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संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होंगे 16 नए विधेयक

संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर से 29 दिसंबर 2022 तक चलेगा, जिसका मतलब है कि मुकर्रर 23 दिनों में संसद की 17 बैठकें होंगी।
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

संसद में 35 विधेयक लंबित पड़े हैं और 16 नए विधेयकों को पेश करने, उन पर चर्चा करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है, जबकि पहले से पेश किए गए सात विधेयकों पर चर्चा और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर से 29 दिसंबर 2022 तक चलेगा, जिसका मतलब है कि मुकरर्र 23 दिनों में संसद की 17 बैठकें होंगी। शीतकालीन सत्र के लिए केंद्र सरकार के एजेंडे में 16 नए सूचीबद्ध विधेयकों को पेश करना, चर्चा करना और उन्हें पारित करना शामिल है।

जैसा कि इस बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है, विधेयकों को उनके विषय के अनुसार समूहीकृत किया गया है।

वित्त/कॉर्पोरेट मामले/वाणिज्य

ट्रेड मार्क (संशोधन) बिल, 2022 का उद्देश्य दुनिया भर में ट्रेडमार्क के प्रबंधन के लिए मैड्रिड पंजीकरण प्रणाली के पहलुओं को शामिल करना है, जिससे मैड्रिड प्रोटोकॉल (तकनीकी रूप से, मैड्रिड से संबंधित प्रोटोकॉल के तहत चिन्हों के अंतर्राष्ट्रीय पंजीकरण से संबंध समझौता) के अनुसार ट्रेड मार्क अधिनियम, 1999 के तहत अंतर्राष्ट्रीय पंजीकरण में बदलाव किया जा सके। इसके अतिरिक्त, यह ट्रेड मार्क कार्यालय द्वारा कारण बताओ, सुनवाई, दूसरे पक्ष की सुनवाई, और इलेक्ट्रॉनिक संचार को शामिल करने के संबंध में प्रक्रिया में संशोधन करना चाहता है।

हितधारकों को संदेह है कि पंजीकरण 2021 में प्रकाशित वाणिज्य पर संसदीय स्थायी समिति की 161वीं रिपोर्ट द्वारा सिफ़ारिश किए गए बदलावों और यूनाइटेड किंगडम के साथ चल रहे मुक्त व्यापार समझौते की वार्ताओं के लिए जरूरी संशोधनों को शामिल किया जाएगा। 

इसी श्रेणी में आने वाले सामानों का भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022, प्रक्रियाओं को सरल बनाने और हितधारकों तक पहुंच बढ़ाने का प्रयास करता है। माल का भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम को 1999 में अधिनियमित किया गया था।

गृह मामले/सुरक्षा/कानून/सामरिक मामले/सामाजिक न्याय

बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2022 शासन और पारदर्शिता को मजबूत करने, जवाबदेही बढ़ाने, चुनावी प्रक्रिया में सुधार करने, निगरानी तंत्र में सुधार करने और बहु-राज्य सहकारी समितियों में व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 में संशोधन के लिए इसे 7 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था।

नए विधेयक के तहत, केंद्र सरकार किसी भी बहु-राज्य सहकारी समिति को दिशा-निर्देश दे सकती है और अधिक्रमण कर सकती है, जहां सरकार की कोई हिस्सेदारी है, या कोई ऋण, वित्तीय सहायता या गारंटी दी गई है। अधिनियम के तहत, यह प्रावधान केंद्र सरकार की कम से कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली बहु-राज्य सहकारी समितियों पर लागू होगा। जबकि अधिनियम के तहत, एक बहु-राज्य सहकारी समिति खुद के बोर्ड का चुनाव मौजूदा बोर्ड द्वारा किया जाता है, लेकिन विधेयक में संशोधनन के माध्यम से सरकार को सहकारी चुनाव एजेंसी स्थापित कर और चुनाव से संबंधित कार्य करने का हक़ देता है। 

