अग्निपथ की वजह से सेना की तैयारी करने वाले लाखों नौजवान मानसिक तनाव मेंः YHB
कुछ दिन पहले की खबर है कि युवा हल्ला बोल के सदस्यों ने दिल्ली के राजीव चौक पर अग्निपथ योजना की वजह से आत्महत्या करने वाले एक नौजवान के शोक में शामिल होते हुए शांतिपूर्ण विरोध किया था। सरकार के खिलाफ किसी भी तरह की बयानबाजी नहीं की। लेकिन यह भी सरकार को बर्दाश्त नहीं हुआ। पुलिस ने युवा हल्ला बोल के साथियों को गिरफ्तार किया। तिहाड़ जेल भेज दिया। सशर्त जमानत पर बाहर निकलने के बाद भी युवा हल्ला बोल के सदस्यों के हिम्मत में कोई कमी नहीं आई। इनकी टीम फिर से बेरोजगारी से लड़ने के काम में लग गई। हरियाणा गई। उन परिवारों से मुलाकात की जिनके घर के चिराग ने अग्निपथ योजना की वजह से आत्महत्या कर ली थी।
अपने जेल के अनुभवों, अग्निपथ योजना के खिलाफ देशभर में उमड़े गुस्से और अग्निपथ योजना की वजह से आत्महत्या करने वाले युवा के परिवार के सदस्यों से की गई बातचीत को लेकर युवा हल्ला बोल की टीम ने दिल्ली के प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। युवा हल्ला बोल की टीम का इरादा यही था कि वाजिब चिंता को जितना दूर हो सके उतना दूर पहुंचाया जाए। लेकिन दिल्ली के प्रेस क्लब में दिल्ली के मुख्यधारा की मीडिया की गैरमौजूदगी देखकर ऐसा लगा जैसे बेरोजगारी जैसे जरूरी मुद्दे को ना दिखाने की सुपारी ले रखी है।
युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय नेता अनुपम ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ट्रेन फूंकना और बसे जलाना गलत है। हमारे देश में इसकी कोई जगह नहीं। नौजवानों के गुस्से और बेचैनी से जुड़ी हर तरह की संवेदना के साथ हम कदम से कदम मिलाकर खड़े हैं। इसके बाद भी हम कहेंगे कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन होना चाहिए। लेकिन जब भी हम शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की बात करते हैं तो एक नागरिक के तौर पर हमें सरकार और मीडिया से भी सवाल पूछना चाहिए कि वह नौजवानों के मांग को क्यों अनसुना कर देती है जबकि वह सृजनात्मक और रचनात्मक तरीके से बड़े लंबे समय तक विरोध करते आ रहे है। सेना में भर्ती को लेकर के विरोध प्रदर्शन का दौर केवल अग्निपथ योजना आज आने के बाद की बात नहीं है बल्कि सेना में भर्ती को लेकर नौजवानों ने बड़े लंबे समय तक सृजनात्मक और रचनात्मक तरीके से शांतिपूर्ण विरोध किया है। अगर सरकार और मीडिया इसको अनसुना कर देगी तो आप खुद ही सोच सकते हैं कि नौजवानों के भीतर का गुस्सा किस तरह का रूप ले लेगा?
उन्होंने कहा, जब हम तिहाड़ जेल में थे तो हमारी मुलाकात कुछ ऐसे लड़कों से हुई जिन्हें अग्निपथ योजना के खिलाफ महज व्हाट्सएप स्टेटस डालने के चलते गिरफ्तार किया गया था। क्या भारत का संविधान इसकी इजाजत देता है? हम सब के साथ राजस्थान के सीकर के संदीप फौजी भी गिरफ्तार हुए थे। संदीप फौजी सैनिक रह चुके हैं। संदीप फौजी के घर पर आयकर विभाग का छापा पड़ रहा है। उन्हें किसी भी तरह से डराने की कोशिश की जा रही है कि वह अग्निपथ का विरोध न करें। अब आप बताइए कि इसे क्या कहा जाएगा?
