''मणिपुर जैसी घटनाओं को रोकने के लिए फ़ासीवादी निज़ाम को हटाना होगा'’
मणिपुर में जारी हिंसा और महिलाओं के साथ हुई बर्बर घटना के विरोध में पटना में नागरिक सरोकारों जनतांत्रिक अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध संस्था, 'सिटीजंस फोरम', की ओर से प्रतिरोध सभा का आयोजन बुद्धा स्मृति पार्क में किया गया। प्रतिरोध सभा में बड़ी संख्या में पटना के नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, विश्विद्यालयों के प्रोफेसर, महिला, मजदूर, किसान संगठनो के अलावा रंगकर्मी, लेखक, कलाकार मौजूद थे।
प्रतिरोध सभा की शुरुआत में 'सिटीजंस फोरम' के संयोजक अनीश अंकुर ने मणिपुर में पिछले 81दिनों से जारी घटनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
पटना कॉलेज के प्राचार्य प्रो. तरुण कुमार ने कहा " इस तरह की शर्मनाक घटना होती रहे सभ्य समाज में और उसके बाद भी सरकार बनी रहे ये देश के लिए बेहद शर्म की बात है। भारत की मां, बहनों को इस बार खुलकर आगे आना चाहिए ताकि आगे से ऐसे लोगों को सबक सिखाया जा सके।"
युवा सामाजिक कार्यकर्ता आकांक्षा प्रिया ने प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए कहा, " मणिपुर में जो घटना घटी है इसके निदान के लिए हमें इस फासीवादी निजाम को हटाना होगा तभी अपनी समस्याओं ने निजात मिलेगी। इस सरकार को गलियों, सड़कों से हमें हटाना होगा। वोट से सरकार भले बदलेगी दुबारा उन्हीं का शासन न हो जाए इसके लिए सतर्क रहना होगा। हमें एक साथ आकर बता देना होगा कि जब जनता जागती है तो सत्ता को हिला देती है।"
एल.एन कॉलेज, भगवानपुर की प्राचार्या सुनीता गुप्ता ने प्रतिरोध सभा में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा " यदि मणिपुर की घटना को नजरंदाज किया गया तो दूसरे राज्यों में भी इस किस्म की घटनाएं होंगी। मणिपुर की सरकार यदि कानून व्यवस्था नहीं संभाल रही तो केंद्र सरकार को आगे बढ़कर पहलकदमी लेनी चाहिए। प्रधानमंत्री की चुप्पी खतरनाक है। ऐसे ही महिला पहलवानों के साथ किया गया था। प्रधानमंत्री माफी की बात कहते हैं यदि इस घटना का वीडियो नहीं आया होता तो क्या करते हमें माफी की नहीं बल्कि दोषियों पर कारवाई करने की जरूरत है।"
अरविंद महिला कॉलेज की प्राध्यापक अर्चना त्रिपाठी ने कहा " देख और सुनकर मन विचलित हो जाता है। कितनी निम्न स्तर पर उतर कर किया गया यह सब। मानवता का क्षरण यहां दिखाई देता है। महिलाओं का इस्तेमाल कर सत्ता हासिल करने की इच्छा रखी जा रही है।"
समाजिक कार्यकर्ता प्रीति सिंह ने प्रारंभ में मणिपुर की लोमहर्षक घटनाओं की निंदा करते हुए कहा " मणिपुर में महिलाओं को नंगा कर जिस ढंग से घुमाया गया वह हम देशवासियों के लिए बेहद शर्मनाक है।"
माकपा नेता अरुण मिश्रा ने मणिपुर की घटनाओं का विरोध करते हुए कहा " मणिपुर की घटना ने देश की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है। सबसे बुरी बात है प्रधानमंत्री की आपराधिक चुप्पी। ये अच्छी बात है कि देश की जनता इस बर्बर कुकृत्य के खिलाफ उठ खड़ी हुई है। हम सबों को एक साथ मिलकर विरोध करने के लिए साथ आना होगा।"
सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अरविंद सिन्हा ने कहा " मणिपुर के मुख्यमंत्री को हटाने की बात थी लेकिन उसपर करवाई नहीं की गई। हमारे देश के नौजवानों को महिलाओं का सम्मान नहीं करना, उनका बलात्कार करना सिखाया जा रहा है। "
