फ़ैक्ट-चेक : वायरल तस्वीर में ब्रिटिश पुलिस जिसे कोड़े मार रही है, वो भगत सिंह हैं?
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल है. तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति के हाथ बंधे हैं और उसके पास एक पुलिस अफ़सर दिख रहा है. दावा है कि तस्वीर में भगत सिंह हैं जिन्हें ब्रिटिश पुलिस कोड़े मार रही है. वायरल ग्राफ़िक में तस्वीर के नीचे लिखा है – “आज़ादी के लिए कोड़े खाते भगत सिंह जी की तस्वीर उस समय के अखबार में छपी थी ताकि और कोई भगत सिंह ना बने हिन्दुस्थान में..क्या गांधी-नेहरू की ऐसी कोई तस्वीर आपके पास? फिर केसे उनको राष्ट्र पिता मान लू? कैसे मान लूं कि चरखें ने आजादी दिलाई?”.
अपने देश की आजादी के लिए कोड़े खाते भगत सिंह की तस्वीर ।
और हमें झूठ पढ़ाया गया कि अंग्रेजों की बग्गी
में घूमने वालों ने देश आजाद कराया । pic.twitter.com/sIHWDGlWOo— DK Chauhan (@dkchauhan2021) July 20, 2021
2020 में ट्विटर यूज़र उमंग ने ये तस्वीर भगत सिंह की बताते हुए ट्वीट की थी. (आर्काइव लिंक)
आजादी के लिए कोड़े खाते भगत सिंह जी की तस्वीर उस समय के अखबार में छपी थी ताकि और कोई भगत सिंह ना बने हिन्दुस्थान में..
क्या गांधी-नेहरू की ऐसी कोई तस्वीर है आपके पास ?
फिर केसे उनको राष्ट्र पिता मान लू ?
कैसे मान लूं कि चरखे ने आजादी दिलाई ?RT if you agree ..#BhagatSingh pic.twitter.com/ScpdNB0l0u
— ♛ उ मं ग ♛ (@umanngjain) September 28, 2020
ट्विटर पर भगत सिंह की बताकर ये तस्वीर काफ़ी शेयर की गई.
फ़ेसबुक पर ये तस्वीर वायरल है. व्हाट्सऐप पर भी ये तस्वीर काफ़ी शेयर की गई.
फ़ैक्ट-चेक
रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को 17 अप्रैल 2019 के सबरंग इंडिया के एक आर्टिकल में ये तस्वीर मिली. इस आर्टिकल में कहीं भी भगत सिंह का ज़िक्र नहीं हैं. बता दें कि ये आर्टिकल जलियावाला नरसंहार के बारे में है. 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने अमृतसर के जलियावाला बाग में मौजूद लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था.
4 अप्रैल 2019 के हिस्ट्री टुडे के आर्टिकल में ऐसी ही एक तस्वीर मिली. तस्वीर के साथ बताया गया था कि 1919 के अमृतसर नरसंहार के मद्देनज़र एक व्यक्ति को कोड़े मारे गए. इस आर्टिकल में किम वैगनर की उस किताब का ज़िक्र है जो उन्होंने जलियावाला नरसंहार के बारे में लिखी थी. किम वैगनर ने इस किताब में बताया था कि ये नरसंहार ब्रिटिश राज का पतन की ओर पहला कदम था.
किम वैगनर, ब्रिटिश इतिहासकार है. उन्होंने 22 मई 2018 को 2 तस्वीरें ट्वीट की थीं और बताया था कि पंजाब के कसूर में लोगों को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे गये थे. उन्होंने बताया कि बेंजामिन होर्निमेन 1920 में ये तस्वीरें चोरी-छिपे भारत से लाये और उन्हें छापा था. बता दें कि बेंजामिन एक ब्रिटिश पत्रकार थे.
Here are two of the photographs of public floggings at Kasur, in Punjab, that were smuggled out of India and published by Benjamin Horniman in 1920 #AmritsarMassacre pic.twitter.com/qoUZOPypsY
— Kim A. Wagner (@KimAtiWagner) May 22, 2018
भारतीय इतिहासकार मनन अहमद ने 10 फ़रवरी 2019 को कुछ तस्वीरें ट्वीट की थीं जिसमें ये तस्वीर भी शामिल थी. तस्वीर के साथ बताया गया कि सिख छात्र-सैनिक को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे गए थे.
British Terror in India (1920) by the Hindustan Gadar Party (SF, CA) pic.twitter.com/exoruBNLqb
— Manan Ahmed (@sepoy) February 10, 2019
ध्यान दें कि भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में हुआ था. यानी, 1919 में भगत सिंह की उम्र 12 साल रही होगी. जबकि तस्वीर में दिख रहे शख़्स की उम्र 12 से ज़्यादा मालूम होती है. यहां से ये साफ़ होता है कि ब्रिटिश पुलिस जिस व्यक्ति को कोड़े मार रही थी वो भगत सिंह नहीं थे.
2020 में ही द लॉजिकल इंडियन, इंडिया टुडे और फ़ैक्ट क्रेसिंडो ने इस तस्वीर के बारे में फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट पब्लिश की थी.
कुल मिलाकर, इस तस्वीर में जिस व्य्राक्ति को कोड़े मारे जा रहे हैं, वो भगत सिंह नहीं है.
साभार : ऑल्ट न्यूज़
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