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बांग्लादेश: आरक्षण कोटा के विरोध में जारी उग्र प्रदर्शनों में 6 छात्रों की मौत, विश्वविद्यालय बंद

देश भर के विश्वविद्यालयों के हजारों छात्र, देश की आज़ादी के लिए लड़े सेनानियों के परिवारों के लिए रोज़गार में 30 फीसदी कोटा समाप्त करने और सरकारी नौकरियों में भर्ती में अन्य सुधारों की मांग को लेकर हफ्तों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
Bangladesh
छात्र प्रदर्शनकारियों ने पिछले सप्ताह कोटा में सुधार की मांग को लेकर बांग्ला नाकाबंदी शुरू की। फोटो: रेहान अहमद / विकिमीडिया कॉमन्स

बांग्लादेश में छात्र और युवा कार्यकर्ताओं पर मंगलवार, 16 जुलाई को हिंसक हमला किया गया, क्योंकि वे सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए थे, जिसके तहत वर्तमान में देश के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को 30 फीसदी नौकरियां दी जाती हैं। सुरक्षा कर्मियों और सरकार समर्थक छात्र समूह के सदस्यों द्वारा छात्रों पर किए गए हमले में तीन छात्रों सहित कम से कम छह लोग और सैकड़ों अन्य घायल हो गए हैं।

स्थानीय मीडिया में आई खबरों के अनुसार, राजधानी ढाका में दो लोग मारे गए, दक्षिणी शहर चट्टोगाम में तीन और उत्तरी शहर रंगपुर में एक व्यक्ति मारा गया है।

बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद सरकार ने देश के सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और माध्यमिक विद्यालयों को अगली सूचना जारी होने तक बंद करने की घोषणा कर दी है तथा छात्रों से अपने छात्रावास खाली करने को कह दिया है।

ढाका विश्वविद्यालय समेत कई विश्वविद्यालयों ने बाद में अनिश्चितकाल के लिए विश्वविद्यालयों को बंद करने की घोषणा करते हुए नोटिस जारी किए हैं। हालांकि, कोटा में सुधार की मांग कर रहे छात्रों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने उनके खिलाफ हिंसा को उकसाया है और जबकि छात्रों ने आने वाले दिनों में अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखने का संकल्प लिया है।

सत्तारूढ़ अवामी लीग से संबद्ध, बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) छात्र प्रदर्शनकारियों को लगातार चेतावनी दे रही है कि वे अपना विरोध प्रदर्शन बंद करें और कक्षा में वापस लौट आएं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और चरमपंथी ताकतें अवामी लीग सरकार को पटरी से उतारने के प्रयास में प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर रही हैं।

जबकि प्रदर्शनकारियों ने, बी.सी.एल. और बी.एन.पी. द्वारा विरोध प्रदर्शनों को समर्थन दिए जाने के दावों का खंडन किया है और कहा है कि उनके विरोध प्रदर्शनों को सभी राजनीतिक दलों के छात्रों का समर्थन हासिल है।

इस सप्ताह की शुरुआत में, खबर यह आई थी कि बीसीएल के सदस्य विभिन्न विश्वविद्यालयों में कोटा सुधार समर्थक छात्रों को निशाना बनाकर तलाशी ले रहे थे। खबर यह है कि बीसीएल सदस्यों द्वारा पीटे जाने के बाद कई छात्र घायल हो गए थे।

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी कोटा प्रणाली में सुधार के लिए प्रदर्शन कर रहे छात्रों की आलोचना की है और उन पर 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान समर्थक मिलिशिया “रजाकारों” का पक्ष लेने का आरोप लगाया है, तथा उनसे देश की आजादी में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए योगदान का सम्मान करने को कहा है।

हसीना की टिप्पणियों के बाद सोमवार को छात्रों ने फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और उनसे अपना बयान वापस लेने की मांग की है। ढाका के एक कॉलेज में बीसीएल के सदस्यों ने कथित तौर पर एक बार फिर ऐसे ही प्रदर्शन पर हमला किया गया है।

मंगलवार के विरोध प्रदर्शन का आह्वान सोमवार को बीसीएल हमले के विरोध में सुधार समर्थक छात्रों द्वारा किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने राजधानी शहर के अधिकांश महत्वपूर्ण चौराहों पर यातायात को अवरुद्ध कर दिया था और जब उन पर हमला हुआ तब वे देश भर के कई अन्य विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन करने लगे थे।

बुधवार को छात्र प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शनों में मारे गए छात्रों के लिए ढाका में अंतिम संस्कार जुलूस निकाला। इस बीच, कुछ छात्र नेताओं ने घोषणा की है कि वे छात्रावास खाली करने के सरकारी आदेश का पालन नहीं करेंगे, उन्होंने इसे सुधारों के “आंदोलन को दबाने” का सरकार का प्रयास बताया है।

कोटा सुधार क्या है?

पिछले महीने कोटा सुधार की मांग को लेकर तब विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, जब एक उच्च न्यायालय ने 2018 में सरकार द्वारा जारी एक सर्कुलर को पलट दिया था, जिसमें इस तरह के कोटा पर प्रतिबंध लगाया गया था। हालांकि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी और सरकार से अगली सुनवाई से पहले समाधान खोजने को कहा था, लेकिन इसके बाद भी विरोध प्रदर्शन शांत होने का नाम नहीं ले रहा है।

प्रदर्शनकारी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सरकार संसद में एक कानून पारित करे, जिसमें समाज के वंचित और हाशिए पर पड़े वर्गों जैसे महिलाओं, विकलांग लोगों और जातीय अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण को छोड़कर सभी तरह के आरक्षण समाप्त कर दिए जाएं। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 फीसदी आरक्षण को बहुसंख्यक छात्रों के हितों के खिलाफ बताया है। सरकार ने इस मामले को संसद में ले जाने से इनकार कर दिया है और तर्क दिया है कि वह इसके बजाय अदालतों के फैसले का इंतज़ार करेगी और पालन करेगी।

बांग्लादेश वर्कर्स पार्टी ने मांग की है कि कोटा प्रणाली के प्रगतिशील चरित्र से समझौता किए बिना इसमें सुधार किया जाए तथा वंचित और हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए आरक्षण की सुरक्षा की जाए।

ाभार: पीपल्स डिस्पैच

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