वे आगे कहते हैं, अग्निपथ योजना की वजह से अब तक मुख्यधारा के मीडिया में 2 नौजवानों की आत्महत्या की खबर दी गई है। लेकिन हमारा मानना है कि योजना की वजह से आत्महत्या करने वाले नौजवानों के आंकड़े बहुत ज्यादा है। हम अपनी छोटी सी छानबीन में अभी तक पुख्ता तौर पर कह सकते हैं कि 5 नौजवानों ने अग्निपथ योजना की वजह से आत्महत्या की है। कुछ समय बाद हम और नौजवानों के बारे में बताएंगे जिन का सुनहरा भविष्य अग्निपथ योजना ने लील लिया।
टीवी पर भाजपा सरकार के प्रवक्ता सामने नहीं आ रहे बल्कि सेना के बड़े अधिकारियों को अग्निपथ योजना के पक्ष में बोलने के लिए भेजा जा रहा है। सेना के बड़े अधिकारी अग्निपथ योजना पर बोले तो हमें कोई दिक्कत नहीं लेकिन जब वह किसी सरकार के प्रवक्ता की तरह बोलने लगते हैं, तब हमें लगता है कि यह भारतीय सेना का काम नहीं है। गांव देहात के इलाके से खबर आ रही है कि सरकारी नौकरों को इस काम पर लगा दिया गया है कि वह लोगों के बीच जाकर अग्निपथ योजना के फायदे बताएं। पूरा सरकारी तंत्र पार्टी तंत्र में बदल दिया गया है। क्या इसी काम के लिए हमारे मेहनत की कमाई से भारत सरकार टैक्स वसूलती है?
मुखर्जी नगर इलाके से यह सूचना मिल रही कि कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चों की डिटेल सरकार इकट्ठा कर रही है। सरकार समझा रही है कि वह किसी भी विरोध प्रदर्शन में भाग ना ले। अगर वह ऐसा करेंगे तो अंजाम बुरा होगा। अब आप ही बताइए कि हमारे देश और नॉर्थ कोरिया में क्या अंतर रह गया है?
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरियाणा के दीपक रवि भी शामिल थे। हरियाणा के दीपक रवि की कहानी यह है कि वह सेना की तैयारी करने वाले नौजवान हैं। इन्होंने फिजिकल और मेडिकल परीक्षा पास कर ली थी। रिटेन एग्जाम देने का इंतजार कर रहे थे। कोरोना की वजह से इनकी उम्र भी बढ़ रही थी और रिटेन एग्जाम भी पोस्टपोन हो रहा था। दीपक रवि ने बताया कि जिस दिन अग्निपथ योजना आई उस दिन वह लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहे थे। योजना की रूपरेखा सुनने के बाद में गहरा धक्का लगा। ऐसा लगा कि जैसे उनका पूरा सपना टूट गया। दीपक रवि ने कहा कि मैं पांचवी क्लास से सेना की तैयारी कर रहा हूं। मुझे प्राइवेट नौकरी के बारे में पता नहीं। सेना में जाना मेरा जुनून रहा है। मैंने पूरी ईमानदारी से मेहनत की है। मुझे अब भी याद है कि जब मैं सेना के लिए तैयारी करता था और पूरी दौड़ नहीं लगा पाता था तो मन में यही सोचता था कि मुझे सेना में जाना है। उसके बाद भले मुंह से खून निकल जाए लेकिन मैं दौड़ पूरा करके ही मानता था। अब भी सेना का सुनते ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते है।
सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मैंने अपने कुछ साथियों के साथ पैदल दिल्ली की तरफ कूच किया। सोचा कि सरकार को अपनी बात बताकर आऊंगा। लेकिन दिल्ली की सीमा के बाहर ही रोक लिया गया। वहां से बाहर कर दिया गया। पैदल चलते - चलते पैर फट गए पैरों में खरोच आ गए। लेकिन फिर भी हमने हार नहीं मानी। हम चलते रहे। फिर भी सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी।
युवा हल्ला बोल की टीम का सरकार से मांग:
1) युवा विरोधी और सेना विरोधी 'अग्निपथ स्कीम' वापिस लो।
2) रद्द की गयी सेना की पुरानी भर्तियों की पुनर्बहाली करो।
