ग्रेटर नोएडा: दो महीने से आंदोलन कर रहे किसानों और प्रशासन के बीच समझौता, रिहा हुए सभी किसान
ग्रेटर नोएडा प्रधिकारण के खिलाफ दो महीने से आंदोलन कर रहे किसानों और प्रशासन के बीच शनिवार 24 जून को समझौता हो गया है। इसके साथ ही आंदोलन 15 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया है।
लिखित समझौते के मुताबिक बीते 18 दिनों से जेल मे बंद 33 किसानों की रिहाई, मुकदमे वापसी और अन्य मुद्दों का जल्द समाधान करने के लिए एक हाईपावर कमेटी बनाई गई है। इसमे प्रशासन, जनप्रतिनिधि के साथ ही किसान प्रतिनिधि भी होंगे।
किसानों ने कहा है कि अगर उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया जाएगा तो एकबार फिर किसान आंदोलन करने के लिए तैयार रहेगा।
ये पूरा आंदोलन अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में 60 दिनों तक चला और 61वें दिन किसानों के 10% आबादी प्लॉट के मसले सहित अन्य मसलों पर किसानों एवं प्राधिकरण के बीच समझौता संपन्न हुआ।
क्या हुआ पूरा समझौता
समझौते के तहत 10% आबादी प्लॉट एवं अन्य सभी मसलों को नोटिफिकेशन जारी कर हाई पावर कमेटी का 30 जून तक शासन स्तर से गठन किया जाएगा। कमेटी के अध्यक्ष औद्योगिक विकास मंत्री होंगे, कमेटी के सदस्य प्राधिकरण के चेयरमैन, प्रमुख सचिव औद्योगिक, प्राधिकरण की सीईओ, राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर, लोकसभा सांसद महेश शर्मा, दादरी विधायक तेजपाल सिंह, जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह एवं किसानों के प्रतिनिधि होंगे।
हाई पावर कमेटी शासन स्तर के सभी मसलों सहित अन्य विवादित मसलों पर भी विचार करने के लिए अधिकृत होगी। नए कानून के अनुसार सर्किल रेट के रिवीजन के लिए एवं रोजगार के शासनादेश लागू करने के मुद्दे पर डीएम स्तर पर कमेटी का गठन कर निर्णय किया जाएगा। 6 परसेंट के प्लाटों पर पेनल्टी की समाप्ति। 40 वर्ग मीटर के भूमिहीनों के प्लाट, आबादियों की लीज बैक, आबादियों की सुनवाई, आबादियों के सुने गए प्रकरणों को आगामी बोर्ड बैठक में पास कराने सहित अन्य सभी प्राधिकरण स्तर के मसलों पर प्राधिकरण के स्तर से तुरंत कार्रवाई शुरू की जाएगी।
यह समझौता लिखित में हुआ है। समझौते पर प्राधिकरण के सीईओ आनंद वर्धन के हस्ताक्षर हैं। समझौते के अनुसार 15 जुलाई की तारीख तय की गई है। 15 जुलाई तक किसान सभा का धरना स्थगित रहेगा। कार्रवाई न होने पर पुनः आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।
सभी किसान हुए रिहा
इसके साथ ही 6 जून से जेल में बंद 33 किसान रिहा होकर धरने पर पहुंचे। धरने पर उपस्थित सैकड़ों लोगों ने उनका नारे लगाकर जोरदार स्वागत किया। धरने को किसान सभा के प्रवक्ता डॉ. रुपेश वर्मा ने संबोधित करते हुए समझौते के मसौदे को सभी के बीच में रखा और पूरी सभा से समझौते को पास कराकर धरने को 15 जुलाई तक स्थगित करने की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि किसानों ने अपना धरना समाप्त नहीं किया है, बल्कि धरना स्थगित किया है। उन्हें दिए गए आश्वासन के आधार पर यदि कार्यवाही नहीं हुई तो 15 जुलाई से और अधिक शक्ति के साथ आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस आंदोलन की तैयारी के लिए गांव गांव सभाएं की जाएंगी। पंचायतें भी होंगी। इन सभाओं व पंचायतों में उनक तमाम नेताओं व संगठनों का आभार व्यक्त किया जाएगा, जिन्होंने इस आंदोलन में सहयोग दिया है।
