हिरासत में मौत पर वामदलों ने कहा- बिहार ‘पुलिस राज’ में तब्दील होता जा रहा है
बिहार के सीतामढ़ी जिले में पुलिस हिरासत में विश्वनाथ चौधरी नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई, जिसके बाद नाराज परिजन, आरोपी पुलिसकर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज करने और उन पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए मंगलवार को शहर के मेहसौल चौक पर शव के साथ बैठ गए। परिजनों का आरोप है कि जब मेहसौल ओपी की पुलिस विश्वनाथ को पकड़ कर ले गई तो उसे चौकी में बुरी तरह पीटा गया था जिससे उसकी मौत हो गई।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चौकी में पुलिस की पिटाई के बाद विश्वनाथ की तबियत बिगड़ गई थी, जिसके बाद पुलिस ने सदर अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना की सूचना मिलने पर परिजन अस्पताल पहुंचे और हंगामा किया
मुआवज़े के साथ, आरोपी पुलिस अधिकारी पर तुरंत कार्रवाई की मांग
मौके पर पहुंचे जिले के एसपी को नाराज लोगों का विरोध झेलना पड़ा।एसपी हर किशोर राय ने मीडिया को बताया कि थानाध्यक्ष पर लापरवाही की बात सामने आई है जिसके बाद मेहसौल ओपी प्रभारी मो. मोसिर अली को सस्पेंड कर दिया गया है।
एसपी ने परिजनों को आश्वासन दिया कि मामले की जांच की जा रही है और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने मीडिया को बताया कि मेडिकल टीम द्वारा शव के पोस्टमार्टम के बाद मौत की वजह सामने आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार सीतामढ़ी शहर के मेहसौल ओपी की पुलिस ने सोमवार को कमला गार्डेन निवासी 62 वर्षीय विश्वनाथ को शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस का यह भी कहना है कि विश्वनाथ चौधरी के पास से नेपाली सोफी शराब भी बरामद किया गया है। परिजनों का आरोप है कि शराब पीने के आरोप में हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने विश्वनाथ चौधरी की बुरी तरह पिटाई की थी। हालत बिगड़ने पर इलाज भी नहीं करवाया, जिससे उसकी मौत पुलिस हिरासत में ही हो गयी।
म़ृतक के पुत्र का कहना है कि उनके द्वारा कई बार थाने में जाकर पिता से मुलाकात करने की कोशिश भी की गयी थी लेकिन उनको उनसे मिलने नहीं दिया गया था।
उधर मृतक की पत्नी गायत्री देवी के आवेदन पर थाने में ओपी प्रभारी मो. मोसीर अली खान समेत आठ से दस पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या व दलित उत्पीड़न समेत अन्य धाराओं में प्रथमिकी दर्ज की गई है। प्रभात खबर के अनुसार गायत्री का कहना है कि घटना की शाम साढ़े चार बजे उसके घर पर एक पुलिस जिप्सी व टेंपो से आठ दस पुलिसकर्मी आकर उसके पति विश्वनाथ चौधरी को पकड़ कर अपने साथ ले जाने लगे। तब उनके पीछे वह अपने बेटे अनिल कुमार, सुनील कुमार और बहन रेखा देवी व भतीजा लक्ष्मण चौधरी के साथ ओपी पहुंची। उसके पति को हवालात में बंद कर पीटा जा रहा था। ओपी प्रभारी मो. मोसीर अली खान खड़े होकर जातीय संबोधन कर बोल रहे थे कि यह गलत ही करेगा। मना करने के बाद भी उन लोगों ने मारपीट करना नहीं छोड़ा। कुछ पुलिसकर्मी उन लोगों को वहां से भगाने लगे। इसी दौरान मारपीट के कारण पति बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। आनन-फानन में पुलिस वाले बेहोशी की हालत में पति को सदर अस्पताल लेकर गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उसके पति की मौत के बाद सभी पुलिसकर्मी शव छोड़कर फरार हो गए।
समस्तीपुर में हिरासत में सफाईकर्मी की मौत
बिहार के समस्तीपुर जिले में सफाईकर्मी राम सेवक राम की पुलिस हिरासत में शुक्रवार 5 नवंबर को पीएमसीएच में मौत हो गई थी। रिपोर्ट के अनुसार समस्तीपुर के रोसड़ा अनुमंडल इलाके में कार्यपालक पदाधिकारी जयचंद अकेला को थप्पड़ मारने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया था। हिरासत में तबीयत बिगड़ने के बाद उसे नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने समस्तीपुर सदर अस्पताल रेफर कर दिया था। ज़्यादा तबीयत बिगड़ने के बाद उसे पीएमसीएच पटना रेफर कर दिया, जहां उसकी मौत हो गई।
ज्ञात हो कि गत 29 अक्टूबर को अपने बकाए वेतन के भुगतान की मांग को लेकर रोसरा नगर परिषद के कार्यालय पर सफाईकर्मियों ने प्रदर्शन किया था। इस दौरान प्रदर्शनकारी सफाईकर्मी राम सेवक राम और अन्य सफाई कर्मी बातचीत के लिए कार्यपालक सहायक जयचंद अकेला के केबिन में गए जहां उनसे बहस हुई। इस बीच सफाई कर्मी राम सेवक राम ने पदाधिकारी को थप्पड़ मार दिया जिसके बाद रोसरा थाना में कार्यपालक सहायक ने चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी सफाईकर्मी राम सेवक राम को गिरफ्तार कर लिया था। सफाई कर्मियों का आरोप था कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद राम सेवक राम के साथ मारपीट की गयी जिसके चलते उसकी तबीयत काफी खराब हो गई थी।
वाम दलों की बिहार इकाई ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सीतामढ़ी के मेहसौल थाना में पुलिस की पिटाई से एक व्यक्ति की मौत तथा समस्तीपुर के रोसड़ा के सफाईकर्मी की थाने में हुई पिटाई से इलाज के दौरान हुई मौत पर चिंता व्यक्त की है। वाम दलों ने कहा कि ऐसा लगता है कि आज राज्य एक पुलिस राज में तब्दील होता जा रहा है, जहां हाजत में मौतों का सिलसिला एक सामान्य घटनाक्रम बनता जा रहा है। हम इन मामलों की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हैं।
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