अमेरिकी साम्राज्यवाद शांति और एकजुटता के लिए सबसे बड़ा ख़तरा
पटना: ए.के.सेन भवन से प्रतिभागियों ने मार्च निकाला। 'फिलीस्तीन को इजरायली कब्जे से मुक्त कराओ', 'युद्ध बंद करो', 'शांति कायम करो', 'अमेरिकी साम्राज्यवाद का नाश हो','हथियारों के कारोबार पर रोक लगाओ' जैसे नारों के साथ यह मार्च कंकड़बाग टैंपोस्टैंड तक जाकर पुनः सम्मेलन स्थल तक लौट आया। मार्च का नेतृत्व डॉ सत्यजीत, विजय श्री डांगरे, अर्चना सिन्हा, सर्वोदय शर्मा, विजय कुमार सिंह, भोला शर्मा कर रहे थे।
पटना विश्विद्यालय के शिक्षकेतर कर्मचारियों के राज्य कार्यालय 'ए के सेन भवन' में आयोजित इस सम्मेलन स्थल का नामकरण 'ऐप्सो' के पूर्व महासचिव स्व. फणीश सिंह सभागार डेजी नारायण के नाम पर किया गया था।
उद्घाटन समारोह में सबसे पहले युवा गीतकार राजन द्वारा जनगीत गाया। इसके बाद ब्रज कुमार पांडे द्वारा लिखित 'ऐप्सो' के इतिहास पर केंद्रित पुस्तिका का लोकार्पण किया गया।
सम्मेलन का उद्घाटन के दौरान संगठन के वयोवृद्ध महासचिव और समाजविज्ञानी ब्रज कुमार पांडेय ने प्रतिनिधियों को 'ऐप्सो' के इतिहास से परिचित कराते हुए कहा " विश्व में जब युद्ध का वातावरण बना उस समय 'वर्ल्ड पीस काउंसिल' ने युद्ध से बचाने के लिए कार्य किया। इसे पुनः मजबूत करने की आवश्यकता है। हथियारों की होड़ से विश्व के ख़त्म होने ख़तरा है।'’
''देश में अराजकता का माहौल बन गया है। शांति और एकजुटता कायम करने केलिए देश के बुद्धिजीवियों को सड़क पर उतर कर आंदोलन करना होगा। अन्यथा देश की एकता और अखंडता को सुरक्षित रखना मुश्किल हो जायेगा। इसके लिए भारत में राज्यों के स्तर पर लगातार कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। पटना जिला को ही एक जमाने में बिहार का प्रतिनिधि समझा जाता था। लेकिन एक लंबे समय बाद हुए सम्मेलन कर अपने पुराने गौरव को लौटाने का प्रयास किया गया है। आज मीडिया झूठ फैलाने का सबसे बड़ा माध्यम है। हमलोगों को ऐप्सो की ओर से मीडिया के खिलाफ धरना देने का कार्यक्रम लेना चाहिए।"
'ऐप्सो' के संरक्षक मंडल के सदस्य तथा पटना के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ सत्यजीत ने बिहार में शांति आंदोलन के पुराने दिनों को याद करते हुए कहा " आज अफ्रीका, मध्यपूर्व और लैटिन अमेरिका में जो भी युद्ध चल रहे हैं उसके संचालक यही अमेरिकी साम्राज्यवाद है। मुझे याद है कि वियतनाम वार के समय मेरे पिता जी कहा करते थे कि दुनिया भर में यदि बीस साल तक युद्ध बंद हो जाए तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। अमेरिका यूक्रेन और इजरायल को जो हथियार दे रहा है वह कोई चंदा नहीं है बल्कि उसका पैसा अमेरिका के टैक्स पेयर्स को देना पड़ता है। इसी पैसे से यह युद्ध चलाया जाता है। हमारे देश में इतना अधिक पोलराइजेशन है कि किसी मीडिया चैनल को देखना मुश्किल होता जा रहा है। सोशल मीडिया में सिर्फ धर्म की ही बात हो रहा है। ऐसी स्थिति में ऐप्सो जैसे संगठन के बड़ी भूमिका है। इस अभियान को विश्विद्यालय के युवाओं तक भी ले जाया जाए।"
राज्य अध्यक्ष मंडली सदस्य और इंटक नेता चंद्रप्रकाश सिंह के अनुसार " ऐप्सो ने दुनिया भर में शांति और एकजुटता के लिए जो काम किया, अभियान चलाया वह अतुलनीय है। आज किसान और मजदूर भी फासिस्ट सरकार के विरुद्ध कमर कस रहे हैं। आज अमेरिका शांति और एकजुटता के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बन गया है।"
'ऐप्सो' के राज्य महासचिव सर्वोदय शर्मा ने अपने संबोधन में बताया " अमेरिका की अर्थव्यवस्था युद्ध पर आधारित है। वह चाहता है कि दुनिया के किसी न किसी देश में युद्ध होता रहे ताकि उसके युद्ध सामग्री का व्यापार चले। इससे विश्व में शांति को खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐप्सो विश्व शांति परिषद से जुड़ा हुआ है। इस संगठन को संयुक्त राष्ट्र में औबजरवर का स्टेटस मिला हुुआ है।"