किसान सभा के उपाध्यक्ष ब्रह्मपाल सूबेदार ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि किसान नेता गवरी मुखिया ने कहा कि हमारे जेल गए सभी साथियों को उन्हीं के गांव में जाकर सम्मानित करने का कार्यक्रम चलाया जाएगा। संगठन को और मजबूत किया जाएगा। प्राधिकरण एवं सरकार की ओर से सांसद सुरेंद्र नागर ने जेल में बंद किसान सभा के नेताओं से 6 दिन की मैराथन भागदौड़ के बाद समझौता संपन्न कराया।
समझौते को किसान सभा के प्रवक्ता डॉ रुपेश वर्मा ने ऐतिहासिक बताते हुए कहा की हाई पावर कमेटी का गठन अपने आप में ऐतिहासिक है। इससे किसानों की सभी लंबित समस्याओं पर निर्णायक फैसले हो सकेंगे और प्राधिकरण के स्थानीय अधिकारी असमर्थता जता कर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकेंगे।
साथ ही चेतावनी दी कि यदि हाई पावर कमेटी के स्तर पर भी किसानों को न्याय नहीं मिला तो 15 जुलाई के तुरंत बाद जबरदस्त आंदोलन प्राधिकरण पर शुरू कर दिया जाएगा।
किसान सभा के नेता जगबीर नंबरदार ने कहा किसान सभा के आंदोलन में मुद्दों को हल करने के संबंध में यह अत्यंत निर्णायक पड़ाव है। इससे मसलों को हल करने का प्लेटफार्म तैयार हुआ है मसलों के हल होने की 90% उम्मीद बनी है। जहां तक प्लाटों पर पेनल्टी, भूमिहीनों के 40 वर्ग मीटर के प्लॉट, सर्किल रेट के रिवीजन का संबंध है वह स्थानीय स्तर पर प्राधिकरण के अधिकारी एवं डीएम आदि फैसला कर सकेंगे।
समझौते के अनुसार किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे पुलिस के स्तर से समाप्त किए जाएंगे। किसान सभा की जिला कमेटी, फैसले के अनुसार कार्यवाही का फॉलोअप करेगी एवं आंदोलन की आगामी रणनीति तैयार करेगी।
जेल से रिहा होने वाले किसानों में डॉक्टर रुपेश वर्मा, वीर सिंह नागर, ब्रह्मपाल सूबेदार, निशांत रावल, बुध पाल यादव, सुरेश यादव, अंकित यादव, मुकुल यादव, बीरन भाटी, नेतराम, हरवीर बाले, ज्ञानचंद पप्पी, जितेंद्र भाटी, प्रवेश नागर, रणपाल गुर्जर, मोहित मावी, गवरी मुखिया, भीम सिंह, पप्पू प्रधान हैं।
ये किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आन्दोलनरत थे। बीती 7 फरवरी को किसान सभा के नेतृत्व में अथॉरिटी के विरुद्ध आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसके क्रम में 14 मार्च और 23 मार्च को आंदोलन हुआ। 23 मार्च के आंदोलन के बाद 25 अप्रैल से रात दिन के महापड़ाव की घोषणा की गई। 25 अप्रैल को डेढ़ हजार की संख्या में किसान अथॉरिटी पर धरना प्रदर्शन करने पहुंचे जिसके क्रम में सीईओ से बातचीत भी हुई लेकिन किसी भी मसले पर कोई सहमति नहीं बन सकी, लिहाजा किसानों ने घोषणा के अनुसार अपने रात दिन के महापड़ाव की शुरुआत कर दी और 2 मई के बड़े आंदोलन की घोषणा कर दी जिसमें साढ़े तीन हजार की संख्या में किसान प्राधिकरण को घेरने पहुंचे थे। तब से ही किसान डटे हुए थे।
आपको बता दें कि धरने के 43वें दिन 6 जून को किसानों के घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन के दौरान देर शाम पुलिस द्वारा किसानों को बलपूर्वक धरना स्थल से उठाकर 33 लोगों को जेल भेज दिये जाने के कुछ घंटो बाद ही महिलाओं की मजबूत अगुवाई में सैकड़ों की संख्या में किसानों ने फिर से धरना स्थल अपने कब्जे में ले लिया था। पुलिस प्रशासन ने जो सोचा था उसके विपरीत ये आंदोलन अपने अगुवा नेताओं को गिरफ्तारी के बाद और मजबूत हो गया और अब एक सफल समझौते के साथ इसका स्थगन हुआ है।
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