थाईलैंड : "राजशाही के अपमान" को लेकर प्रदर्शनकारियों पर मुक़दमा शुरू
बैंकाक की अदालत में थाईलैंड के एक्टिविस्टों और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ राजद्रोह और लेसे मैजेस्टे (राजशाही के अपमान) के कई आरोपों के मामले में सुनवाई सोमवार 15 मार्च से शुरू हो गई। 22 प्रदर्शनकारियों को मकदमें का सामना करना पड़ रहा है जिनमें से सात प्रीट्रायल डिटेंशन में हैं। इस सुनवाई के कई हफ्तों और महीनों तक जारी रहने की उम्मीद है जो गवाहों की संख्या पर निर्भर करेगा जिसे बचाव और अभियोजन पक्ष अदालत के सामने पेश करना चाहते हैं।
इस मुकदमे का सामना करने वालों में से अधिकांश वे हैं जिन्होंने पिछले साल सितंबर में हुए प्रदर्शन में भाग लिया था जहां प्रदर्शनकारियों को रानी और उनके बेटे को ले जाने वाले एक शाही जुलूस के पास नारे लगाते हुए देखा गया था। पिछले साल नवंबर से बैंकाक में स्थानीय पुलिस ने इस विरोध प्रदर्शन के कुछ प्रमुख चेहरों को गिरफ्तार करने के लिए लेसे मैज़ेस्टे का इस्तेमाल किया है।
अनुच्छेद 112 जिसमें थाईलैंड में लेजसे मैजेस्टे का प्रावधान है उसके तहत अधिकतम 15 साल की जेल की सजा का प्रावधान है और इस खंड के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों को जमानत नहीं दिया जाता है। सैन्य समर्थित प्रयूत चान-ओ-चा की सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए बड़े पैमाने पर कानूनी और शारीरिक दमन किया है।
गंभीर पुलिस दमन और हमलों के बीच ये सुनवाई सरकार विरोधी प्रदर्शन की दूसरी लहर के दौरान हो रही है। इन हमलों और कार्रवाईयों में दर्जनों लोग घायल हुए हैं। मुकदमे और गिरफ्तारी की चर्चा करते हुए परित "पेंगुइन" चिवाराक ने संवाददाताओं से कहा, "वे मुझे बंद कर सकते हैं, लेकिन वे सच्चाई को बंद नहीं कर सकते... सच हमेशा सच होता है कि चाहे जेल में रखे, यातना दे या फांसी, सच तो सच है।" परित को लेसे मैजेस्टे के साथ साथ देशद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें कई बार जमानत से इनकार किया गया है।
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