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कोविड-19 : दादा के ऑक्सीजन के लिए प्रदर्शन करते भाइयों को भेजा जेल

गिरफ्तार किये गये कापरी-बंधुओं के एक करीबी रिश्तेदार ने बताया कि दो युवक, जो पिछले दिनों कोरोना के चलते अपने पिता और चाचा समेत परिवार के तीन सदस्यों को गंवा चुके हैं, वे अपने दादा का ऑक्सीजन-स्तर गिरने से दहशत में आ गये थे।
ऑक्सीजन
चित्र : डीएनए इंडिया के सौजन्य से

पटना: बिहार में कोरोना से संक्रमित अपनों को अस्पताल में जिंदगी के लिए छटपटाते, दम तोड़ते देख कर ऑक्सीजन की मांग करने और इसकी आपूर्ति न होने पर हल्ला-हंगामा करने पर आपको जेल भी हो सकती है। जी, हां, यह वाकया हुआ है, भागलपुर जिले के एक सरकारी अस्पताल में। यहां कोरोना से गंभीर रूप पीड़ित अपने वयोवृद्ध दादा की उखड़ती सांसों को तत्काल ऑक्सीजन देने की मांग करने और इसके न दिये जाने पर विरोध करने वाले, दो सगे भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इन दोनों भाइयों की उम्र 20 के आसपास है। वे अपने दादा की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें भागलपुर के मायागंज सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए ले आये थे। 

अस्पताल अधीक्षक ने अक्षय कापरी और छोटू कापरी भाइयों के खिलाफ मेडिकल स्टाफ के साथ मार-पीट करने और अस्पताल की परिसंपत्ति को तोड़-फोड़ करने के मामले में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

बरारी थाना प्रभारी नवनीश कुमार ने बुधवार को न्यूजक्लिक से इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “अस्पताल अधीक्षक की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए दो भाइयों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें स्थानीय अदालत के सामने पेश किया गया, जिसने उन्हें जेल भेज दिया।” 

पुलिस अधिकारी ने स्पष्ट किया इस घटना में पुलिसकर्मियों की कोई भूमिका नहीं है क्योंकि यह गिरफ्तारी अस्पताल प्रशासन की शिकायत पर की गई है, जिसने इन भाइयों पर अस्पतालकर्मियों के साथ मारपीट करने तथा वहां की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। कुमार ने कहा,"पुलिस इस मामले की जांच करेगी।"

हालांकि अक्षय और छोटू कापरी ने डॉक्टर्स पर हमला करने तथा परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के अस्पताल प्रशासन के आरोपों का खंडन किया। कहा जा रहा है कि दोनों ने यह माना है कि उन्होंने अपने दादा को ऑक्सीजन देने की बार-बार मांग की थी और उसके मुहैया न कराये जाने पर अपना विरोध जताया था। 

गिरफ्तार किये गये कापरी-बंधुओं के एक नजदीकी रिश्तेदार ने बताया कि दो युवक, जो पिछले दिनों कोरोना संक्रमण के चलते अपने पिता और चाचा समेत परिवार के तीन सदस्यों को गंवा चुके हैं, वे अपने दादा के ऑक्सीजन के गिरते स्तर से दहशत में आ गये थे। पहले तो उन्होंने ऑक्सीजन के लिए काफी रोया-गिड़गिड़ाया और इसके बावजूद जब ऑक्सीजन न दी गई तो विवश हो कर दोनों भाइयों ने विरोध जताना शुरू किया। नजदीकी रिश्तेदार ने बताया "दोनों ही अपने परिवार के तीन-तीन सदस्यों के कुछ ही दिनों के भीतर कोरोना से चल बसने से बुरी तरह परेशान थे। उन्होंने जब देखा कि अब दादा की सांसें भी उखड़ने लगी हैं, उनके ऑक्सीजन का स्तर तेजी से गिर रहा है तो वे उसकी तत्काल मांग करने लगे थे, बस यही उन दोनों भाइयों का जुर्म था।" 

