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हरियाणा के मानेसर में प्रवासी मजदूर संकट में 

चूंकि मानेसर औद्योगिक शहर की प्रमुख ऑटो कंपनियों ने उत्पादन बंद करने की घोषणा कर दी है, मजदूर अपने घर वापस जाने लगे हैं क्योंकि उन्हे डर है कि पिछले साल की तरह जल्द ही उनकी आवाजाही पर रोक लग सकती है।
हरियाणा के मानेसर में प्रवासी मजदूर संकट में 
प्रतीकात्मक फ़ोटो

अभी पूर्ण लॉकडाउन नहीं लगा है, लेकिन देश भर में कोविड कोविड-19 के मामलों में विनाशकारी उछाल देखा जा रहा है – जो देश की पहले से ही कमजोर स्वास्थ्य सुविधाओं पर अतिरिक्त बोझ डाल रहा है - इसने उद्योग जगत को हिला कर रख दिया है, और मानेसर में मोटर कंपनियों को एक बार फिर अपनी असेंबली लाइन का काम जारी रखने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ रहा है।

विनिर्माण इकाइयों में काम करने वाले मजदूरों को पिछले साल बिना नोटिस के लॉकडाउन के दोहराए जाने का डर है और इसलिए उन्होने औद्योगिक शहरों से पलायन शुरू कर दिया है, क्योंकि उन्हे याद है कि कैसे केवल चार घंटे से कम के नोटिस पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया गया था और उनकी आवाजाही पर सख्त रोक लगा दी गई थी।

ट्रेड यूनियनों की माने तो प्रवासी मजदूर अनिश्चितता के माहौल के चलते पहले से कहीं ज्यादा घबरा रहे है। यूनियनों ने इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है - केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का मुकाबला करने के उनके ''ढुलमुल रवैये'' के कारण ये हालत पैदा हुए हैं। 

गुरुवार, 29 अप्रैल को, हरियाणा के गुरुग्राम जिले में हाल की घटनाक्रमों से प्रवासी मजदूर कैसे  मुखातिब हो रहे इसकी एक झलक देखी गई, जब सोशल मीडिया पर बस अड्डों पर काम करने वाले मजदूरों की भीड़ के दृश्य दिखाए गए। वर्कर्स यूनिटी द्वारा पोस्ट की गई एक विशेष समाचार रिपोर्ट में, जोकि एक स्थानीय मीडिया हाउस है, मजदूरों ने, जो पिछले साल के अपने दुखों को याद करते हुए अपने घर वापस जाने के लिए बस में सवार होने के दौरान अपनी चिंताओं को मीडिया के साथ साझा किया।

इसी तरह की खबरें देश के अन्य हिस्सों से भी आ रही है, खासकर दिल्ली, मुंबई और हाल ही में बेंगलुरु से, जहां मंगलवार रात को लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। 

नई मिली जानकारी के अनुसार, गुरुग्राम सहित हरियाणा के नौ जिलों में सप्ताहांत के दौरान लॉकडाउन लागू कर दिया गया है।
मानेसर इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन (MIWA) के उपाध्यक्ष मनमोहन गैंद ने रिवर्स माइग्रेशन की घटनाओं की पुष्टि की है। उन्होंने शुक्रवार को न्यूज़क्लिक को बताया, कि "लगभग आधे प्रवासी मजदूर" जो मानेसर में काम करते हैं, जो कि मोटर वाहन विनिर्माण का माने जाना वाला हब है और जिसका अधिकार क्षेत्र गुरुग्राम जिले के अंतर्गत आता है, "औद्योगिक शहर छोड़ चुके हैं।"

मानेसर और गुरुग्राम सहित और उसके आस-पास के इलाकों में पिछले कुछ दिनों में कोविड संक्रमण के मामलों में तेजी आई हैं, ऑटो विनिर्माण की कई इकाइयों में - विशेष कर प्रमुख इकाइयों ने अपना काम फिलहाल बंद करने का फैसला किया है। इसने प्रवासी मजदूरों को फिर से पलायन करने पर मजबूर कर दिया है क्योंकि पिछले साल के लॉकडाउन का डर अभी भी उनके जेहन में बना हुआ है,” उक्त बातें गैंद ने बताई। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा इसलिए भी अधिक हो रहा है क्योंकि अंतरराज्यीय परिवहन सुविधाएं अभी भी खुली हुई हैं।

28 अप्रैल को, भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने 1 मई एक से जून तक कारखानों के अपने द्वि-वार्षिक रखरखाव को उन्नत बनाने के लिए बंद कर दिया है, जो नौ दिनों तक चलेगा। कंपनी के एक बयान के अनुसार, हरियाणा और गुजरात में सभी विनिर्माण इकाइयों को बंद किया जाएगा, ताकि चिकित्सा के इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

मारुति सुजुकी, कार निर्माण प्रक्रिया के तौर पर, जानकारी के तौर पर अपने कारखानों में ऑक्सीजन की थोड़ी मात्रा का ही इस्तेमाल करती है। जबकि, इसके घटक निर्माताओं द्वारा ऑक्सीजन का बहुत बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता हैं।
कोविड-19 संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना कर रही  केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल को इस महीने की शुरुआत में औद्योगिक इस्तेमाल के लिए तरल ऑक्सीजन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी।  

इसी तरह, क्षेत्र की अन्य प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियां – जैसे कि हीरो मोटोकॉर्प, होंडा मोटरसाइकिल और स्कूटर इंडिया ने भी विनिर्माण इकाइयों को बंद करने के अपने निर्णय की घोषणा कर दी है।

