मणिपुर पुलिस ने पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की, बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की
मणिपुर पुलिस उन दो महिलाओं से संपर्क कर चुकी है, जिन्हें मई में कुछ लोगों ने निर्वस्त्र कर घुमाया था और फिर उनका यौन उत्पीड़न किया था। पुलिस इन महिलाओं का बयान दर्ज करने की प्रक्रिया में है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि चार मई को राज्य में हुई जातीय हिंसा से उत्पन्न स्थिति को ध्यान में रखते हुए मामले की जांच के लिए मणिपुर पुलिस की महिला अधिकारियों और कर्मियों की एक टीम बनाई गई है।
अधिकारियों ने कहा कि टीम ने परिवार के सदस्यों के साथ-साथ दोनों महिलाओं से भी मुलाकात की और उनके बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
नई दिल्ली में शीर्ष सरकारी सूत्रों के अनुसार यौन उत्पीड़न से संबंधित मामले केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने की संभावना है।
दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने संबंधी एक वीडियो प्रसारित होने के मामले में लोगों की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के प्रवक्ता गिन्जा वुएलजोंग ने इसे ‘‘बहुत देर से की गई कार्रवाई’’ बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि वीडियो प्रसारित होने से पहले दोषियों को गिरफ्तार कर लिया जाता तो मैं इसकी सराहना करता। प्राथमिकी 18 मई को दर्ज हुई थी। ऐसे और भी कई मामले हैं। मैं यह भी स्पष्ट करना चाहूंगा कि लोगों को गिरफ्तार करने से राज्य के बड़े मुद्दों का समाधान नहीं होगा, जहां जातीय झड़पें होती रहती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं केंद्र से अनुरोध करता हूं कि वह मणिपुर मुद्दे को गंभीरता से ले और हिंसा को समाप्त करने के लिए कदम उठाए और समाधान निकाले।’’
पुलिस ने मामले में अब तक एक किशोर समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है।
चार मई का एक वीडियो 19 जून को सामने आने के बाद मणिपुर के पर्वतीय क्षेत्रों में तनाव बढ़ गया था। इस वीडियो में कंगपोकपी जिले में कुछ पुरुषों द्वारा दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाते हुए देखा जा सकता है।
पुलिस ने थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस थाने में अज्ञात हथियारबंद व्यक्तियों के खिलाफ अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देश के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया था और घटना को ‘‘शर्मनाक’’ और ‘‘अस्वीकार्य’’ बताया था।
मणिपुर में तीन मई से मेइती और कुकी समुदाय के लोगों के बीच जातीय झड़पें हो रही हैं। हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा था कि वह सुनिश्चित करेंगे कि सभी अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये।
सिंह ने ट्वीट किया था, ‘‘मैं उन दो महिलाओं के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं जिनके साथ बेहद अपमानजनक और अमानवीय कृत्य किया गया।
राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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