नेशन फॉर फार्मर्स के गोपाल कृष्ण के अनुसार " सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों ने भारत सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया और अब 28 जुलाई को फिर से सुनवाई हो रही है। देश में जनमानस ऐसा तैयार हो रहा है जो 28 जुलाई के पहले यदि सरकार काम नहीं करती तो उन्हें भुगतना होगा। संसद में मणिपुर और इंसाफ की मांग हो रही है। भारत के अलावा यूरोप की संसद में भी बता हो रही है।मणिपुर की सरकार नाजायज है उसे तत्काल बर्खास्त करना चाहिए।"
पटना कॉलेज में इतिहास के अध्यापक सतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा " मणिपुर में महिलाओं के साथ जो दरिंदगी होती है उस पर यदि हम चुप रह जाते हैं ये बेहद शर्मनाक है। महिलाएं आज पुलिस की सुरक्षा में सुरक्षित नहीं है। इसके लिए आम नागरिकों को आगे कर सरकार से सवाल पूछना चाहिए की इस तरह की नौबत कैसे आई? हम चौतरफा डर से भयभीत हैं। बड़े लोग सी.बी.आई और ईडी से डरे हैं तो आमलोग जेल जाने से डरे हुए हैं। हमें इस डर से निकलना होगा और अपनी आवाज बुलंद करनी होगी।"
एन.ए.पी .एम के आशीष रंजन ने कहा " हर समाज में दरार हुआ करती है लेकिन राजनीति इस दरार को बढ़ाने का काम करती है। मणिपुर में भाजपा की सरकार इन दरारों को बढ़ाने का काम लगातार कर रही है। वहां इंटरनेट बैन इसलिए किया गया को वहां की तस्वीरें बाहर न आने पाए। गुजरात में ऐसा ही प्रयोग किया गया था और अब वे इसे पूरे देश में फैला रहे हैं। मणिपुर के पूरे इलाके में धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के कहने पर प्रधानमंत्री ने बहुत हल्के ढंग से विरोध किया। ऐसी घटनाओं का नौरमलाइजेशन हो रहा है। "
सामाजिक कार्यकर्ता सतीश कुमार ने कहा " प्रधानमंत्री देश नहीं होता। मणिपुर की नृशंसता ने हम सबको झकझोर कर रख दिया है। जनता का इतिहास खून में डुबोकर लिखा जाता है। आपने भले बिल्किस बानो, बृजभूषण सिंह को माफ कर दिया है लेकिन हम आपको माफ नहीं करेंगे। ये बात हमारे प्रधानमंत्री जी को जाननी होगी।"
जनकवि आदित्य कमल ने "भेड़िया" कविता का पाठ करते हुए कहा, " प्रधानमंत्री ने कहा है कि दोषियों को हरगिज नहीं बक्शा जायेगा लेकिन इसका निहितार्थ यह है की उन्हें बख्शा ही जाएगा । प्रधानमंत्री के आंसू घड़ियाली आंसू है भेड़ियों के आंसू है।"
भेड़िया कविता में आदित्य कमल कहते हैं।
"भेड़िया शातिर है, शिकारी है, इसकी आंखों से भाप निकाल रही है, जहरीली भाप निकल रही है। सावधान! भेड़िये ने फूट- फूट कर रोना शुरू कर दिया है। लोग पहले भीड़ और बाद में भेड़िए में तब्दील होने लगते हैं।"
रंगकर्मी व फिल्मकार रमेश सिंह ने कहा " ये सरकार हर चीज को इग्नोर करना चाहती है। आज भारत में जो सोच ला रहे हैं उसे समाप्त करना है। ये बर्दाश्त के बाहर की चीज है।"
पटना नगर निगम कर्मचारियों के नेता जितेंद्र कुमार ने कहा " बड़े दुख की बात है कि जिंदा महिलाओं को उनके कपड़े उतार कर उन्हें नंगा किया जा रहा है।"
सभा का संचालन और अध्यक्षता मणिकांत पाठक ने की।
प्रतिरोध सभा में मौजूद प्रमुख लोगों में थे देवरत्न प्रसाद, मंगल पासवान, नंदकिशोर सिंह, किशोरी दास, महेंद्र यादव, विनीत राय, उदयन, रवींद्र नाथ राय, रासबिहारी चौधरी, जयप्रकाश ललन, सरिता पांडे, जयप्रकाश, अमरनाथ, हरदेव ठाकुर, प्रमोद नंदन , सुरेंद्र कुमार, शंभूशरण प्रसाद, गजेमद्रकांत शर्मा, इंद्रजीत आदि।
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