राहत की भी मांग कर सकता है और इसे कोई भी संघीय अदालत उसे प्रदान कर सकती है, जो निवेशकों के लाभ के लिए उचित या आवश्यक हो सकती है, जैसे कि बेहतर उपचारात्मक उपाय या स्वतंत्र अनुपालन सलाहकार या मॉनिटर को नियुक्त कर सकता है।
प्रश्न: क्या इसके कोई अतिरिक्त परिणाम भी होंगे?
उत्तर. ऊपर वर्णित आपराधिक और सिविल दंड के अतिरिक्त, एफसीपीए का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों और कंपनियों को महत्वपूर्ण अतिरिक्त परिणामों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें संघीय सरकार के साथ अनुबंध करने से निलंबन या निषेध तक, बहुपक्षीय विकास बैंकों द्वारा क्रॉस-डिबर्मेंट, और कुछ निर्यात विशेषाधिकारों का निलंबन या उनसे बाहर भी कर सकता है।
प्रश्न: क्या प्रतिवादी इन अपराधों को अमेरिकी प्रशासन के साथ अदालत के बाहर सुलझा सकते हैं?
अ. भारत के उलट, अमेरिकी न्याय विभाग के कार्यालय के पास अर्ध-न्यायिक शक्तियाँ हैं। न्याय विभाग (i) स्थगित अभियोजन समझौते; (ii) दलील समझौते और; (iii) गैर-अभियोजन समझौते के रूप में बातचीत के माध्यम से जांच के बिना हाथ में मौजूद मुद्दे को हल करने में अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकता है।
मूग इंक. के मामले में, एसईसी ने एफसीपीए की पुस्तकों और खातों तथा आंतरिक लेखा नियंत्रणों का उल्लंघन करने के लिए मूग मोशन कंट्रोल्स प्राइवेट लिमिटेड के विरुद्ध प्रतिभूति विनिमय अधिनियम की धारा 21सी के अंतर्गत नोटिस जारी किया है।
मूग ने अपने प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ़ व्यापार को सुरक्षित करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी थी, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 504,926 अमेरिकी डॉलर का अनुचित लाभ हुआ। कानूनी कार्यवाही की उम्मीद में, मूग ने एक समझौते की पेशकश की जिसे एसईसी ने स्वीकार कर लिया था।
एफसीपीए के तहत, रिश्वतखोरी के प्रत्येक कृत्य के लिए निगमों या अन्य व्यावसायिक संस्थाओं पर 20 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 16.8 करोड़ रुपये) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
प्रश्न: ब्रुकलिन अदालत में प्रतिवादियों के विरुद्ध मुकदमा चलने में कितना समय लगने की संभावना है?
अ: फिलहाल यह तय नहीं किया जा सकता कि मामला कब तक चलेगा।
मूग ने अपने प्रतिद्वंद्वियों से व्यापार को सुरक्षित बनाने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी थी, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 504,926 अमेरिकी डॉलर का अनुचित लाभ हासिल हुआ था।
प्र. अभियोग के बाद या मुकदमे के दौरान अमेरिकी अधिकारी प्रतिवादियों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर सकते हैं? क्या अमेरिकी अधिकारी प्रतिवादियों के प्रत्यर्पण का अनुरोध कर सकते हैं?
अ: अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि है। यदि दोनों अनुबंध पक्षों के कानूनों के तहत एक वर्ष से अधिक कारावास या अधिक कठोर दंड का प्रावधान है तो अपराध प्रत्यर्पण के योग्य है। जो निम्न पर लागू होता है:
क) क्या संविदाकारी देश के कानून अपराध को अपराधों की समान श्रेणी में रखते हैं या नहीं या अपराध का वर्णन समान शब्दावली में करते हैं या नहीं;
(ख) क्या कार्यालय ऐसा है या नहीं जिसके लिए अमेरिकी संघीय कानून में अंतरराज्यीय परिवहन या डाक या अंतरराज्यीय या विदेशी वाणिज्य को प्रभावित करने वाली अन्य सुविधाओं के उपयोग जैसे मामलों को दिखाने की आवश्यकता है, ऐसे मामले केवल अमेरिकी संघीय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को स्थापित करने के उद्देश्य से हैं; या
(ग) क्या यह कराधान या राजस्व से संबंधित है या नहीं या यह विशुद्ध रूप से वित्तीय प्रकृति का है।
प्रश्न: प्रत्यर्पण की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर: ऐसे मामलों में यह मानक प्रक्रिया है। प्रत्यर्पण के सभी अनुरोध डिप्लोमेटिक/राजनयिक माध्यम से पेश किए जाते हैं और अपराध के तथ्यों का वर्णन करने वाले आवश्यक दस्तावेजों, बयानों और सूचनाओं, अपराध के साथ-साथ दंड के संबंध में कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के बयानों, वारंट या गिरफ्तारी के आदेश की एक प्रति और ऐसी जानकारी द्वारा समर्थित होने चाहिए जो अनुरोधित देश में व्यक्ति की जांच के लिए प्रतिबद्ध होने को उचित ठहराए।
किसी अपराध के लिए, पहले से ही दोषी पाए गए लोगों के लिए प्रत्यर्पण अनुरोध के साथ, दोषसिद्धि के फैसले की प्रति या न्यायिक अधिकारी द्वारा यह बयान भी संलग्न करना होगा कि व्यक्ति को दोषी ठहराया गया है।
तात्कालिकता की स्थिति में, संविदाकारी देश प्रत्यर्पण के अनुरोध के प्रस्ताव के लंबित रहने तक वांछित व्यक्ति की प्रोविजनल/अनंतिम गिरफ्तारी का अनुरोध कर सकता है।
चूंकि यह अफवाह है कि अडानी ग्रीन अगले दो दशकों में 2 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹16,800 करोड़ रुपए) का मुनाफा कमाने वाली थी, इसलिए जुर्माना 4 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹33,600 करोड़ रुपए) तक बढ़ सकता है।
प्रश्न: क्या अभियोग पत्र भारतीय प्रतिभूति कानून के अंतर्गत किसी अपराध का संकेत देता है?