जैसा कि द हिंदू ने रिपोर्ट किया है, 7 दिसंबर को, विपक्ष ने इस आधार पर विधेयक को पारित करने पर आपत्ति जताई थी कि संविधान की सातवीं अनुसूची में सहकारी समितियां राज्य का विषय हैं, और विधेयक का प्रावधान राज्य सरकारों के अधिकारों का 'अतिक्रमण' है। सहकारी समितियों की स्वायत्तता छीन लेने और उन पर अतिरिक्त बोझ डालने पर भी चिंता जताई गई थी। 

इसी श्रेणी के तहत, कैंटोनमेंट बिल, 2022 छावनियों में जीवनयापन को आसान बनाने, उनके प्रशासन को अधिक लोकतांत्रिक और कुशल बनाने और देश भर में नगरपालिकाओं के अनुरूप विकासात्मक उद्देश्यों को हासिल करने का प्रयास करता है। ओल्ड ग्रांट (रेगुलेशन) बिल, 2022 का उद्देश्य गवर्नर जनरल ऑर्डर्स के तहत भूमि पर सरकारी अधिकारों को सुनिश्चित करते हुए जीवनयापन को आसान बनाना है; उनके स्थानांतरण, उप-विभाजन और उद्देश्य परिवर्तन को विनियमित करना; और शक्तियों को सौंपना है। 

इस श्रेणी के अन्य संशोधन बिलों का मक़सद, कुछ राज्यों में अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों की सूची को संशोधित करना है। संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 का उद्देश्य तमिलनाडु में अनुसूचित जनजातियों की सूची को संशोधित करना है, संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक, 2022 हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की सूची को संशोधित करना चाहता है, संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (चौथा संशोधन) विधेयक, 2022 कर्नाटक में अनुसूचित जनजातियों की सूची को संशोधित करना चाहता है, और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 का उद्देश्य छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति सूची को संशोधित करना है। 

निरसन और संशोधन विधेयक, 2022 का उद्देश्य निरर्थक और अप्रचलित कानूनों को निरस्त करना है।

स्वास्थ्य और शिक्षा

राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2022 का उद्देश्य दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 को निरस्त करना और भारतीय दंत चिकित्सा आयोग ('डीसीआई') का पुनर्गठन करके एक राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग ('एनडीसी') की स्थापना करना है। जैसा कि द इकोनॉमिक टाइम्स ने  रिपोर्ट किया है, जबकि 'एनडीसी' को प्रभावी, कुशल होने और दंत चिकित्सा पेशे को प्राथमिकता देने के लिए एक जरूरी कदम माना जा रहा है, इसे डीसीआई की तरह लोकतांत्रिक नहीं होने के लिए आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा है। डीसीआई के भीतर भ्रष्टाचार को दूर करने और कदाचार की जांच करने में सरकार की विफलता के बारे में भी चिंता जताई जा रही है।

इसके अलावा, इंडियन नर्सिंग काउंसिल एक्ट, 1947 को निरस्त करने के लिए नेशनल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी कमीशन बिल, 2022 पेश किया जाएगा और नेशनल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी कमीशन की स्थापना की जाएगी। भारत में नर्सरी और मिडवाइफरी पेशे की वृद्धि और स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों द्वारा इस विधेयक पर विचार किया जा रहा है।

मिडवाइफरी को एक विशिष्ट अनुशासन के रूप में मान्यता देने के लिए विधेयक की प्रशंसा की गई है, जिसमें देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मिडवाइफ के शिक्षित, विनियमित और लाइसेंस प्राप्त कैडर प्रदान करने की क्षमता है। हालांकि, आयोग में मिडवाइफरी विशेषज्ञों का अधिक अनिवार्य प्रतिनिधित्व, और स्वतंत्र मिडवाइफरी अभ्यास और मिडवाइफरी व्यवसायी शीर्षक की सुरक्षा के लिए विधायी प्रावधानों पर विचार करने की जरूरत है।

नर्सों के संबंध में, उन्नत अभ्यास नर्स कार्यक्रमों की स्थापना और विस्तार की सराहना की जाती है। बिल की कुछ महत्वपूर्ण आलोचनाओं में, हालांकि, नर्सिंग सेवा शर्तों को विनियमित करने के लिए आयोग के प्रावधानों की कमी, और नर्सों की अभ्यास करने की क्षमता को जारी रखने के प्रावधानों की अनुपस्थिति शामिल है।

