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आयरलैंड : मज़दूर विरोधी औद्योगिक अधिनियम को ख़त्म करने का अभियान

वर्तमान नव-उदारवादी वातावरण में श्रमिकों को अपने हितों की रक्षा के लिए, प्रतिबंधात्मक 1990 अधिनियम को तत्काल निरस्त करने की ज़रूरत है।
Campaign to Abolish Ireland

ट्रेड यूनियन गतिविधियों को नियंत्रित करने के एक तंत्र के रूप में 18 जुलाई, 1990 में औद्योगिक सम्बन्ध अधिनियम (आईआरए) को आयरलैंड में पेश किया गया। यह उसी प्रकार का क़ानून था जिसे ब्रिटेन की देखादेखी लाया गया, जहाँ पर 1970 और 80 के दशक में लोकप्रिय असंतोषों के कारण बढ़ती हड़तालों और औद्योगिक अशांति के चलते लागू किया गया था। यह सब युद्धोपरान्त श्रमिकों को सामाजिक लोकतंत्र के तहत मिलने वाले लाभों में कटौती के कारण पनप रहे थे। यूनियनों को नरम बनाया जा रहा था और सामाजिक भागीदारी के तहत राज्य के साथ उनके सम्बन्ध काफ़ी मधुर हो चले थे, जिसके कारण आईआरए अधिनियम को न्यूनतम हो-हल्ले के पेश किये जाने की अनुमति मिल सकी।

कुछ यूनियनों के भीतर राजनीतिक हड़तालों, छोटे मोटे घेराव, व्यक्तिगत स्तर पर किसी श्रमिक के अधिकारों और हड़ताल के चुनाव की ज़रूरत में बदलाव की ज़रूरतों संबंधी अधिनियम के कई पहलुओं को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े किये गए थे। हालाँकि तब के श्रम मंत्री बर्टी अहेर्न द्वारा बार बार के आश्वासनों और गारन्टी देने के चलते अधिनियम को स्वीकृति मिल गई और पारित हो गया। चूँकि वे पूर्व में श्रमिक संगठन में पदाधिकारी थे, इसलिए उन्हें श्रमिक संगठनों के प्रति हमदर्दी रखने वाले एक मित्र के रूप में स्वीकृति मिली हुई थी।

आईआरए ने उस समय तक के कई स्वीकृत मानदंडों में बदलावों को पेश करने का काम किया। श्रमिक की परिभाषा को बेहद ढीला ढाला बना दिया, और स्व-रोज़गार और ठेके पर काम कर रहे श्रमिकों को इस विकसित हो रही अर्थव्यवस्था के समक्ष बिना किसी सुरक्षा के उनके हाल पर छोड़ दिया गया। झूठे स्व-रोज़गार का बोलबाला अपने उठान पर था, जिसके आज भी गहरे प्रभाव हैं।

नए अधिनियम में निर्धारित किया गया है कि सामूहिक कार्रवाई किए जाने से पहले सभी सहमत प्रक्रियाओं को समाप्त किया जाना चाहिए। इस प्रकार सामूहिक कार्रवाई से पहले किसी भी मुद्दे या विवाद को एक अधिकार आयुक्त, कार्यस्थल संबंध आयोग और श्रम न्यायालय द्वारा निपटाया जाना चाहिए। पूरी प्रक्रिया में महीनों लग सकते हैं, यदि वर्ष नहीं, तो अंत में बहाली की कोई गारंटी नहीं है। महीनों और वर्षों के लिए इस प्रक्रिया से बाहर खींचने से व्यक्तिगत कार्यकर्ता के समर्थन में सहकर्मियों द्वारा तत्काल कार्रवाई की शक्ति को हटा दिया गया।

किसी एक श्रमिक के विवाद के संदर्भ में भी, उस श्रमिक को व्यक्तिगत तौर पर उसके हाल पर छोड़ दिया गया। चूँकि नए अधिनियम में यह निर्धारित तय किया गया है कि सभी सहमत प्रावधानों की प्रक्रिया से गुज़रने के बाद भी यदि फिर भी मुद्दे या विवाद बने रहते हैं तब कहीं जाकर सामूहिक कार्यवाही की जा सकती है। इस प्रकार अब किसी भी सवाल या विवाद को पहले अधिकार आयुक्त, कार्यस्थल संबंध आयोग और श्रम न्यायालय द्वारा निपटाया जाना चाहिए, तब कहीं जाकर इसे सामूहिक निर्णय के लिए नामित कर सकते हैं। इस सारी प्रक्रिया में अगर वर्षों नहीं तो कई महीने तो लग ही सकते थे, और इस बात की भी कोई गारन्टी नहीं है, कि अंत में बहाली हो ही जाए।

