ज्ञानवापी केसः सुप्रीम कोर्ट ने गठित की तीन जजों की बेंच, शनिवार को होगी सुनवाई
उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित मस्जिद में मिली विवादित आकृति को लेकर हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की बेंच का गठन किया है। यह बेंच शनिवार को समूचे मामले की सुनवाई करेगी। ज्ञानवापी केस की सुनवाई करने वाली तीनों जजों की बेंच में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा को शामिल किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अपराह्न तीन बजे ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में बीती 16 मई को मिली विवादित आकृति के बारे में सुनवाई हुई। यह आकृति एडवोकेट कमीशन की कार्रवाई के दौरान मिली थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विवादित आकृति के आसपास के क्षेत्र को सील करते हुए सुरक्षा का क़ड़ा इंतजाम करने का निर्देश दिया था। ज्ञानवापी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मियाद 12 नवंबर को खत्म होने वाली है। इस मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों बेंच गठित की गई। विवादित आकृति को संरक्षित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 12 नवंबर तक के प्रभावी आदेश पर शनिवार को फैसला सुनाया जाएगा। फिलहाल विवादित आकृति के आसपास सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है।
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी केस में शुक्रवार को अलग-अलग मामलों में सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और जिला अदालत में सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक विवादित आकृति का संरक्षण जारी रखने का आदेश दिया है। विवादित आकृति को सुरक्षित रखा जाएगा और उसे कोई छुएगा नहीं। अदालत ने इससे पहले 12 नवंबर तक वजूखाने के संरक्षण का आदेश दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे कराने की मांग पर अब 28 नवंबर को सुनवाई करेगी। साथ ही श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने सुनवाई की अगली तारीख 5 दिसंबर को तय की है।
ज्ञानवापी प्रकरण से संबंधित तीन और मामलों में शुक्रवार को तीन अदालतों में सुनवाई हुई, लेकिन तीनों मामलों में सुनवाई आगे के लिए टाल दी गई। ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से कराए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस प्रकाश पांडिया की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ यहां चुनौती दी गई है। सुनवाई की अगली तिथि 28 नवंबर तय की गई है। एएसआई ने हाईकोर्ट में 31 अक्टूबर को एक हलफनामा दायर करते हुए कहा था कि अगर कोर्ट आदेश देगी तभी वह ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने की कोशिश करेगी। एएसआई से सर्वे के मामले में इंतजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। अब 28 नवंबर को अगली सुनवाई होगी।
इस बीच वाराणसी के वाराणसी की सिविल कोर्ट में विवादित आकृति की पूजा के अधिकार पर सुनवाई शुक्रवार को टाल दी गई। अब 18 नवंबर को इस मामले में सुनवाई होगी। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अलावा कई अन्य मामलों में शुक्रवार को सुनवाई होनी थी। पीठासीन अधिकारी सिविल जज सीनियर डिवीजन कुमुदलता त्रिपाठी के अवकाश पर रहने के कारण सुनवाई टल गई है। इस वाद में कहा गया है कि मां शृंगार गौरी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के आदेश पर हुई कमीशन की कार्रवाई के दौरान मिले कथित शिवलिंग की पूजा, आरती और राग-भोग की व्यवस्था जिला प्रशासन को करानी चाहिए। प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है और न किसी सनातन धर्मी को इसके संबंध में नियुक्त किया है।
उधर, जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हिंदू पक्ष ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कमीशन की कार्रवाई आगे बढ़ाई जाए। इस पर मुस्लिम पक्ष की ओर से आपत्ति दाखिल की जा चुकी है। हिंदू पक्ष की ओर से प्रति आपत्ति दाखिल करने के लिए आज की तारीख तय की गई थी। वाराणसी की सिविल कोर्ट में राखी सिंह, सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी की ओर से यह मुकदमा दाखिल किया गया था। इस मामले में कोई निर्णय नहीं हो सका है।
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