बिहारः मिड-डे-मील में लापरवाही, 30 से अधिक बच्चे बीमार
मिड-डे-मील में लापरवाही आम बात हो गई है। स्कूलों में बच्चों के लिए चल रहे इस योजना में खाने में गुणवत्ता की कमी, घटिया राशन, इसके खाने के बाद बच्चों के बीमार पड़ने, खाने में छिपकली,चूहों और जहर के पाए जाने समेत अन्य कई मामले सामने आते रहे हैं। दूषित खाना के चलते बच्चों के बीमार पड़ने की बात सामने आती रही हैं, वहीं कुछ एक मामलों में बच्चों की मौत की घटना भी सामने आई है। ताजा मामला बिहार के भागलपुर का है, जहां मिड डे मील खाने से करीब 30 बच्चे बीमार पड़ गए।
हिंदुस्तान की खबर के अनुसार भागलपुर जिले के नवगछिया के रंगरा प्रखंड अंतर्गत तीनटंगा दियरा के झल्लू दासटोला दुर्गा मंदिर मध्य विद्यालय के 30 से अधिक स्कूली छात्र-छात्राएं गुरुवार को मिड डे मील का खाना खाने के बाद बीमार हो गए। बच्चे उल्टी-दस्त करने लगे। बच्चों की हालत बिगड़ने पर विद्यालय में अफरा-तफरी मच गयी। इनमें 10-12 बच्चों की स्थिति ज्यादा खराब हो गई थी।
बताया गया कि घटना की सूचना शिक्षकों ने छात्रों के अभिभावकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दी जिसके बाद लोगों ने बच्चों को निजी और सरकारी चिकित्सालय पहुंचाया। पहले बच्चों का इलाज दियरा में एक निजी चिकित्सक के यहां हुआ बाद में रंगरा पीएचसी के प्रभारी चिकित्सक डॉ. रंजन एंबुलेंस से बच्चों को रंगरा पीएचसी लेकर आए।
रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को मिड डे मील में तालिका के अनुसार चावल, दाल और सब्जी बच्चों को खिलाया गया। खाना खाने के कुछ देर बाद कुछ बच्चों उल्टी होने लगी। इसके बाद प्रभारी प्रधानाध्यापक ने उल्टी, दस्त की शिकायत करने वाले बच्चों को तिरासी के एक निजी चिकित्सालय और रंगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया।
रंगरा पीएचसी के प्रभारी चिकित्सक डॉ रंजन ने अखबार को बताया कि बच्चे फूड प्वाइजनिंग के शिकार हुए हैं। सभी को स्लाइन चढ़ाया गया है।
बच्चों के बीमार पड़ने से उनके परिजन काफी नाराज हैं। परिजनों का कहना है कि बच्चों की इस स्थिति के लिए प्रधानाध्यापक जिम्मेदार हैं। अभिभावक आनिल मण्डल ने बताया कि स्कूल में बच्चों को सड़ा हुआ पिल्लू वाला चावल खिलाया जाता है। कई बार शिकायत की लेकिन कुछ नहीं होता है। वहीं सुनील मंडल ने कहा कि शिक्षक लोग बढ़िया चावल बेचकर गंदा चावल बच्चों को खिलाते हैं, जिससे बच्चे बीमार पड़ रहे हैं।
भागलपुर में मिड डे मील के खाने से बच्चों के बीमार होने की ये घटना अकेली नहीं है। देश भर मिड डे मील के खाने को लेकर लापरवाही सामने आती रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते महीना झारखंड की राजधानी रांची के सिल्ली के राजकीयकृत मध्य विद्यालय बांसारुली में को मिड डे मील के दाल में छिपकली पाई गई थी। जिससे 25 बच्चे बीमार पड़ गए थें। खाना खाने के बाद बच्चों ने गले में जलन के साथ उल्टी की शिकायत की थी जिसके बाद उन्हें इलाज के अस्पताल ले जाया गया था।
अभिभावकों ने मीडिया को बताया था कि किसी बच्चे ने दाल में गिरी हुई छिपकली देख ली थी। बाद में बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी थी।