3) ओवरएज हो चुके छात्रों को क्षतिपूरक अवसर देकर नियमित भर्ती तुरंत शुरू करो।
4) सरकार की सेना भर्ती नीति के कारण आत्महत्या कर रहे युवाओं के शोकाकुल परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मुआवज़ा दो।
प्रेस कॉन्फ्रेंस का समापन करते हुए अनुपम ने कहा कि अग्निपथ योजना केवल नौजवानों को नुकसान नहीं पहुंच रहा है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को बहुत गहरा धक्का लग रहा है। आने वाले दिनों में इसके गहरे परिणाम देखने को मिल सकते हैं। सरकार ने अग्निपथ योजना के नाम पर सेना की अटकी पड़ी भर्तियों को भी रद्द कर दिया है। इसकी वजह से लाखों नौजवान मानसिक अवसाद से गुजर रहे हैं। अब किसी भी तरह के नियमित भर्ती नहीं होंगी। सेना में शामिल होने के लिए केवल एक ही सिस्टम होगा जिसका नाम अग्निपथ योजना है। इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि सेना की तैयारी करने वाले जिन नौजवानों ने आत्महत्या की है उसका कारण अग्निपथ योजना है।
सेना से 4 साल बाद निकलने वाले अग्निवीरों के लिए जिस तरह से कंपनी आकर नौकरी देने की पेशकश कर रही हैं उससे ऐसा लग रहा है कि भारत में बेरोजगारी की परेशानी इसी वजह से थी कि अब तक अग्निपथ योजना नहीं आई थी। अब अग्निपथ योजना आ गई है। इससे अग्निवीर निकलेंगे और अग्निवीरों को हर जगह नौकरी मिल जाएगी। यकीन मानिए ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है। यह सब झूठ है। प्रोपेगेंडा है। भारत में बेरोजगारी की हालत और पहले के कई आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं।
वही होगा जो होते जा रहा है और जिसके बारे में भाजपा के मंत्री कह रहे हैं। सेना से निकलने वाले अग्निवीरों को चौकीदारी पर रख लिया जाएगा। यह सैनिकों के गरिमा के खिलाफ है। सेना कोई ऐसी फैक्ट्री नहीं है जहां पर कारोबारियों के चौकीदार तैयार किए जाते हैं। सरकार को अग्निपथ योजना वापस लेनी होगी। अग्निपथ आंदोलन के अलोकतांत्रिक दमन का हर प्रयास विफल किया जाएगा। सरकार चाहे जितने भी तिकड़म लगाए लेकिन शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से संघर्ष जारी रहेगा।
चलते चलते सरकार की एक और प्रवृत्ति को देख लीजिए। युवा हल्ला बोल का प्रेस कॉन्फ्रेंस प्रेस क्लब में था। युवा हल्ला बोल के साथियों को अपनी बात कहनी थी और पत्रकारों को सुननी थी। इसके अलावा पर कुछ भी नहीं होने वाला था। लेकिन फिर भी प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले और जब तक प्रेस कॉन्फ्रेंस चला तब तक प्रेस क्लब के बाहर सीआरपीएफ की टुकड़ी खड़ी थी। कोई सवाल कर सकता है कि सीआरपीएफ की टुकड़ी किसी और वजह से खड़ी होगी। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद मैंने कुछ देर तक इंतजार किया। जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले सभी सदस्य और पत्रकार प्रेस कान्फ्रेंस से बाहर चले गए। उसके बाद सीआरपीएफ की टुकड़ी भी अपना तामझाम लेकर के प्रेस कॉन्फ्रेंस के दरवाजे से बाहर चली गई। अब जरा सोच कर देखिए कि दिल्ली के प्रेस क्लब के बाहर सीआरपीएफ की टुकड़ी की मौजूदगी का क्या मतलब है? इसका मतलब आप खुद समझ सकते हैं। अगर नहीं समझ रहे हैं, तो विरोध प्रदर्शन में लगने वाले उस नारे पर विचार कीजिए, जिसमें कहा जाता है कि मोदी जब जब डरता है पुलिस को आगे करता है।
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