इस प्रक्रिया को खिंचते-खिंचते महीनों और वर्षों लग जाते और किसी श्रमिक के समर्थन में साथी-श्रमिकों के द्वारा तुरंत कार्यवाही करने के अधिकारों को इस क़ानून ने प्रभावी रूप से ख़त्म कर दिया। इस लम्बी क़ानूनी चकरघिन्नी में फँसने के चलते कुछ ही समय के दौरान मज़दूर आंदोलनों की लड़ाई और उसकी ताक़त कमज़ोर होती गई। इस प्रकार आईआरए ने व्यक्तिगत स्तर पर मज़दूरों को भारी नुक़सान में डाल दिया और ट्रेड यूनियन के सिद्धांत “किसी एक के घायल होने का मतलब है कि सभी को चोट पहुंची है” के मूल पर चोट पहुँचाने का काम किया है।

हालाँकि वर्तमान दौर में भयानक निजीकरण के दौर के कारण आयरलैंड में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के श्रमिक आज कहीं अधिक असहाय स्थिति से गुज़र रहे हैं। ख़ासतौर पर इस बेचारगी का शिकार आयरलैंड में राज्य परिवहन कम्पनी, कोरस लोम्पैर एइरेन्न (सीआईई) के कर्मचारी हैं, जिसने अपनी सेवाओं के 10% हिस्से को बेचने का फ़ैसला किया है। यही सब ख़तरा निजीकरण के प्रभुत्व में आ जाने के कारण आयरलैंड के ऊपर मंडरा रहा है। इस सबका व्यापक प्रभाव राज्य-स्वामित्व वाली बिजली आपूर्ति मण्डल (ESB) के साथ राज्य क्षेत्र के सभी श्रमिकों पर पड़ने जा रहा है।

इसके अतिरिक्त इस एक्ट के अंतर्गत सांकेतिक धरना और हड़ताल को समर्थन देने पर भी प्रतिबंध है। हालिया बस एरेअन्न विवाद में यह डबलिन बस डिपो और आयरिश रेल डिपो का सांकेतिक धरना ही था, जिसने अंततः कम्पनी को वार्ता की मेज़ पर आने के लिए बाध्य कर दिया। हालाँकि यह ग़ैरक़ानूनी था और जिन मज़दूर संगठनों ने इसमें भाग लिया था उन्हें इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ सकती थी। अगर यह साबित हो जाता कि इस ग़ैर-क़ानूनी कार्यवाही के पीछे इन यूनियनों का हाथ है तो उन्हें अपनी मोलभाव करने के लाइसेंस और अपनी संपत्तियों के अधिकार से हाथ धोना पड़ सकता था। 

नए क़ानून के अनुसार अब से यह भी अनिवार्य हो गया है कि किसी भी हड़ताल की कार्यवाही को करने से पहले सभी सदस्यों के बीच गुप्त मतदान कराया जाएगा। अगर बहुमत का फ़ैसला हड़ताल के पक्ष में आता है तो आगे के क़दम उठाने से पहले यूनियन के पदाधिकारियों को इस पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगाने का अंतिम अधिकार है। इस क़ानून के चलते यह देखने में आया है कि जब तक हड़ताल के पक्ष में ज़बरदस्त माहौल न हो, श्रमिक संघों के पदाधिकारी आमतौर पर हड़तालों के पक्ष में उदासीन नज़र आते हैं।

इसके अलावा यदि हड़ताल का निर्णय भी ले लिया गया है, लेकिन तब भी नियोक्ता को सात दिन का नोटिस भेजना अनिवार्य है। हालाँकि कुछ औद्योगिक विवादों में, ख़ासकर जहाँ श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का सवाल खड़ा होता है, इस प्रकार की तत्काल कार्यवाही करने की ज़रूरत होती है। एक दूसरे उदाहरण में देखें तो अभी हाल ही में क्लेर्य्स डिपार्टमेंटल स्टोर में जहाँ के व्यवसाय को बेच दिया गया और तत्काल बंद कर दिया गया था, जिसके चलते 400 लोगों को उनकी नौकरी से निकाल दिया गया था, वहाँ पर भी तत्काल कार्यवाही की ज़रूरत थी, लेकिन 1990 आईआरए के तहत ऐसा करना ग़ैर-क़ानूनी होता।

यहाँ तक कि धरने पर बैठना भी अधिनियम के तहत ग़ैरक़ानूनी है। इस प्रकार के प्रतिबंधों ने सिर्फ श्रमिकों की स्थिति को और कमज़ोर किया है, जबकि नियोक्ताओं का पक्ष क़ानूनी दावों के अनगिनत संभावनाओं के रूप में मज़बूत बना डाला है, जिसमें वे क़ानून सम्मत हड़ताल, वैधानिक चुनाव या विवादों की न्यायिक व्याख्याओं का सहारा ले सकते हैं।

