क्षमा क्षमा क्षमा, ...तो क्षमा कर दीजिए !
अब तक 15 लाख आप लोगों के खाते में नहीं आया तो क्षमा…, नोटबंदी में आप लाइन में लगे इसके लिए भी क्षमा..., किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई तो क्षमा..., सिलेंडर के दाम बढ़ने के लिए भी...और आप जनता को जो भी ग़लत लगता हो उन सभी के लिए भी...
चुनावों के दौरान नेता सत्ता हासिल करने के लिए जनता से बड़े-बड़े वादे करते हैं और जब वे जीत जाते हैं, उन्हें कुर्सी हासिल हो जाती तो वे उन वादों को नज़रअंदाज़ करने लगते हैं और अपनी रोटियां सेंकने लगते हैं।
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