‘‘मिक्सोपैथी" के ख़िलाफ़ देश के कई राज्यों में डॉक्टरों ने की एक दिन की हड़ताल
नयी दिल्ली। 11 दिसंबर (भाषा) स्नातकोत्तर डिग्री के दौरान आयुर्वेद चिकित्सकों को सामान्य सर्जरी का प्रशिक्षण देने को लेकर केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज देश के कई राज्यों में डॉक्टरों ने हड़ताल की।
आईएमए, केंद्रीय आयुष मंत्रालय के अधीन वैधानिक संस्था भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) की 19 नवंबर को जारी अधिसूचना को लेकर लगातार विरोध जता रहा है। इस अधिसूचना के तहत आयुर्वेद के शल्य चिकित्सा से जुड़े विशिष्ट स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों को अध्ययन अवधि के दौरान अलग-अलग अंगों से जुड़े ऑपरेशन करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण देने की मंजूरी दी गई है ताकि वे अपनी डिग्री पूरी करने के बाद इन प्रक्रियाओं को स्वतंत्र रूप से अंजाम दे सकें।
मध्यप्रदेश के करीब 8,000 डॉक्टरों ने शुक्रवार को काम-काज ठप कर दिया
इंदौर: आईएमए की मध्य प्रदेश राज्य इकाई के उपाध्यक्ष संजय लोंढे ने बताया, "मिक्सोपैथी (आयुर्वेद चिकित्सकों को सामान्य सर्जरी के प्रशिक्षण के विरोध में आईएमए का प्रयुक्त शब्द) के खिलाफ राज्य में लगभग 8,000 डॉक्टरों ने शुक्रवार को काम नहीं किया। इनमें से ज्यादातर डॉक्टर निजी क्षेत्र के हैं।"
उन्होंने कहा, "हम आयुर्वेद के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन आयुर्वेद चिकित्सकों को सामान्य सर्जरी की अनुमति दिए जाने से चिकित्सा जगत में गलत प्रवृत्तियों को बल मिलने की आशंका है जिसका सीधा खामियाजा आम मरीजों को भुगतना पड़ेगा।"
उन्होंने बताया कि आईएमए के एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन को दंत चिकित्सकों और जूनियर डॉक्टरों ने भी समर्थन दिया। हालांकि, आपात चिकित्सा सेवाओं और कोविड-19 के मरीजों के इलाज को इस प्रदर्शन से मुक्त रखा गया था।
बहरहाल, राज्य के अस्पतालों पर आईएमए के विरोध प्रदर्शन का बड़ा असर देखने को नहीं मिला।
गुजरात में आईएमए के विरोध प्रदर्शन में 30,000 से अधिक डॉक्टर शामिल हुए
अहमदाबाद: स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक चिकित्सकों को प्रशिक्षण के बाद कुछ प्रकार की सर्जरी करने की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) द्वारा शुक्रवार को आहूत देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में गुजरात के 30,000 से अधिक डॉक्टर शामिल हुए।
हालांकि, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं अप्रभावित रही, क्योंकि उन्हें प्रदर्शन के दायरे से बाहर रखा गया है।
आईएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि तीन वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद आयुर्वेदिक चिकित्सकों को कुछ सर्जरी करने की अनुमति देने के भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) के फैसले के खिलाफ आईएमए ने देश भर में शुक्रवार को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच सभी गैर-जरूरी और गैर-कोविड-19 सेवाओं को बंद करने का आह्वान किया है। आईएमए देश में एलोपैथी डॉक्टरों का सर्वोच्च निकाय है।
आईएमए (गुजरात शाखा) के सचिव डॉ. कमलेश सैनी ने कहा, "अहमदाबाद से 9,000 सहित पूरे गुजरात से हमारे 30,000 से अधिक सदस्य-डॉक्टर आज विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं।"
यूपी के नोएडा में चिकित्सकों ने ओपीडी बंद की
नोएडा: आईएमए के आह्वान पर शुक्रवार को नोएडा के चिकित्सकों ने अपने निजी अस्पताल, नर्सिंग होम और क्लीनिकों के बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) को बंद कर विरोध जताया।
चिकित्सकों का कहना है कि मरीजों के हित में सरकार इस निर्णय को तत्काल वापस ले।
आईएमए की नोएडा शाखा के अध्यक्ष डॉ. एनके शर्मा ने बताया कि आईएमए के आह्वान पर आज गौतमबुद्ध नगर जिले के सभी निजी अस्पतालों, क्लिनिकों और नर्सिंग होम की ओपीडी 12 घंटे तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि जिले में पंजीकृत 470 निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम में ओपीडी बंद है लेकिन आपात सेवाएं जारी हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से मरीजों का हित प्रभावित होगा और कई साल की पढ़ाई करने वाले एमबीबीएस, एमएस सर्जनों का मनोबल गिरेगा।
केरल में सरकारी और निजी डॉक्टरों की हड़ताल से चिकित्सकीय सेवा प्रभावित
तिरुवनंतपुरम: आईएमए की ओर से आहूत हड़ताल को केरल में सरकारी और निजी डॉक्टरों द्वारा समर्थन दिए जाने के बाद चिकित्सकीय सेवा प्रभावित रही। इस दौरान डॉक्टर सिर्फ आपात स्थिति और कोविड-19 मरीजों का ही इलाज कर रहे थे।
सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक के डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि कई मरीज पड़ोसी जिलों से यहां मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में इलाज कराने आए थे और उन्हें हड़ताल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। सुबह से कई मरीज अस्पताल आए थे।
पड़ोसी कोल्लम जिले से अपनी कैंसर पीड़ित मां को लेकर यहां आए एक व्यक्ति ने कहा कि वे बिना इलाज के ही लौट रहे हैं।
आईएमए केरल के अध्यक्ष पी टी जचारिस ने बताया कि सिर्फ आपात और कोविड-19 के मरीजों का इलाज हो रहा है। डॉक्टरों ने राज भवन तक मार्च भी निकाला। आईएमए संबंधित अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहा है।
आईएमए ने कहा है कि भारतीय केन्द्रीय औषधि परिषद (सीसीआईएम) की ओर से जारी अधिसूचना में आयुर्वेद चिकित्सकों को कानूनी रूप से सर्जरी करने की अनुमति देने तथा सभी चिकित्सा पद्धतियों के एकीकरण के लिये नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन की इजाजत देने से 'अव्यवस्था' बढ़ेगी।
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