जहाँ पूर्व में मतपत्रों का अधिकार श्रमिक संघों का पूरी तरह से आतंरिक मसला होता था, लेकिन 1990 के अधिनियम में यह नियोक्ताओं को इसे संचालित किये जाने के सन्दर्भ में सवाल खड़े करने की शक्ति देता है। वास्तव में, यह फ़ैसला करने का अधिकार न्यायपालिका के हाथ में दे दिया गया है जो आयरलैंड में अक्सर श्रमिकों के हक के ख़िलाफ़ फ़ैसले देती है। हालिया रयानएयर पायलट्स विवाद में भी यूनियन के ख़िलाफ़ न्यायालय द्वारा निषेध इस आधार पर सुरक्षित था कि 180 में से मात्र 70 श्रमिक ही वोट करने के हक़दार थे, जिन्होंने असल में वोट दिया था। यह 1990 अधिनियम की ताक़त को दर्शाता है। इस तरीक़े से हड़तालों और औद्योगिक कार्यवाहियों में कई हफ़्तों की देरी हो सकती है, जिससे नियोक्ताओं को हड़ताल के असर को कम करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने का मौक़ा मिल जाता है।

नियोक्ताओं के पास औद्योगिक कार्यवाही के कारण उनके लाभ में होने वाले नुक़सान पर श्रमिक संघों के ख़िलाफ़ मक़दमा ठोंकने को भी आईआरए ने संभव बना दिया है। यह श्रमिक आंदोलन को कमज़ोर करने वाला बेहद अहम फ़ैसला था, जबकि 1906 अधिनियम में इस प्रकार की कार्यवाही से छूट मिली हुई थी।

ट्रेड यूनियन अधिनियम सामाजिक एकजुटता के मूल्यों को बढ़ावा देने और बाज़ार तथा व्यक्तिवाद के सामाजिक तौर पर जंग लगाने वाले प्रभावों पर रोक लगाने का काम करते आए हैं। इस संबंध में, 1990 के आईआरए को आयरलैंड के इतिहास में श्रमिकों के अधिकारों को सबसे अधिक कमज़ोर किये जाने के रूप में देखा जा रहा है। 1997 के एक सर्वेक्षण में, 73% संघ के पदाधिकारियों ने माना कि आईआरए  एक ग़लती थी, और इसे इसके वर्तमान स्वरूप में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए था।

इस अधिनियम को समाप्त करने और यूनियन की पहुंच,  यूनियन की मान्यता और इसे पूर्ण सामूहिक सौदेबाज़ी के अधिकार के साथ प्रतिस्थापित करने के लिए अभियान तेज़ हो रहे हैं। चार ट्रेड यूनियनों ने, जो देश में सभी श्रमिक संघों के एक तिहाई सदस्यों का अर्थात 200,000 श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं, ने पहले से ही इस अधिनियम को निरस्त करने की नीति अपनाई हुई है।

जहाँ एक ओर भुगतान की शर्तों पर हमले हो रहे हैं और साथ ही बढ़ती असमानता और ग़रीबी ने आयरलैंड में श्रमिक वर्ग को संकट की स्थिति में ला खड़ा कर दिया है। वर्तमान नव-उदारवादी माहौल के तहत श्रमिकों को आत्मरक्षा के लिए, यदि ट्रेड यूनियन आंदोलन को बचाए रखना है तो 1990 के अधिनियम को निरस्त करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि उनके बीच आत्मसम्मान और एकजुटता को वापस जुटाकर श्रमिकों की ताक़त को मज़बूत किया जा सके।

संघर्षों के ज़रिये ही लोगों में वर्ग चेतना का उदय होता है. यह समय की माँग है कि देश में मज़दूरों के ख़िलाफ़ छिडे वर्ग संघर्ष के जवाब में ट्रेड यूनियन आंदोलनों को अग्रगति दी जाए. इसे करने के लिए, शक्ति संतुलन को पूँजी की जगह श्रम की ओर झुकाना ही पड़ेगा। इसे सुनिश्चित करने के लिए पहला कदम 1990 के इंडस्ट्रियल रिलेशन एक्ट और उसी के समान उत्तरी आयरलैंड में यूनियन-विरोधी क़ानून को निरस्त करने के रूप में होगा। श्रमिक संघों का ख़ुद को और जुझारू बनाने की आवश्यकता है, वरना वे बेअसर हो जाएँगी।

**जिमी डोरान राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य हैं और आयरलैंड की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की ट्रेड यूनियनों के प्रवक्ता हैं।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Campaign to Abolish Ireland’s Anti-Worker Industrial Relations Act

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