वहीं इसी साल अप्रैल महीने में राजस्थान के दौसा जिले के नांगल थाना क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील योजना के तहत परोसी गई खिचड़ी खाने से 22 बच्चे बीमार पड़ गए थें।
उधर अप्रैल महीने में ही बिहार के दरभंगा जिले से खाना खाने से 6 बच्चों के बीमार पड़ गए थें। इसी दौरान बिहार के मधेपुरा जिले में मिड डे मील खाने से 24 से अधिक बच्चे बीमार पड़ गए थे। यहां बच्चों को जब खाना परोसा गया था तो कई बच्चों ने खाने से बदबू आने की बात कह कर खाना खाने से मना कर दिया था। ऐसे में विद्यालय में मौजूद शिक्षकों ने जब भोजन को चखा तो बच्चों की शिकायत को सही पाया, जिसके बाद भोजन परोसने से मना किया गया लेकिन तब तक कुछ बच्चे भोजन कर चुके थे। बाद में इन्हीं बच्चों ने पेट में दर्द की शिकायत की थी।
बिहार के सुपौल में ही इस साल मार्च महीने में स्कूल में बच्चों को दिए जाने वाले खाने में कीड़ा मिलने का मामला सामने आया था। बच्चों को खिचड़ी में खाते वक्त कीड़ा मिल गया था। उसके बाद 289 बच्चों ने खाना खाने से इंकार कर दिया था। कुछ बच्चों का कहना था कि इससे पहले भी एमडीएम का खाना खाने से उनके पेट में दर्द हुआ था जिसकी वजह से वे लोग कई महीनों से स्कूल मिड डे मील का खाना नहीं खाते थे।
इसी साल दरभंगा की घटना के बाद बिहार के छपरा में मिड डे मील में मरी हुई छिपकली मिलने की घटना सामने आई थी। अभिभावकों ने इसको लेकर जमकर विरोध किया था। स्कूल में एक एनजीओ की ओर से मिड डे मील मुहैया कराया जाता है। इस घटना के बाद स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों ने एनजीओ से खाना मंगवाने को लेकर विरोध किया था।
ज्ञात हो कि बीते साल दिसंबर महीने में कर्नाटक के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील का खाना खाने के बाद 80 बच्चे बीमार पड़ गए थें। यह मामला कर्नाटक के हावेरी जिले की थी। टंडा गांव के वेंकटपुरा में सरकारी स्कूल के मिड-डे मील में मरी हुई छिपकली मिली थी।
बीते साल दिसंबर में ही उत्तरप्रदेश में मिड-डे मील में लापरवाही का मामला सामने आया था। मुजफ्फरनगर के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मिल का खाना खाने से एक अध्यापक समेत 9 बच्चे बीमार पड़ गए थें। इसके बाद मिड-डे मील की गहनता से जांच की गई तो भोजन में एक मारा हुआ चूहा मिला था।
करीब नौ वर्ष पहले बिहार के सारण जिले के मशरक स्थित धर्मासती गंडामन नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में 16 जुलाई 2013 को एक बेहद दर्दनाक घटना घटी थी जिसने पूरे देश को झकजोर दिया था। यहां जहर मिला मिड डे मील खाने से करीब 23 बच्चों की मौत हो गई थी। वहीं 50 से अधिक बच्चे बीमार पड़ गए थे। इस हादसे के बाद वर्ष 2013 में ही बिहार के ही एक और स्कूल में मिड-डे मील खाने से 40 बच्चे बीमार पड़ गए थे।
करीब 8 वर्ष पहले तरनतारन में सरकारी एलीमेंट्री स्कूल रसूलपुर (बीड़ राजा तेजा सिंह) में मिड-डे-मील खाने से करीब 55 बच्चे बीमार पड़ गए थें।
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