इस बीच, मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में मजदूर यूनियन के पूर्व पदाधिकारी कुलदीप झंगु ने शुक्रवार को दावा किया कि कोविड-19 संक्रमण के कारण मारुति में मजदूरों की बढ़ती मौतों के कारण, कंपनी ने रखरखाव के लिए प्लांट को पहले बंद करने का निर्णय लिया है।

“इस महीने कोविड-19 की वजह से मारुति के कामगारों और उनके परिवार के सदस्यों दोनों मिलाकर लगभग 12 लोगों की जान गई है। झंगु ने दावा किया कि उनकी सभी यूनियनों ने विनिर्माण इकाइयों में उत्पादन को रोकने और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कंपनी पर दबाव डाला था।

न्यूजक्लिक ने स्वतंत्र रूप से इन दावों की जांच नहीं की है, लेकिन मारुति सुजुकी की गुरुग्राम और मानेसर कारखाने की इकाइयों में कोविड-19 के कारण मजदूरों की मौतों के समान दावे समाचार रिपोर्टें में देखें जा सकते हैं।

मारुति सुजुकी के सबसे प्रथम श्रेणी के विक्रेता बेलसनिका ऑटो कंपोनेंट प्राइवेट लिमिटेड के एचआर मैनेजर रमेश कुंडू ने न्यूज़क्लिक को बताया कि ऑटो घटक निर्माता भी मारुति सुज़ुकी के निर्णय के अनुरूप अपने मानेसर संयंत्र को "रखरखाव के उद्देश्य" के लिए बंद रखेंगे। “संक्रमण के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ना भी महत्वपूर्ण है। काम को बंद करने से संभवत: यह हासिल करने में मदद मिलेगी।

बेलसनिका कर्मचारी यूनियन के उपाध्यक्ष अजीत सिंह का मानना है कि इस निर्णय से कंपनी के कार्यबल के "महत्वपूर्ण" हिस्से - विशेष रूप से गैर-स्थायी मजदूरों को - अपने राज्यों में  घर वापस लौटने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि रखरखाव के लिए बंद  करने से वेतन में कटौती नहीं होती है।

सिंह ने बताया कि "इस बार मजदूर अपने घर जाने के लिए इसलिए तत्पर नहीं हैं कि उनकी नौकरी छूट गई है, या लॉकडाउन की वजह से वे अपने परिवार से दूर रहने के डर से ऐसा कर रहे हैं – बल्कि वे अच्छी तरह से जानते हैं कि बीमार पड़ने पर उन्हे अस्पताल का बिस्तर, ऑक्सीजन या दवाई की नहीं मिलेगी और इसलिए वे घर वापस जाना चाहते हैं। 

हरियाणा इकाई के सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के सतबीर सिंह इस बात से सहमत हैं। ट्रेड यूनियनों को काफी हद तक हालात को संभालने के उनके प्रयासों में मुश्किल आ रही है, उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, "क्योंकि पिछले साल के विपरीत ये भोजन, राशन या शून्य बचत की बात नहीं है जो वे वापस जा रहे हैं"।

“मोदी सरकार कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के खिलाफ लड़ाई की तैयारी में पूरी तरह से विफल रही है। स्वास्थ्य ढांचा खराब स्थिति में है। शहर में प्रवासी मजदूर सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।

इसी तरह की चिंताओं को जताते हुए, एमआईडब्लूए (MIWA) के गैंद ने कहा कि अगर उद्योग और सरकार दोनों इस बार रिवर्स माइग्रेशन को रोकने में विफल रहे, तो इसके परिणाम लंबे समय तक भुगतने होंगे। उन्होंने कहा, "मजदूरों को वापस लाने में लगभग दो से तीन महीने का समय लगेगा।"

इसके अलावा, हाल के दिनों में बड़ी संख्या में मजदूर अपने गाँव में रहना पसंद करेंगे क्योंकि उनके पास उन शहरों के भयंकर अनुभव हैं जिनमे वे काम करते हैं, गैंद ने कहा। 

दूसरी ओर, टीकाकरण का अभियान जितनी तेजी से चलना चाहिए था नहीं चल रहा है। विशेष रूप से, केंद्र सरकार ने कहा था कि 1 मई से सभी वयस्कों को कोविड-19 के टीके लगाए जाएंगे। हालांकि, टीकों का स्टॉक न होने की वजह से अनिश्चित का वातावरण बना हुआ है, कई राज्यों ने घोषणा कर दी है कि वे टिकाकरण शुरू नहीं कर पाएंगे। 

“कई कंपनियों के मेनेजमेंट अपने कर्मचारियों का टीकाकरण करने को तैयार हैं। लेकिन यह तभी संभव होगा जब पर्याप्त टीके उपलब्ध होंगे। गैंद ने बताया कि मीडिया से मिल रही जानकारियों के अनुसार, मुझे नहीं लगता कि जून या जुलाई से पहले कम से कम मानेसर में कोई भी टीकाकरण अभियान संभव है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार को कोविड-19 संक्रमण के 5,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं, जिससे गुरुग्राम जिले का कुल सक्रिय केस-लोड बढ़कर 33,893 केस हो गया है।  इस बीच, उसी दिन, 455 लोगों ने कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक हासिल की और 1,053 ने अपनी दूसरी खुराक हासिल कर ली है। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

‘Almost Half Have Already Left’: Migrants in Haryana’s Manesar Back on Edge

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