बिहार में यह कोई अकेला मामला नहीं है। इसके पहले वैशाली और मुजफ्फरपुर जिलों में भी कोरोना पीड़ितों के नजदीकी रिश्तेदारों को इन्हीं मामलों में गिरफ्तार किया जा चुका है। उन लोगों के विरुद्ध भी सरकारी अस्पतालों के चिकित्साकर्मियों के साथ मारपीट करने तथा संस्थान की परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के आरोप में कार्रवाई की गई है। वैशाली और मुजफ्फरपुर में कोरोना पीड़ितों के तीन करीबी रिश्तेदारों को गिरफ्तार किया गया है, जब वे अपने परिजनों की मौत से क्रुद्ध होकर तथाकथित रूप से सरकारी अस्पतालों के चिकित्साकर्मियों के साथ मारपीट की थी और संस्थान में तोड़-फोड़ की थी। वहीं दूसरी तरफ, इन गिरफ्तार व्यक्तियों ने अस्पताल प्रशासन पर अपने परिजनों की उपेक्षा करने तथा समय पर उनका समुचित इलाज न करने का आरोप लगाया है।

समूचे बिहार के अस्पतालों में ऑक्सीजन, बिस्तर और समय पर उचित इलाज न होने के चलते कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित कई मरीजों ने असमय ही दम तोड़ दिया है। पटना उच्च न्यायालय द्वारा पिछले दो हफ्तों से कड़े शब्दों में अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कराने, बिस्तरों का प्रबंध करने तथा उसकी संख्या बढ़ाये जाने और मरीजों का समय पर उचित इलाज कराने के प्रति सरकार का ध्यान बार-बार दिलाने के बावजूद धरातल पर स्थितियों में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है।

सोमवार को पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि बिहार सरकार कोरोना की स्थिति पर नियंत्रण के मामले में बुरी तरह विफल हो गई है। उसने यह भी कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए सरकार की कोई कार्य योजना नहीं है और उसके अधिकारी फर्जी विवरण पेश कर रहे हैं, जो वास्तविकताओं से कोसों दूर हैं। 

मंगलवार को भी उच्च न्यायालय ने अस्पतालों में बिस्तर, आइसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की सुविधाएं उपलब्ध न कराये जाने तथा उनमें इजाफा न करने के लिए सरकार के कान उमेठे थे। न्यायालय ने केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल के.एन.सिंह से कहा कि वह पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य ढ़ांचे का प्रबंध सेना की मेडिकल सेवा को सौंप देने के लिए रक्षा सचिव से बात करें। न्यायाधीशों ने कहा कि वे इस सरकार के प्रति अब तक अपना भरोसा जताते रहने के लिए “शर्मिंदगी” महसूस करते हैं और “लोगों को मरते देख कर वे लगातार आदेश दे रहे हैं।”

बताया जाता है कि ऑक्सीजन उपलब्ध न होने के चलते राज्य के अधिकतर निजी अस्पताल अपने यहां कोरोना मरीजों की भर्ती से ही इनकार कर देते हैं। अगर कोई व्यक्ति किसी अस्पताल में कैसे भी बिस्तर का जुगाड़ कर भी लेता है तो उसके प्रशासन की तरफ अपने मरीजों के लिए ऑक्सीजन का प्रबंध खुद से करने के लिए कहा जाता है। 

कहते हैं कि एक ऑक्सीजन सिलिंडर की कीमत कालाबाजार में 50 से 60 हजार रुपये तक है। इसे खुद पटना उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए माना था। 

बिहार में, मंगलवार तक कोरोना के 1,10,430 सक्रिय मामले थे जबकि 14,794 नये मामले सामने आए थे। मंगलवार को ही कुल 105 लोगों की जानें कोरोना से गई थीं जबकि इसके एक रोज पहले सोमवार को 28 लोगों ने दम तोड़ दिया था। पहली मई को राज्य में 151 लोगों की जानें चली गई थीं। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

COVID-19: Brothers from Bihar Jailed after Protesting for Oxygen to Save Grandparents

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