शिमला: हर मज़दूर को मिलेगा राशन; डीसी के आश्वासन पर माकपा विधायक का धरना ख़त्म
देशव्यापी लॉकडाउन में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में फँसे सभी मज़दूरों को राशन न मिलने के कारण धरने पर बैठे ठियोग से माकपा विधायक राकेश सिंघा ने 40 घंटे के बाद प्रशासन के आश्वासन के बाद धरना ख़त्म कर दिया।
सभी मज़दूरों को राशन देने की मांग को लेकर विधायक राकेश सिंघा सोमवार को एसडीएम शहरी के दफ्तर के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे गए थे। इस दौरन उन्होंने सोमवार की रात एसडीएम दफ्तर के गेट पर ही गुजारी। उन्होंने जमीन पर बिस्तर लगाया और वहीं सो गए। उनका यह धरना मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। इस बीच सोमवार देर रात ही शिमला के उपायुक्त (डीसी) अमित कश्यप भी विधायक से मिलने पहुंचे थे। कल मंगलवार देर शाम प्रशासन ने आश्वस्त किया की प्रदेश के सभी मज़दूरों को राशन दिया जाएगा। इसके बाद सिंघा ने अपना धरना ख़त्म किया, लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी अगर फिर मज़दूरों को राशन नहीं दिया गया तो वो फिर से प्रशासन की घेराबंदी करेंगे।
विधायक राकेश सिंघा ने धरना समाप्त करने के बाद बातचीत में कहा कि लॉकडाऊन की शुरुआत से ही मज़दूरों को व्यवस्थित ढंग से राशन का वितरण नहीं हो रहा था। हालांकि कई एनजीओ शहर में रात-दिन इस कार्य में लगे हुए थे लेकिन किसी एनजीओ की ऐसी क्षमता नहीं है जो सभी मजदूरों को लगातार राशन उपलब्ध करवा सके, फिर भी एनजीओ बधाई के पात्र हैं। जो दिन रात लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि मज़दूरों को राशन मिले यह उनका संवैधनिक अधिकार है और सरकार उन्हें राशन दे ये सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने संविधान के आर्टिकल 21 का हवाला दिया और कहा कि 'देश में रहने वाले हर व्यक्ति को जीने का अधिकार है और यह सरकार और सरकार के तंत्र की जिम्मेदारी बनती थी कि कोई मज़दूर भूखा न रहे।'
उन्होंने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार को डीसी शिमला अमित कश्यप ने बैठक बुलाई थी, जिसमें तय हुआ है कि जो भी मज़दूर व ज़रूरतमंद लोग इस शहर में हैं उन्हें चिह्नित कर विभाग द्वारा राशन दिया जाएगा। बैठक में शिमला के पूर्व मेयर और माकपा नेता संजय चौहान, कुलदीप टंडन, एसडीएम और वितरण नोडल एजेंसी के लोग मौजूद थे। उन्होंने बताया की बताया जा रहा है कि आज शिमला में राशन के वितरण में तेज़ी आई है। जहाँ अभी तक राशन नहीं पहुंचा था वहां राशन पहुंचा है।
इसके साथ ही विधायक ने मज़दूरों से भी आग्रह किया अगर उन्हें राशन नहीं मिला तो वे हमें या अपने कांउसलरों को जानकारी दें। हम उन्हें भूखा नहीं रहने देंगे और सरकार का यह दायित्व बनता है कि वे उनके खाने का इंतज़ाम करे। यदि इस बात को अमल में नहीं लाया गया तो पुन: धरना दिया जाएगा।
माकपा हिमाचल प्रदेश की कमेटी भी अपने विधायक के समर्थन में है और उसने भी सरकार को मज़दूरों को राशन पहुंचने को कहा है। कमेटी ने सरकार से कहा कि 'भाषण नहीं राशन दो'
माकपा का कहना है कि 'इस वैश्विक महामारी के संकट में सबसे ज्यादा मज़दूर, किसान और गरीब को मार पड़ रही है। देश भर में मज़दूर सड़कों पर धकेला गया है बिना भोजन के, बिना रोजगार के। हिमाचल में हज़ारों मज़दूर जगह जगह बिना काम के लॉकडाउन के चलते फंस गए हैं। ये मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, ओडिशा और कश्मीर से हैं। ये प्रदेश के आर्थिकी में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते आए हैं। आज जब विश्व संकट के गुजर रहा है तो सरकार ने उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया है। माकपा संकट के इस दौर में इन मज़दूरों के साथ खड़ी है और उनके हक़ की लड़ाई में उनके साथ है। उन्होंने सरकार से कहा कि इन सभी मजदूरों के लिए भोजन के साथ रोजगार का भी प्रबन्ध करना होगा। इस संकट में सरकार को जनता के साथ विभिन्न राजनीतिक दलों को भी विश्वास में लेना चाहिए।
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