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बिहार: दरभंगा एम्स की मांग को लेकर युवाओं ने किया अनशन, ‘पदयात्रा निकालने’ का ऐलान

मिथिला स्टूडेंट यूनियन से जुड़े कुछ युवा बिहार में दरभंगा एम्स के निर्माण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे। इन युवाओं ने ऐलान किया है कि अगले महीने अक्टूबर में ये पूरे मिथिला क्षेत्र में पदयात्रा निकालेंगे।
Bihar

जब भारत के गृह मंत्री अमित शाह 16 सितंबर को बिहार स्थित मधुबनी जिला के झंझारपुर में रैली कर रहे थे, उस दौरान उसी क्षेत्र के कुछ युवा दरभंगा में एम्स के निर्माण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थें। ये सभी युवा मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सदस्य हैं। यहां उसी दरभंगा एम्स की बात हो रही है जिसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने यानी अगस्त 2023 में कहा था कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बिहार के दरभंगा में नए-नए एम्स खोले गए हैं। जबकि दरभंगा के लिए प्रस्तावित ज़मीन पर एक ईट तक नहीं गिरी है।

गौरतलब है कि 2015 में दरभंगा एम्स सहित देश के कई राज्यों में एम्स निर्माण की घोषणा की गई थी और स्वीकृति सितंबर, 2020 में मिली थी। कई राज्यों में तो इलाज भी शुरू हो चुका है जबकि दरभंगा एम्स के बनने की शुरुआत भी नहीं हुई है। 

लगभग 10 दिन तक चले इस अनशन में शामिल नीरज बताते हैं कि, "अमित शाह के आने से पहले हमारे संगठन के लड़कों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात की थी। उन्होंने भरोसा दिलाया था कि केंद्रीय गृह मंत्री जब झंझारपुर आएंगे तो दरभंगा एम्स पर सकारात्मक बात बोलेंगे। लेकिन गृह मंत्री ने भाषण में इतना कहा कि दरभंगा एम्स लटक गया है। गड्ढे में दरभंगा एम्स नही बन सकता। कितना बचकाना बयान है। हमने अभी अनशन ज़रूर समाप्त किया है लेकिन अक्टूबर में पूरे मिथिला क्षेत्र में हम लोग पदयात्रा निकालेंगे।"

वहीं मिथिला छात्र संगठन के सदस्य उदय नारायण झा बताते हैं कि, "कर्पूरी ठाकुर चौक पर आमरण अनशन पर बैठे कुछ साथी अस्पताल में भर्ती भी हुए, लेकिन दरभंगा प्रशासन ने कभी भी सकारात्मक तौर पर पहल नहीं की। हमने रिक्शा चालक के हाथों जूस पीकर अनशन समाप्त किया गया। अक्टूबर में हम लोग पूरी तैयारी के साथ पदयात्रा निकलेंगे और एम्स के लिए लड़ेंगे।"

झंझारपुर में भाषण के दौरान अमित शाह ने दरभंगा एम्स पर बोलते हुए कहा कि "नीतीश बाबू बोलते रहते हैं, बहुत कम प्रदेश हैं जहां पर दो एम्स दिए गए हैं। मोदी जी ने पटना में एम्स दिया। 2020 दिसंबर में दरभंगा में दूसरा एम्स दिया। नीतीश जी ने पहले मेडिकल कॉलेज के लिए 81 एकड़ भूमि दे दी, बाद में इसको वापस ले लिया। अगर नीतीश जी ने भूमि वापस न ली होती तो आज यहां पर एम्स बन गया होता और मरीज़ों का इलाज हो रहा होता।

हालांकि अमित शाह के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हुई और लोगों ने इसे झूठ बताया। राजद नेत्री रितु जायसवाल लिखती है कि, 'पूर्णिया एयरपोर्ट' और 'दरभंगा एम्स' के बारे में बिहार के लोगों को भ्रमित करने के बाद आज गृहमंत्री अमित शाह ने, एक बार फिर से, झूठ बोला है। शाह के अनुसार, मोदीजी ने बिहार को पटना एम्स दिया। वास्तविकता यह है कि नरेंद्र मोदी मई 2014 में प्रधानमंत्री बने, जबकि पटना एम्स का उद्घाटन दिसंबर 2012 में ही हो चुका था।"

"आंदोलन कमज़ोर करने के लिए हमारे साथी को किया गया गिरफ्तार"