पर्यावरण और जल संसाधन

इस श्रेणी के तहत, वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 का उद्देश्य वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करना और गैर-वन क्षेत्रों में वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और वनों का संरक्षण करना है। विशेष रूप से, हाल ही में पेश किए गए वन (संरक्षण) नियम, 2022 की व्यापक रूप से आलोचना की गई थी, क्योंकि वे निजी डेवलपर्स को प्रतिपूरक वनीकरण और विकास के लिए वन भूमि को खाली करने की अनुमति देकर भूमि निकासी की प्रक्रिया में वन-निवासी समुदायों की भागीदारी को हटाने के लिए खतरा पैदा करते हैं वह भी ग्राम सभाओं की पूर्व सहमति के बिना परियोजनाओं को अनुमति देना इसमें क्षमाइल है।

इसके अलावा, कोस्टल एक्वाकल्चर अथॉरिटी (संशोधन) बिल, 2022 कोस्टल एक्वाकल्चर अथॉरिटी एक्ट, 2005 में संशोधन की मांग करता है, जिसका उद्देश्य अधिनियम के तहत अपराधों को कम करना, नियामक अंतराल को दूर करना और नियामक अनुपालन बोझ को कम करना है। विधेयक में झींगा हैचरी को संबंधित तटीय विनियमन क्षेत्र ('सीआरजेड') अधिसूचना के आवेदन से छूट देने का प्रस्ताव है।

विधेयक का उद्देश्य धारा 13(8) अधिनियम (जो नो-डेवलपमेंट ज़ोन के भीतर तटीय जलीय कृषि को प्रतिबंधित करता है), और 2005 अधिनियम के 27 (सीआरेड अधिसूचना के दायरे से संपूर्ण तटीय जलीय कृषि को छूट देने के लिए है) में संशोधन करके झींगा हैचरी पर प्रतिबंध हटाना है)। हालाँकि, इस बारे में चिंता व्यक्त की गई है कि क्या विधेयक सीआरज़ेड अधिसूचना को ओवरराइड कर सकता है।

इसके अतिरिक्त, नॉर्थ ईस्ट वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी बिल, 2022 से नॉर्थ ईस्ट वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी बनाती है, जो उत्तर पूर्वी क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र और बराक बेसिन के लिए एक एकीकृत जल संसाधन और बेसिन प्रबंधन संगठन के रूप में काम करेगा। यह ब्रह्मपुत्र बोर्ड अधिनियम, 1980 को निरस्त करना चाहता है, और इसके साथ ही, ब्रह्मपुत्र बोर्ड के मौजूदा वैधानिक निकाय को नॉर्थ ईस्ट वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी से प्रतिस्थापित करता है। नॉर्थ ईस्ट वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी के साथ, विधेयक का उद्देश्य उत्तर पूर्वी क्षेत्र में जल निकायों और नदी-आधारित परियोजनाओं को विकसित करना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित करना है।

संस्कृति 

कलाक्षेत्र फाउंडेशन (संशोधन) विधेयक, 2022 कलाक्षेत्र फाउंडेशन अधिनियम, 1993 में संशोधन करना चाहता है ताकि कालक्षेत्र फाउंडेशन को प्रमाण पत्र, डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री प्रदान करने और नृत्य, रंगमंच, संगीत और अन्य रूपों में अनुसंधान करने के लिए सशक्त बनाया जा सके। 

चर्चा और पारित करने के लिए लंबित बिल

संसद में लंबित कुल 35 विधेयकों में से सात विधेयकों पर चर्चा करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है, अर्थात् समुद्री डकैती रोधी विधेयक, 2019, मध्यस्थता विधेयक, 2021, नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (संशोधन) विधेयक, 2022, संविधान (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2022, जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021, वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 और ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 इसमें शामिल हैं।

सारा थानावाला द लीफ़लेट में स्टाफ राइटर हैं

सौजन्य: द लीफ़लेट

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