झारखंड: “बच्चों की पुकार, टीचर दे सरकार”, एकल शिक्षक स्कूल के भरोसे कैसे पढ़ेंगे बच्चे?
झारखंड में पिछले कई दिनों से एकल शिक्षक स्कूल, यानि ऐसे स्कूल जहां पढ़ाने के लिए सिर्फ़ एक ही शिक्षक उपलब्ध है, के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन चल रहा है। राइट टू एजुकेशन के आधार पर शिक्षकों की पोस्टिंग की मांग कर रहे छात्र और उनके परिवार वाले रैली और प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं। आपको बता दें राइट टू एजुकेशन एक्ट के मुताबिक़ प्रत्येक 30 बच्चों के लिए कम से कम एक शिक्षक होना चाहिए। पेश है पूरी ख़बर :
"बच्चों के बारे में बताते हुए मेरा दिल रो रहा है, तपती धूप में बच्चे आए थे, दो किलोमीटर लंबी रैली थी उसमें 10 से 15 बच्चे ऐसे थे जिनके पैरों में चप्पल नहीं थी, मैंने हाथ जोड़कर बच्चों से गुज़ारिश की कि बेटा तुम लोग जाकर गाड़ी में बैठ जाओ, तुम लोग पैदल मत चलो, लेकिन जब तक हम बच्चों को गाड़ी में बैठा कर वापस रैली में लौट रहे थे तो देखा कि वे बच्चे भी भाग कर रैली में शामिल हो गए और नारे लगाने लगे।"
झारखंड के लातेहार ज़िला के गारू प्रखंड में 16 गांव के बच्चों और उनके माता-पिता ने 13 अप्रैल को एक बड़ी रैली निकाली और उस रैली में शामिल हुए छात्रों (जो बिना चप्पल के थे) के बारे में बताते हुए ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड के राज्य महासचिव विश्वनाथ सिंह कुछ उदास हो गए।
2024 में लोकसभा चुनाव हैं, गुज़रते साल में हर तरफ़ जो मुद्दे दिखाई दे रहे हैं क्या उसमें हमें झारखंड के दूर-दराज़ के लातेहार के गारू प्रखंड के बच्चों की आवाज़ सुनाई दे रही है?
“एकल शिक्षक नहीं चलेगा!” कल लातेहार जिले में झारखण्ड के माँ-बाप और बच्चे एकल शिक्षक विद्यालयों के विरोद और शिक्षा का अधिकार के लिए सड़क पर उतरें. झारखण्ड में 30% प्राथमिक स्चूलों में एक ही शिक्षक है. कमाल!@NCPCR_ pic.twitter.com/c7690Kzmc0
— Road Scholarz (@roadscholarz) April 14, 2023
जिस वक़्त हम झारखंड के बच्चों की - तेज़ धूप में - रैली का वीडियो देख रहे थे तो अफसोस हो रहा था कि शिक्षा जैसे अपने बुनियादी अधिकार के लिए देश के दूर-दराज़ के आदिवासी बहुल इलाकों के छोटे-छोटे बच्चो को तेज़ धूप में बगैर चप्पल के सड़क पर उतरना पड़ रहा है।
क्या है पूरा मामला?
झारखंड में पिछले कई दिनों से एकल-शिक्षक स्कूलों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और उनके माता-पिता ‘राइट टू एजुकेशन एक्ट’ (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के मुताबिक़ शिक्षकों की पोस्टिंग की मांग कर रहे हैं।
क्या है एकल शिक्षक की समस्या?
ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड के राज्य महासचिव विश्वनाथ सिंह बताते हैं कि उनकी संस्था ने अपने स्तर पर एक सैंपल सर्वे किया जिसमें उन्होंने पाया कि 45 से 55 प्रतिशत (औसतन) स्कूलों में एक ही शिक्षक हैं। जबकि ‘राइट टू एजुकेशन एक्ट’ के मुताबिक़ प्रत्येक 30 बच्चों के लिए कम से कम एक शिक्षक होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो स्कूल अवैध माना जाएगा।
विश्वनाथ सिंह आगे बताते हैं कि, "आपको जानकर हैरानी होगी कि गारू में एक मिडिल स्कूल है जहां 145 के आस-पास छात्र हैं और वहां पढ़ाने के लिए एकमात्र शिक्षक हैं, आप सोचिए उस विद्यालय में शिक्षा का क्या हाल होगा? वहां क्या पढ़ाई हो रही होगी?”
Apart from the fact that single-teacher schools are illegal as per the Right to Education, many other violations also take place at a school run by one teacher.