उद्घटान सत्र की अध्यक्षता करते हुए राम बाबू कुमार ने बताया " शांति और एकजुटता के लिये ऐप्सो की सदस्यता समाज के सभी हिस्सों से आने वाले लोगों से होती है। मानवता की रक्षा के लिए यह संगठन मुस्तैदी से कार्य करता है। अब समय आ गया है कि इसे सड़कों पर भी उतारा जाए।"
'ऐप्सो'के राज्य महासचिव अनीश अंकुर ने क्यूबा की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध और शांति के लिए जिस कम्युनिस्ट विरोधी सैनिक ने चे ग्वेरा की हत्या की थी उसके आंख का ऑपरेशन क्यूबा के डॉक्टर ने मुफ्त में किया। इससे बढ़कर कौन सच्चा गांधीवाद हो सकता है। आज सेक्युरिटी काउंसिल में पन्द्रह सदस्य हैं। जिसमें से पांच स्थाई सदस्य हैं। कितने दुर्भाग्य की बात है कि पूरे अफ्रीका महादेश, लैटिन अमेरिका महादेश से एक भी स्थाई सदस्य नहीं है यहां तक कि भारत जैसा दुनिया की बड़ी आबादी वाला देश भी नहीं है। हमें दुनिया की जो खबरें मिलती है उसका अस्सी से पचासी प्रतिशत तक सिर्फ तीन एजेंसियों ए.पी, ए.एफ.पी और रायटर्स से प्राप्त होती हैं। और ये तीनों नाटो के हितों के अनुरूप काम करते हैं। इसे लिए हमें जागरूक होने के लिए ऐप्सो को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।"
सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(सी.पी.आई) के जिला सचिव विश्वजीत कुमार ने बताया " हमलोगों को शांति आंदोलन को पर्यावरण के सवाल से भी जोड़कर देखने की जरूरत है। सड़कों पर ले जाने की जरूरत पर बल दिया। हमें उम्मीद है पटना जिला में ऐप्सो का सम्मेलन हमें युद्ध, साम्राज्यवाद और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ अभियानों को और आगे बढ़ाएगी।"
सम्मेलन के सांगठनिक सत्र की अध्यक्षता लक्ष्मीकांत तिवारी, विजय कुमार सिंह, गजनफर नवाब , मदन प्रसाद सिंह ने किया।
भोला शर्मा ने सांगठनिक रिपोर्ट पेश किया। रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर बदलते शक्ति संबंधो पर प्रकाश डाला गया। विशेषकर अमेरिकी साम्राज्यवाद द्वारा हथियारों पर लगातार बढ़ाते जा रहे खर्च पर चिंता व्यक्त की गई, फिलीस्तीन पर इजरायली हमले और यूक्रेन की आड़ में पश्चिमी साम्राज्यवाद द्वारा रूस को घेरने की रणनीति की चर्चा की गई।
रिपोर्ट पेश होने के बाद प्रतिनिधियों ने रिपोर्ट को समृद्ध बनाने के लिए बहस में हिस्सा लिया। ऐसे प्रमुख लोगों में थे कुमार सर्वेश, उदयन राय, आलोक, उदय प्रताप सिंह, शैलेंद्र कुमार शर्मा, शौकत अली।
सर्वसम्मति से रिपोर्ट पारित होने के बाद नई जिला कमिटी का गठन किया गया जिसमें 65 सदस्यीय जिला परिषद का गठन किया गया। राजीव रंजन ने क्रिडेंशियल रिपोर्ट प्रस्तुत किया।
इस कार्यक्रम में भोला शर्मा, जय प्रकाश और कुलभूषण महासचिव बनाए गए।
सम्मेलन में चुने गए प्रमुख पदाधिकारियों में थे अरुण शादवाल, आशुतोष शर्मा, विजय श्री डांगरे, राजीव रंजन, अभय पांडेय, प्रो सुधीर कुमार, कुमार सर्वेश, अभय पांडे, प्रीति सिंह, गौतम गुलाल, गोपाल गोपी, मंजीत आनंद साहू, डॉ अंकित, राजकुमार शाही, राकेश कुमुद, अखिलेश पांडे, निखिल कुमार झा, अभिषेक कुमार, अशोक यादव, कृष्ण समृद्ध, अनिल अंशुमन, अर्चना सिन्हा, अनिल रजक और भोला पासवान। कोषाध्यक्ष के रूप में गोपाल प्रसाद शर्मा का चुनाव किया गया।
इस मौके पर किताबों का स्टॉल भी लगाया गया। अंत में 'हम होंगे कामयाब' के समवेत गायन से सम्मेलन का समापन हुआ।
सम्मेलन में पटना शहर के प्रमुख रंगकर्मी, साहित्यकार, समाजिक कार्यकर्ता, ट्रेड यूनियन के नेता आदि मौजूद थे। ऐसे प्रमुख लोगों में थे सुधीर कुमार, शगुफ्ता रशीद, कुमार विनिताभ, सुनीता गुप्ता, संजय कुमार कुंदन, रमेश सिंह, सरिता पांडे, मनोज चंद्रवंशी, बिट्टू भारद्वाज,रौशन कुमार, राजकुमार शाही,शशि कुमार, राजीव जादौन, मनोज कुमार, हसन इमाम, राकेश रंजन, कैलाश शर्मा, अभिषेक आनंद, पीयूष रंजन झा, गजेंद्रकांत शर्मा, देवरत्न प्रसाद, चितरंजन लाल भारती, मोहम्मद कैसर, जफर इकबाल, संजय कुमार कुंदन विनीत राय, सुधाकर कुमार, राजू कुमार, मुकेश कुमार रंजन, वेंकटेश शर्मा, धनंजय, कमलकिशोर, समीर कुमार 'शमीम' सुधाकर कुमार, दक्ष दामोदरन उर्फ जेट्टी आदि।
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