दरभंगा के स्थानीय निवासी और मिथिला छात्र संगठन से जुड़े दिवाकर बताते हैं, "जब हमारे साथी दरभंगा एम्स के लिए आमरण अनशन पर बैठे थे, तभी हमारे इंकलाबी साथी बेनीपुर से जिला परिषद सह जिला शिक्षा समिति के सदस्य सागर नवदिया एवं अमित ठाकुर को DDC एवं जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के प्रशासनिक हस्तक्षेप व मिलीभगत से गिरफ्तार किया गया, क्योकि इन्होंने DDC एवं अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के ख़िलाफ़ आवाज बुलंद की था। सागर नवदिया एवं अमित ठाकुर की गिरफ्तारी राजनीतिक प्रयोग है। प्रशासन को लगता है कि इससे वो हमारे एम्स आंदोलन को ध्वस्त कर देंगे।"

वहीं एमएसयू से जुड़े गोपाल ठाकुर बताते हैं कि, "जिस केस में सागर और अमित को गिरफ्तार किया गया है उसमें 13 जिला परिषद के ख़िलाफ़ FIR दर्ज किया गया था। लेकिन गिरफ्तारी सिर्फ इन दोनों की हुई। वह भी उस वक्त जब अमित शाह मिथिला में भाषण देने आए थे और हम सरकार के ख़िलाफ़ आमरण अनशन पर बैठे हुए थे।"

एम्स पर पक्ष और विपक्ष का दलील

पीएम मोदी के बयान के बाद एम्स के मामले ने तूल पकड़ा था। पक्ष और विपक्ष इसके लिए एक-दूसरे को ज़िम्मेदार ठहराते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि 26 मई 2023 को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने बिहार सरकार को चिट्ठी के माध्यम से बताया था कि बिहार सरकार जिस जगह पर एम्स के लिए ज़मीन दे रही है, वह सही नहीं है। हमें गुणवत्ता वाली मिट्टी की ज़रूरत होगी जो संभवत: दरभंग क्षेत्र के आसपास न मिले। 

एम्स की ज़मीन दरभंगा शहर के शोभन-भरौल बाइपास के पास स्थित है। यह शहर से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है। इस ज़मीन को देने की पेशकश पंचोभ गांव के मुखिया राजीव चौधरी ने की थी। वो बताते हैं कि, "151 एकड़ ज़मीन एम्स को दिया गया है। जिसमें 20 एकड़ ज़मीन स्थानीय किसानों की है बाक़ी सरकार की। किसानों को भी ज़मीन अधिग्रहण से कोई समस्या नहीं है। इसलिए सरकार ने इस ज़मीन का चयन किया था। ज़मीन सड़क से नीचे की तरफ़ है। मिट्टी भर कर ही कोई विकास का काम यहां संभव हैं।"

मधुबनी जिला स्थित ग्राम पंचायत सिसौनी के मुखिया प्रत्याशी प्रजापति झा कहते हैं कि, "भारत सरकार को पैसा देना है और बिहार सरकार को ज़मीन उपलब्ध करवानी है। कुछ समझ नहीं आ रहा है आखिर किसी भी सरकार को क्या आपत्ति हो सकती है। ज़मीन में अगर गड्ढा है तो मिट्टी आसानी से मिल जाएगी। वैसे भी मिथिला के अधिकांश क्षेत्रों में निचले इलाक़े में मिट्टी भरकर ही इंजीनियरिंग, आइटीआई और पॉलिटेक्निक कॉलेज बना है। इसके अलावा कई निजी इमारतें और सरकारी भवन ऐसी ही ज़मीन पर बने हैं।"

वहीं मिथिला छात्र संगठन के सदस्य उदय नारायण झा बताते हैं कि, "मिथिला की भौगोलिक स्थिति यह हैं कि प्रत्येक दो गांव के बीच में एक निचली ज़मीन होती है और प्रत्येक शहर के चारों तरफ निचली ज़मीन है। इस हिसाब से चंपारण से लेकर कटिहार तक कोई भी विकास की योजना नहीं लग सकती।"

बिहार की प्लूरलस पार्टी की अध्यक्ष और युवा नेता पुष्पम प्रिया बताती है कि, "दरभंगा एम्स के निर्माण में अनावश्यक विलंब हो रहा है। मिथिला के युवा अनशन कर रहे हैं और मिथिला के नकली नेता दरबारी और दलाली। जब तक मिथिला के सम्मान का सौदा करने वालों को सबक नहीं सिखाया जाएगा तब तक शहर की ट्रैफिक की तरह यहां विकास भी जामग्रस्त रहेगा।"
 

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