‘हानिकारक कचरे के निस्तारण में विलंब भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के स्वास्थ्य के अधिकार का हनन’
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने शनिवार को कहा कि 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के स्थल पर कई टन हानिकारक कचरा पड़ा है और इसके निस्तारण में देरी से भूजल तथा मृदा दूषित होती है जो पीड़ितों और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार का ‘‘प्रत्यक्ष तौर पर हनन’’ है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा यहां आयोजित मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मिश्रा ने कहा कि वैश्वीकरण का एक परिणाम अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और कुछ देशों में धन का सकेंद्रण है।
एनएचआरसी प्रमुख ने कहा, ‘‘औद्योगिक आपदाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय उद्यमों की ज़िम्मेदारियां अच्छी तरह से परिभाषित करनी होगी।’’
उन्होंने 1984 में भोपाल में एक वैश्विक कंपनी के संयंत्र में हुई गैस त्रासदी का हवाला दिया जिसे दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। इस त्रासदी के बाद बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनियन कार्बाइड को वैश्विक आलोचना का सामना करना पड़ा था।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘तक़रीबन 3,000 लोगों की मौत हुई। परिसर में क़रीब 336 टन हानिकारक कचरा अब भी पड़ा हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह संपत्ति एक मालिक से दूसरे मालिक के पास चली गयी। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा ऐसे हानिकारक कचरे के निस्तारण में देरी से भूजल और मृदा दूषित हुई और यह पीड़ितों तथा इलाक़े के निवासियों के स्वास्थ्य के अधिकार का प्रत्यक्ष तौर पर हनन है।’’
उनकी यह टिप्पणी मध्य प्रदेश की राजधानी में हुई भीषण घटना के 38 साल पूरे होने के कुछ दिनों बाद आई है। दो-तीन दिसंबर, 1984 की सर्द रात में भोपाल में यूनियन कार्बाइड की कीटनाशक फ़ैक्टरी से निकली ज़हरीली गैस ने हज़ारों लोगों की जान ले ली।
इस साल तीन दिसंबर को भोपाल में कई लोगों ने इस घटना और इसके पीड़ित लोगों की याद में निष्क्रिय यूनियन कार्बाइड फ़ैक्टरी तक मार्च किया था।
इस बीच एनएचआरसी के एक अधिकारी ने मोदी का संदेश पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा है, ‘‘जैसा कि भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहा है, हमारे पास अपने अधिकारों और सभी के लिए सम्मान के मूल्यों को प्रदर्शित करने का भी मौक़ा है।’’
भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने मानवाधिकार दिवस पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस का संदेश पढ़ा। गुतारेस ने अपने संदेश में कहा, ‘‘मैं सदस्य देशों, नागरिक समाज, निजी क्षेत्र और अन्य से आग्रह करता हूं कि वे आज के नुक़सानदायक चलन को पलटने के प्रयासों के केंद्र में मानवाधिकारों को रखें।’’
अपने संबोधन में न्यायमूर्ति मिश्रा ने कमज़ोर समूहों के बारे में भी उल्लेख किया और कहा कि कई बच्चे मादक पदार्थ की तस्करी और ऐसी पदार्थों के कारख़ानों में काम करने के लिए मज़बूर हैं।
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