बात-बेबात: 'कुछ तो गड़बड़ है दया…’
हमारे पड़ोसी कभी-कभी हमारा मुंह मीठा और दिल खट्टा या कहिए मन कड़वा करने के लिए आ जाते हैं। वे जले हुए घाव पर मरहम नहीं नमक छिड़क जाते हैं। पर उनसे बचने का कोई उपाय न होने पर हम भी मानिसक रूप से तैयार हो जाते हैं बकौल किसी शायर के इस अंदाज में कि 'आप पहले नमकदानियां खोलिए, फिर मेरे घाव की पट्टियां खेलिए।'
आज हमारे पड़ोसी दयाल सिंह जी मिठाई का डब्बा लिए सीधे हमारे स्टडी रूम में प्रविष्ट हुए। बड़े प्रफुल्लित लग रहे थे। बिना किसी अभिवादन की औपचारिकता के डब्बा खोलकर एक लड्डू लगभग हमारे मुह में ठूंसते हुए बोले - ''राज भाई, मुंह मीठा कीजिए, आज मैं बहुत खुश हूं। यह खुशी मैं अपने पड़ोसियों से भी साझा करना चाहता हूं। यूं समझिए कि आज से पहले आज से ज्यादा खुशी आज तक नहीं मिली।''
मैंने उन्हें कुर्सी की ओर बैठने का संकेत करते हुए कहा- ''दयाल सिंह जी, आप पहले इत्मीनान से बैठिए। जरूर मुझ से अपनी खुशी साझा कीजिए। पर सुबह का समय है। ठंड का मौसम है। एक-एक कप गर्मा गरम कॉफी के साथ शुरुआज करें तो कैसा रहेगा।''
वे कुर्सी पर विराजमान हुए और अपनी मौन स्वीकृति दी। मैं किचन में गया। दो कप काॅफी तैयार की। काॅफी लेकर स्टडीरूम में आया और उन्हें एक कप थमाते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ गया और बोला - ''दयाल सिंह जी, सबसे पहले तो आप को आपकी खुशी मुबारक, अब बताइए किस बात की खुशी में पड़ोसियों का मुंह मीठा करा रहे हैं।''
उन्होंने काॅफी का घूंट भरा फिर बोले - '’ राज भाई, खुशी की तो पूछिए मत। मुझे खुशी मिली इतनी कि मन में न समाए यानी उम्मीद से ज्यादा। महाराष्ट्र में हमारी पार्टी जिन रिकॉर्ड मतों से जीती है। उसकी उम्मीद तो मैंने भी नहीं की थी। पार्टी की 132 सीटें और एनडीए गठबंधन की 234 सींटें आ गईं। अब आप सोचिए 288 में से 234 सीटें! है न रिकाॅर्ड जीत! और यूपी उपचुनावों के नतीजे देखिए नौ में से सात सीटें! है न मोदी जी और योगी जी का जादुई करिश्मा!''
''लेकिन पजांब के उपचुनाव और झारखंड के विधानसभा चुनाव में तो मोदी जी योगी जी का ये जादू नहीं चला।''
''ये तो आपने दुखती रग पर हाथ रख दिया। झारखंड में हमारी पार्टी जीता हुआ चुनाव कैसे हार गई। मुझे खुद हैरानी है। हेमंत सोरेन और उनके इंडिया गठबंधन ने कुछ तो गड़बड़ की है।''
''आपके अनुसार झारखंड में कुछ गड़बड़ है पर ये बताइए कि महाराष्ट्र में अपकी पार्टी और गठबंधन प्रचंड बहुमत से कैसे जीत गई?'’
