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लाल किला: संरक्षण के नाम पर विरासत से खिलवाड़

साल भर से अधिक बीतने को है, लाल किला में शौचालय और पेय जल की व्यवस्था तो हो चुकी हैं। लेकिन वैश्विक स्तर पर पर्यटकों को जो सुविधाएं देने के बात कही गई थी, वह कहीं नजर नहीं आती है।
Adopt a Heritage
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केंद्र सरकार की अनूठी योजना ‘Adopt a Heritage- अपनी धरोहर-अपनी पहचान’ को शुरू हुए एक वर्ष बीत चुके हैं। साल भर के अंदर केंद्र सरकार करीब सौ से ज्यादा ऐतिहासिक इमारतों, किलों, महल और मंदिरों को निजी कंपनियों के हवाले कर चुकी है। ऐसे अधिकांश किले-महल-मंदिर भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के अधीन हैं। कई ऐतिहासिक-सांस्कृतिक इमारतें विश्व-विरासत की सूची में भी शामिल हैं। भारत की ऐतिहासिक विरासतों को निजी कंपनियों को सौंपने के पीछे जो तर्क और कारण दिए गए वो बहुत ठोस नजर नहीं आते हैं।

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पर्यटन मंत्रालय का कहना है कि विरासत स्थलों को वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है। योजना का एकमात्र उद्देश्य वहां पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधाओं को उपलब्ध कराना है। साल भर के अंदर इन निजी कंपनियों ने ऐसे स्थलों को कितना सुविधा-संपन्न बनाया है, इस स्टोरी में हम इसी का आकलन करेंगे।

13 अप्रैल, 2018 को विश्व विख्यात दिल्ली का लाल किला डालमिया भारत लिमिटेड को सौंप दिया गया। डालमिया भारत लिमिटेड को इसके पहले किसी पुरातात्विक इमारत के संरक्षण का अनुभव नहीं था। समझौते के तहत कंपनी को पर्यटकों के लिए सार्वजनिक सुविधाओं का विकास करना था। उस समय कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा था कि कंपनी ने आगामी पांच सालों के लिए दिल्ली के लाल किला और आंध्र प्रदेश के कडप्पा स्थित गंडीकोटा किले को गोद लिया है। कंपनी सीएसआर इनिशिएटिव यानी कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत इनका रखरखाव करेगी। कंपनी पर्यटकों के लिए शौचालय, पीने का पानी, रोशनी की व्यवस्था करने और क्लॉकरूम आदि बनवाने के लिए अनुमानित 5 करोड़ प्रतिवर्ष खर्च करेगा।

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डालमिया ग्रुप पर लाल किला को सैलानियों के बीच और अधिक लोकप्रिय बनाने और उसके सौंदर्यीकरण की भी जिम्मेदारी है। इसमें एप बेस्ड गाइड डिजिटल स्क्रिनिंग, फ्री वाईफाई, डिजिटल इंटरैक्टिव कियोस्क, टेक्टाइल मैप, टॉयलेट अपग्रेडेशन,रास्तों पर लाइटिंग बैटरी से चलने वाले व्हीकल चार्जिंग स्टेशन, सर्विलांस सिस्टम और कैफेटेरिया आदि शामिल है। लेकिन साल भर से अधिक बीतने को है, लाल किला में शौचालय और पेय जल की व्यवस्था तो हो चुकी हैं। लेकिन वैश्विक स्तर पर पर्यटकों को जो सुविधाएं देने के बात कही गई थी, वह कहीं नजर नहीं आती है।

लाल किला विश्व भर में प्रसिद्ध है इसलिए साल के प्रत्येक महीने वहां पर पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। इसलिए सबसे पहले टिकट और पर्यटकों को अंदर प्रवेश की सुविधा को बढ़ाने की जरूरत थी। पर्यटकों को सबसे ज्यादा असुविधा टिकट लेने में होती है। टिकट काउंटर पर पहले की तरह ही बेतरतीब भीड़ देखने को मिली। पर्यटकों को अंदर जाने के जरूर पहले से अधिक घुमावदार रास्ता तय करना पड़ रहा है। किले के अंदर का भी यही दृश्य है।  

