ब्राज़ील : शीर्ष अदालत ने दंगों को लेकर पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो के ख़िलाफ़ जांच को मंज़ूरी दी
ब्राज़ील के सुप्रीम कोर्ट ने देश की राजधानी में आठ जनवरी को हुए दंगों को लेकर व्यापक कार्रवाई के तहत पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो को भी जांच के दायरे में लाने की मंज़ूरी दे दी है।
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के अनुसार, जस्टिस एलेक्जांद्रे डी मोरेस ने बोल्सोनारो के ख़िलाफ़ जांच के महाभियोजक कार्यालय के अनुरोध को स्वीकार कर लिया। इस कार्यालय ने अपने अनुरोध में दंगों के दो दिन बाद बोल्सोनारो द्वारा फेसबुक पर पोस्ट किए गए वीडियो का जिक्र किया। वीडियो में दावा किया गया था कि लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा मतों के आधार पर राष्ट्रपति नहीं बने, बल्कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट और ब्राजील के निर्वाचन प्राधिकरण ने चुना है।
हाल में गठित अभियोजकों के समूह ने शुक्रवार को तर्क दिया था कि भले ही बोल्सोनारो ने यह वीडियो दंगों के बाद साझा किया था, लेकिन इसकी सामग्री उनके पहले के आचरण की जांच को उचित ठहराने के लिए पर्याप्त है। बोल्सोनारो ने इस वीडियो को अगले दिन सुबह हटा दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद बोल्सोनारो के वकील फ्रेडरिक वासेफ ने एक बयान में कहा कि पूर्व राष्ट्रपति आठ जनवरी को हुई तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करते हैं, लेकिन उन्होंने इसके लिए प्रदर्शनकारियों के बीच घुसे ‘‘बाहरी तत्वों’’ को ज़िम्मेदार ठहराया।
अभी तक यह जांच बोल्सोनारो के कार्यकाल में न्याय मंत्री रहे एंडरसन टोरेस पर केंद्रित थी, जो दो जनवरी को संघीय ज़िला सुरक्षा प्रमुख बने थे और दंगे के दिन अमेरिका में थे।
डी मोरेस ने टोरेस की इस सप्ताह गिरफ्तारी का आदेश दिया और उनके कार्यों को ‘‘लापरवाही एवं सांठगांठ’’ क़रार देते हुए जांच का आदेश दिया। डी मोरेस ने कहा कि टोरेस ने अपने अधीनस्थों को बर्ख़ास्त कर दिया और दंगे से पहले देश छोड़ दिया जो इस बात का संकेत है कि वह अशांति पैदा करने के लिए जानबूझकर आधार तैयार कर रहे थे।
न्याय मंत्री फ्लेवियो डिनो ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सुरक्षा प्रमुख की गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया है और उन्हें तीन दिन के भीतर वापस आना होगा, अन्यथा ब्राजील उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध करेगा।
टोरेस ने स्वयं पर लगे आरोपों का खंडन किया है।
उल्लेखनीय है कि बोल्सोनारो के समर्थकों ने आठ जनवरी को राजधानी में सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति भवन और अन्य संस्थानों पर धावा बोला दिया था।
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