अ: फिलहाल ये सिर्फ आरोप हैं और अमेरिका में कानून का नियम है कि ‘जब तक कोई दोषी साबित न हो जाए, तब तक उसे निर्दोष माना जाता है।’ इसलिए यह संभावना नहीं है कि सेबी ऐसे आरोपों पर कार्रवाई करेगी।
हालांकि, जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ता है और यदि आपत्तिजनक साक्ष्य सामने आते हैं, तो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 की धारा 11-सी के तहत जांच शुरू कर सकता है, यदि उसके पास यह मानने के कारण मौजूद हैं कि लेनदेन निवेशकों या प्रतिभूति बाजार के लिए हानिकारक तरीके से किया जा रहा है।
यह तर्क दिया जा सकता है (यदि भारतीय अधिकारियों के साथ भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हो जाते हैं) कि इन सौदों ने कंपनी के मुनाफे को अवैध रूप से कमाया, जिसके परिणामस्वरूप अडानी ग्रीन के शेयर मूल्यों में वृद्धि हुई।
इसके अलावा, धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988, प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 और संबद्ध नियमों और विनियमों के तहत जांच, आरोप और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
प्रश्न: प्रतिवादियों के खिलाफ मामला कैसे शुरू हुआ? क्या किसी निजी नागरिक ने शिकायत दर्ज कराई या अमेरिकी अधिकारियों ने अपनी मर्जी से कार्यवाही शुरू की? ऐसी जांच कैसे शुरू होती है?
उत्तर: यह स्पष्ट नहीं है कि संज्ञान खुद लिया गया था या किसी व्यक्ति द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर है। लगता है यह बाद वाला मामला है, लेकिन इस मामले में प्रभावशाली संस्थाओं या लोगों के शामिल होने के कारण स्रोत का खुलासा होने की संभावना नहीं है।
संघीय अभियोजन के सिद्धांतों में यह प्रावधान है कि यदि कथित प्रतिवादी का आचरण संघीय अपराध की तरफ इशारा करता है और स्वीकार केई गए सबूतों के तहत दोष साबित होता है और उसे कायम रखने के लिए पर्याप्त सबूत हैं, तो अभियोजकों को संघीय अभियोजन की अनुशंसा करनी चाहिए या उसे आरंभ करना चाहिए, जब तक कि:
(1) अभियोजन से कोई महत्वपूर्ण संघीय हित सिद्ध नहीं होगा;
(2) व्यक्ति किसी अन्य क्षेत्राधिकार में प्रभावी अभियोजन के अधीन है; या
(3) अभियोजन के लिए पर्याप्त गैर-आपराधिक विकल्प मौजूद है।
पर्याप्त संघीय हित के अस्तित्व का आकलन करने में, अभियोजक को "सभी प्रासंगिक विचारों को मापने" की सलाह दी जाती है, जिसमें निम्न शामिल हैं (i) अपराध की प्रकृति और गंभीरता; (ii) अभियोजन का निवारक प्रभाव; (iii) अपराध के संबंध में व्यक्ति की दोषीता; (iv) आपराधिक गतिविधि के संबंध में व्यक्ति का इतिहास; (v) दूसरों की जांच या अभियोजन में सहयोग करने की व्यक्ति की इच्छा; और (vi) व्यक्ति के दोषी पाए जाने पर संभावित सजा या अन्य परिणाम।
सौजन्य: द लीफ़लेट
मूलतः अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
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