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लाल किले के सामने ठंडा पानी बेचने वाले इमरान इस बात की तस्दीक करते हैं। साल डेढ़ साल में क्या यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आई या बढ़ोत्तरी हुई है?,इस सवाल पर वह कहते हैं “पिछले पंद्रह साल से यहां मैं धंधा कर रहा हूं, पर्यटकों की संख्या किसी दिन कम होती है तो किसी दिन ज्यादा पर्यटक आते हैं। साल भर के अंदर तो मुझे यह नहीं दिखा कि पहले की अपेक्षा भीड़ बहुत ज्यादा आने लगी हो। बात साफ है कि इस योजना से पर्यटकों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ है।”

‘Adopt a Heritage’ योजना का मूलमंत्र ‘Preserving the Past for the Future’ है -यानी भविष्य के लिए अतीत का संरक्षण। लेकिन लाल किला के अंदर जिस तरह तोड़-फोड़ और निर्माण कार्य चल रहा है उसे देख कर तो यही कहा जा सकता है कि एक योजना के तहत देश के विरासतों को संरक्षित नहीं बल्कि नष्ट करने का काम किया जा रहा है।  

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ऐतिहासिक इमारतों में कोई भी काम पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुमति से होता है। लाल किला के अंदर भी निर्माण में लगी एजेंसियों का कहना है कि वे एएसआई के निर्देशन में काम कर रही हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इतनी प्राचीन इमारत में जिस तरह से निर्माण हो रहा है क्या वह उचित है। फिलहाल पहले लाल किला के इतिहास और अतीत में उसके साथ हुए छेड़छाड़ को याद करना भी ज़रूरी है।

मुगल शहंशाह शाहजहां ने 1638 में लाल किले के निर्माण के आदेश दिये थे जो 1649 में बनकर तैयार हुआ। पुरानी दिल्ली के इलाके में स्थित, लाल बलुआ पत्थर से निर्मित होने के कारण इसे लाल किला कहा जाता है। कभी मुगलिया सल्तनत की शान रहे इस किले को समय समय पर कई हमलों को झेलना पड़ा। लाल किले पर 1739 में कुख्यात आक्रमणकारी नादिर शाह ने हमला किया था। इस हमले में लाल किला को काफी नुकसान हुआ था। 18वीं सदी में कुछ लुटेरों एवं आक्रमणकारियों ने इसके कई भागों को क्षति पहुंचाई  थी तो 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद किले को ब्रिटिश सरकार ने अपने हाथ में ले लिया। किले पर ब्रिटिश सेना का कब्जा़ हो गया, एवं कई रिहायशी महल नष्ट कर दिये गये। इसे ब्रिटिश सेना का मुख्यालय भी बनाया गया। इसी संग्राम के एकदम बाद बहादुर शाह जफर पर यहीं मुकदमा भी चला था। ब्रिटिश हुकूमत ने सन् 1913 में इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया था। इसके बाद लाल किला को संरक्षित करने के कुछ प्रयास किए गए। स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास लाल किले से जुड़ा हुआ है। यहीं पर  नवंबर 1945 में इण्डियन नेशनल आर्मी के तीन अफसरों का कोर्ट मार्शल किया गया था। देश आजाद होने के बाद भारतीय सेना ने इस किले का नियंत्रण ले लिया था। 22 दिसम्बर 2003 को भारतीय सेना ने 56 साल पुराने अपने कार्यालय को हटाकर लाल किला खाली कर दिया और एक समारोह में पर्यटन विभाग को सौंप दिया। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष 2007 में युनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।

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1857 के बाद अंग्रेजों ने लाल किला के अंदर कई निर्माण और ध्वंस किए। कई महलों और इमारतों का नष्ट कर सैनिक छावनियों का निर्माण किया गया। लेकिन समय बीतने के साथ इमारतें कमजोर होती जाती हैं। ऐसे परिसर में किसी प्रकार के निर्माण और ध्वंस का कार्य मूल इमारत को हानि पहुंचाता है। अब पर्यटकों की सुविधा के नाम पर जिस तरह लाल किला परिसर के अंदर ब्रिटिशकालीन इमारतों को जेसीबी से गिराया जा रहा है, वह अंतत: लाल किले के लिए कहीं से भी हितकर नहीं है

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