'’देखिए, इसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जी का काम, पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्पित भाव से परिश्रम, आरएसएस का बस्ती-बस्त्त जाकर हमारे पक्ष में जनमत तैयार करना और लाड़की बहिन योजना का बहुत असर पड़ा। इस योजना में महिलाओं का मिलने वाली डेढ़ हजार रुपये मासिक से बढ़ा कर इक्कीस सौ करने की घोषणा की थी। इसने महिलाओं और खास कर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को बहुत प्रभावित किया। उन्होंने जमकर हमारे पक्ष में वोट डाला। लाड़की बहिन योजना हमारे मुख्यमंत्री का मास्टरस्ट्रोक थी।''
''तो क्या झारखंड में हेमंत सोरेन की मंईयां सम्मान योजना कारगर नहीं हो सकती। वहां तो योगी जी का ‘बंटेंगे तो कटेंगे' तथा मोदी जी का 'एक हैं तो सेफ हैं' नारे भी नहीं चले।'’
''ऐसा नहीं है। दरअसल हेमंत सोरेन को मुसलमानों और घुसपैठियों ने जिता दिया। आप तो जानते ही हैं कि हमारी पार्टी को मुसलमानों का वोट नहीं मिलता। पर हमें उनकी जरूरत भी नहीं है। हमारे लिए हमारे अस्सी प्रतिशत हिंदू काफी हैं। जहां तक नारों की बात है तो ये नारे महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में तो खूब कारगर साबित हुए।''
''लेकिन मेरा मानना है कि महाराष्ट्र में ये नारे नहीं बल्कि आरएसएस की बस्ती-बस्ती जाकर बैठकें बहुत कारगर सिद्ध हुईं। लाड़की बहिन योजना का असर तो हुआ ही है। इसके अलावा आपकी पार्टी को साम दाम दंड भेद सारे हथकंडे आते ही हैं।'’
''नहीं भाई, हमारी पार्टी ने कोई साम, दाम, दंड, भद जैसा कोई हडकंथा नहीं अपनाया। महाराष्ट्र में जनता ने उन्हें वोट उनके काम के लिए दिया है।''
''मैं नहीं मानता। झारखंड में तो प्रचार के दौरान आपकी पार्टी ने चुनाव नियमों का उल्लंघन करते हुए हेमंत सोरेन और कांग्रेस के खिलाफ एक ऐसा वीडियो बनाया जिसे चुनाव आयोग ने ही हस्तक्षेप कर रुकवाया।
उत्तर प्रदेश में तो आपने हद ही कर दी। आपकी पार्टी को जिन मतदाताओं पर आशंका थी कि वे उन्हें वोट नहीं देंगे आपकी पार्टी के लोगों ने उन्हें वोट ही नहीं डालने दिया। उत्तर प्रदेश में एसएचओ ने पुलिस विभाग को शर्मसार करने की हद पार करते हुए मतदाता महिलाओं पर ही पिस्तौल तान दी यह कहते हुए कि उसे ऊपर से गोली चलाने के आदेश हैं। अनेक मतदाताओं का आरोप है कि आपकी पार्टी के लोगों ने उन्हें वोट डालने से रोक दिया और कहा कि उनका वोट पड़ गया है।
महाराष्ट्र में आपकी पार्टी के महासचिव पर मतदाताओं के लिए पांच करोड़ रुपये बांटने के लिए लाने का आरोप है। आपकी पार्टी के एक नेता पर आरोप है कि उसके खेत में मतदाताओं को बांटने के लिए शराब की बोतलें बरामद हुईं। इसे आप साम, दाम, दंड, भेद वाला हथकंडा नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे।''
''देखिए, राज भाई ऐसा कुछ नहीं है। हां चुनाव जीतने के लिए हर पार्टी के लोग मतदाताओं को रिझाने के लिए कुछ लोक लुभावन वादे करते हैं। मुफ्त की़ रेवड़ियां बांटने का वादा और दावा करते ही हैं। थोड़ा बहुत लालच तो सभी दल देते ही हैं। कोई दूध का धुला नहीं है। फिलहाल तो रखिए मिठाई का ये डिब्बा भाभी जी और बच्चों का मुह मीठा कराइए। अब हमारी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। देखिएगा कि दिल्ली में भी हमारी सरकार ही बनेगी। और फिर हमारे हिंदू राष्ट्र का सपना भी घोषित रूप से पूरा होगा। अच्छा चलता हूं, और लोगों का भी मुंह मीठा कराना है।'' कहते हुए वे चले गए।
(लेखक सफाई कर्मचारी आंदोलन से जुड़े हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।