Source: Observations from single-teacher schools in Garu (Latehar district) @LateharDistrict @AIFRTE pic.twitter.com/eEy5shJqCa
— Road Scholarz (@roadscholarz) April 17, 2023
शिक्षा का अधिकार
संविधान के आर्टिकल 21 (A) में 6 से 14 साल तक के बच्चों के लिए फ्री (निःशुल्क) शिक्षा अनिवार्य तौर पर देने का प्रावधान किया गया है। संविधान के आर्टिकल 21 (A) को ही RTE Act कहा जाता है।
संविधान में 86वे संशोधन 21 (A) के तहत प्राथमिक शिक्षा को सब नागरिकों का बुनियादी अधिकार बना दिया गया जिसे 1 अप्रैल 2010 को लागू कर दिया गया था।
जबकि ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड ने जो सर्वे किया उसमें उन्होंने पाया कि रांची जो कि राज्य की राजधानी है वहां भी 520 एकल शिक्षक स्कूल हैं। उन्होंने ज़िलेवार, स्कूलों में एकल शिक्षक का हाल पेश किया जिसमें सबसे ऊपर दुकमा और पश्चिम सिंहभूम दिखाई देते हैं।
सर्वे किए गए स्कूलों की लिस्ट का एक हिस्सा, सौजन्य : ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड
जबकि गारू (लातेहार ज़िले) की बात करें तो वहां सभी प्राथमिक विद्यालयों में से 43 प्रतिशत एकल शिक्षक विद्यालय हैं और दो मध्य विद्यालय भी हैं जो एकमात्र शिक्षक द्वारा चलाए जाते हैं।
रांची में आज हुए कार्यक्रम में आगे की तैयारी पर चर्चा
एकल शिक्षक स्कूल के विरोध में लगातार कार्यक्रम हो रहे हैं। इस कड़ी में आज रांची में अलग-अलग ज़िलों में भेजे गए दो जत्थों के समागम का कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड के राज्य महासचिव विश्वनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम के बारे में बताया, "हमारी संस्था और झारखंड एकजुकेशन फोरम ने मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें 20 ज़िलों में निकले हमारे दो जत्थों ने क़रीब डेढ़ लाख लोगों से मिलकर इस समस्या के बारे में लोगों से बात की। इसके साथ ही आगे के कार्यक्रम पर चर्चा की और 12 प्रखंडों में इस कार्यक्रम को ले जाने और इसपर जनसुनवाई जैसे कार्यक्रम के बारे में बात रखी। साथ ही हमने नई शिक्षा नीति के आने के बाद किस तरह से, शिक्षा, हासिल करने की नहीं बल्कि ख़रीदने की चीज़ बन जाएगी इसपर भी चर्चा की।"
17 अप्रैल को रांची में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस
17 अप्रैल को रांची में प्रेस कॉन्फ्रेंस
वहीं इससे पहले 17 अप्रैल को भी रांची में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड, संयुक्त ग्राम सभा मंच गारू के साथ ही कुछ और समाजसेवी भी शामिल हुए और उन्होंने एक बार फिर अपनी मांगों को दोहराया और झारखंड के मुख्यमंत्री का ध्यान खींचने की कोशिश की। उन्होंने अपनी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में निम्न मांगों को दोहराया :
1. हर स्कूल में कम से कम दो शिक्षक
2. प्रत्येक 30 बच्चों के लिए कम से कम एक शिक्षक
3. हर दिन कम से कम चार घंटे पढ़ाई
4. समय के पाबंद, ज़िम्मेदार और मिलनसार शिक्षक
5. नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें और स्कूल ड्रेस (वस्तु के रूप में, नकद के रूप में नहीं)
6. कार्यात्मक शौचालय, बिजली कनेक्शन और पानी की आपूर्ति
7. स्कूल प्रबंधन समितियों का सक्रियण और अधिकारिता
8. शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पूर्ण अनुपालन
9. शिकायतों और शिकायत निवारण के लिए त्वरित प्रतिक्रिया
10. सप्ताह में छह बार मध्याह्न भोजन के साथ अंडे
13 अप्रैल को लातेहार के गारू में हुई रैली जिसमें ज्यां द्रेज़ भी शामिल हुए
13 अप्रैल को गारू में बड़ी रैली
जबकि इससे पहले 13 अप्रैल को लातेहार के गारू प्रखंड में एक बड़ी रैली निकाली गई जिसमें जाने माने अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता प्रोफेसर ज्यां द्रेज़ समेत छात्र और उनके माता-पिता भी शामिल हुए, 16 गांव के छात्रों और उनके माता-पिता ने एक लंबी रैली निकाली और प्रखंड मुख्यालय पहुंचे। इस दौरान इन बच्चों और उनके माता-पिता ने नारे लगाए : "क्या चाहता है लातेहार? शिक्षा का अधिकार", "बच्चों की पुकार, टीचर दे सरकार", "बाल बूतरों की पुकार, शिक्षक दे सरकार", "जीने का अधिकार चाहिए, शिक्षा का अधिकार चाहिए"
पड़ेगी लिखेंगे लड़ेगे जीतेंगे!
झारखंड के बच्चे शिक्षा का अधिकार के लिए आवाज उठा रहे है।@HemantSorenJMM pic.twitter.com/5qBArym5I3— Road Scholarz (@roadscholarz) April 13, 2023
"145 स्टूडेंट्स के लिए एक शिक्षक"
प्रखंड कार्यालय के बाहर ख़त्म हुई इस रैली के बाद एक जनसभा का भी आयोजन किया गया जिसमें रूद गांव की एक मिडिल स्कूल की छात्रा पूनम कुमारी ने कई विषयों को पढ़ाने के लिए कम से कम छह और शिक्षकों की मांग की। छात्रा ने बताया कि अभी उसके स्कूल में 145 स्टूडेंट्स हैं और सिर्फ़ 1 शिक्षक।
इस रैली के बारे में विश्वनाथ सिंह ने बताया, "हम अपनी मांग लेकर बीडीओ के पास पहुंचे तो उन्होंने हमारा ज्ञापन तो ज़रूर ले लिया लेकिन उन्होंने साफ़ कर दिया कि वे किसी भी तरह का आश्वासन देने या फिर शिक्षकों की पुनः बहाली करने में सक्षम नहीं हैं लेकिन वे ज्ञापन को आगे ज़िला प्रशासन तक पहुंचा देंगे।"
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इसके साथ ही इस परेशानी से जुड़ा एक ओपन लेटर मुख्यमंत्री के नाम भी जारी किया गया है और इस समस्या की तरफ़ ध्यान खींचने की कोशिश की गई है लेकिन अब तक उसका कोई जवाब नहीं आया है।
We urge, @HemantSorenJMM to kindly respond to the email sent to him by parents, SMC members and children from 16 villages in Garu (Latehar) and appoint atleast one additional teacher across all single-teacher schools in the state. @JharkhandCMO @LateharDistrict @ChampaiSoren
— Road Scholarz (@roadscholarz) April 17, 2023
प्रो. ज्यां द्रेज़ का सवाल
वहीं इस रैली से पहले प्रो. ज्यां द्रेज़ ने भी मुख्यमंत्री से सवाल किया, "क्या उन्हें पता है कि उनके राज्य में एकल शिक्षक स्कूल की समस्या है।"
झारखण्ड के 30% प्राथमिक विद्यालयों में केवल एक हि शिक्षक है, इसका नतीजा देखिए।
क्या मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM को मालूम है शिक्षा अधिकार कानून के अनुसार सिंगल-टीचर स्कूल अवैध हैं?
और हर स्कूल में 30 बच्चों के लिए 1 टीचर होना चाहिए। pic.twitter.com/Cn6lKnCeTZ
— Road Scholarz (@roadscholarz) April 12, 2023
ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड के राज्य महासचिव विश्वनाथ सिंह, एकल शिक्षक स्कूल से होने वाले नुक़सान की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहते हैं, "एकल शिक्षक स्कूल का दुष्परिणाम ये हो रहा है कि :
* एक ही शिक्षक होने की वजह से शिक्षा की क्वालिटी पर तो असर पड़ा ही है, साथ ही इससे ये परेशानी खड़ी हो जाती है कि वे स्कूल में पढ़ाई करवाए या फिर रिकॉर्ड या स्कूल से जुड़े दूसरे काम करे?
* जब स्कूल में शिक्षक ही नहीं आते तो छात्रों का ड्रॉप आउट बढ़ जाता है, छात्रों के नामांकन और उपस्थिति में कमी आती है।
* स्कूलों को मर्ज (जोड़ा) किया जाता है। जिन स्कूलों को मर्ज करने की बात कही जाती है, वे बंद ही हो जाते हैं। जबकि हमने देखा ये वे इलाक़े हैं जहां SC, ST लोगों की संख्या ज़्यादा है। मर्ज करने के बहाने बंद ही कर दिया गया है।
वे (विश्वनाथ) आगे बताते हैं, "कोविड में ही बच्चों की दो साल पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई थी। सरकार दावा कर रही थी कि बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, मोबाइल के द्वारा पढ़ रहे हैं लेकिन हमने सर्वे किया था और उस सर्वे के आंकड़े चौंकाने वाले थे। उसमें 89 प्रतिशत बच्चों के पास तो मोबाइल ही नहीं था।"
बेशक ये सर्वे चौंकाने वाले हैं। सूबे के मुख्यमंत्री का ध्यान लगातार इस तरफ़ खींचने की कोशिश की जा रही है लेकिन देखना है कि उनका ध्यान कब इस तरफ़ जाएगा?
वहीं दूसरी तरफ़ ज्ञान विज्ञान समिति ने बताया कि वे पूरे देश में शिक्षा नीति को लेकर संघर्ष कर रहे हैं और 30 अप्रैल को दिल्ली में एजुकेशन असेंबली का भी आयोजन किया जाने वाला है।
इन सबके बीच देखना होगा कि सरकार का ध्यान शिक्षा से जुड़े इस गंभीर मुद्दे की तरफ़ कब जाएगा?
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