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हरियाणा: “यह सरकार कर्मचारी विरोधी है”, जींद में सरकारी कर्मचारियों की बड़ी ‘चेतावनी रैली’

“सरकार को अपनी ज़िंदगी के 30 साल देने वाले कर्मचारियों की सुध नहीं ली जा रही। हरियाणा में कौशल रोज़गार के नाम पर कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
Jind Rally

28 मई, 2023 का दिन कई मायनों में देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन के रूप में दर्ज हो गया। आज जहां एक तरफ सरकार ने देश के नाम एक नए संसद भवन किया, जहां एक तरफ सत्ता के केंद्र दिल्ली के एक हिस्से में जश्न है वहीं दूसरी तरफ देश के कर्मचारी और देश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ी सड़को पर संघर्ष करने को मजबूर हैं। राजधानी से लगभग 150 किलोमीटर दूर हरियाणा के जींद में राज्य के सरकारी कर्मचारी अपनी कुछ मांगों को लेकर सरकार को ‘चेतावनी रैली’ के लिए एकजुट हुए। ये सभी कर्मचारी राज्य के अलग-अलग ज़िलों से हज़ारों की संख्या में जींद के हुड्डा ग्राउंड में एकत्र हुए। इनका कहना है कि इनकी सभी ‘जायज़’ मांगों को नहीं माना गया तो वे मौजूदा सत्ता पर काबिज़ लोगों को सत्ता से बेदखल करने को तैयार हैं।

आपको बता दें, अब हरियाणा विधानसभा और लोकसभा चुनाव में लगभग एक साल का ही समय बचा है। आगे साल यानी 2024में ही देश में लोकसभा और हरियाणा में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए कर्मचारी वर्ग भी एक बार फिर जोश में हैं, और अपनी लंबित मांगों का पूरा कराना चाहते हैं। राजनीतिक परिदृश्य में देखें तो कर्मचारियों की मांगें नहीं मानी गईं तो इनकी नाराज़गी केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भारी पड़ सकती है।

इस ‘चेतावनी रैली’ में हरियाणा के हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी, पंचकूला, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र सहित अलग-अलग इलाक़ों से कर्मचारी पहुंचे थे। इस रैली में शामिल होने पहुंचे कर्मचारियों की एकता देखने लायक थी। रैली में शिक्षकों से लेकर सफाई कर्मचारी और स्वास्थ्य से लेकर पंचायत स्तर तक के कर्मचारी जुटे थे। इन सभी की संयुक्त मांगों में सबसे पहली और प्रमुख मांग यह है कि पुरानी पेंशन नीति बहाल की जाए। दूसरी ये कि कच्चे कर्मचारियों को तुरंत बहाल किया जाएं। रैली में शामिल कर्मचारी ज़ोरदार नारे लगाते हुए वर्तमान सरकार पर वादाखिलाफी और कर्मचारी विरोधी होने के भी आरोप लगा रहे थे।

जींद की इस 'चेतावनी रैली' का आह्वान सर्व कर्मचारी संघ (Sarv Karmchari Sangh) ने किया था। दावा किया जा रहा है कि ये कर्मचारियों की अब तक की सबसे बड़ी रैली है। बता दें कि इस रैली को लेकर कई दिनों से बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रहीं थीं। बाकायदा कर्मचारियों से जुड़ी यूनियंस की कई टोलियां बनीं जिसने व्यापक प्रचार अभियान चलाया और साथ ही गांव और ब्लॉक स्तर तक अभियान को ले जाया गया था।

रैली में हर जिला, हर ब्लॉक से कर्मचारी आए। ये कर्मचारी अलग-अलग महकमों से आए यानी बिजली, पानी, सड़क, सफाई, निर्माण कार्य, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम विभागों के कर्मचारी इस रैली में शामिल हुए।

कर्मचारी नेता सुभाष लांबा ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, "मैं फरीदाबाद से दिल्ली होते हुए यहां पहुंचा हूं। दिल्ली की तरफ जानें वाले सभी रास्तों को पुलिस ने बंद कर रखा है। हमारी जनवादी महिला समिति की नेता जगमति सांगवान और पहलवानों के समर्थन में जा रहे खाप पंचायत और किसान संगठनों को नज़रबंद कर दिया गया है। बीजेपी ने पूरे प्रदेश को जेल में बदल दिया है। हम इसका विरोध करते हैं और सरकार से सभी को तत्काल रिहा करने की मांग करते हैं।

सुभाष लांबा ने आगे कहा, "आज देश में तीन तरह के कर्मचारी हैं- एक वो जिनके पास पुरानी पेंशन है, दूसरे वो जिनके पास एक नई पेंशन है और तीसरे वो जिनके पास कोई पेंशन नहीं है। हम सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन की मांग कर रहे हैं क्योंकि ये कर्मचारियों का हक है।"

इसके साथ ही 'सर्व कर्मचारी संघ' ने रैली में हज़ारों की संख्या में आए लोगों को बधाई दी और कहा कि "इस विषम हालात में ये जनसैलाब दिखाता है कि हम हुक्मरानों के ज़ुल्मों से डरने वाले नहीं है।"

इस रैली में शामिल होने हरियाणा के बहादुरगढ़ से आईं 50 वर्षीय सरोज बाला एक सफाई कर्मी हैं। वो अपने कई अन्य साथियों के साथ इस रैली में आईं थी। उनका आरोप है कि वो पिछले नौ-दस साल से काम कर रही हैं लेकिन आज भी उन लोगों को पक्का नहीं किया गया है। सरोज कहती हैं, "सरकार अपनी मर्ज़ी से पांच हज़ार रुपए देती है। हम अपने अधिकार के लिए आए हैं। खट्टर ने हमें पक्का करने का वादा किया था लेकिन वो अब पलट रहे हैं।"

इसी तरह रोहतक से हरियाणा रोडवेज़ कर्मियों का एक बड़ा जत्था, हुड्डा मैदान में नारे लगाता हुआ पहुंचा। हरियाणा रोडवेज़ वर्कर्स यूनियन के नेता सोमर सिंह सिवाच ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "ये सरकार पूरी तरह कर्मचारी विरोधी है। खट्टर सरकार भी मोदी की तरह सब कुछ निजी हाथों में सौंप रही है। हम इसके ख़िलाफ़ संघर्ष करेंगे।"

कर्मचारी नेताओं ने इस रैली को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि हरियाणा में 2 लाख से ज़्यादा कर्मचारी हैं जो सरकार की नीतियों से बेहद नाराज़ हैं।

हरियाणा सीटू की अध्यक्ष भी इस रैली में पहुंची और अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा, "सरकार को कर्मचारियों की मांगों पर गौर करना चाहिए। पहले भी कई बार प्रदर्शन करके, ज्ञापन देकर कर्मचारी अपनी आवाज़ उठा चुके हैं। लेकिन हुआ कुछ नहीं, ऐसे में अब कर्मचारी वर्ग जींद में एक बड़ी रैली करके सरकार की आंख खोलने की कोशिश कर रहा है।"

होलिस्टिक यूनिवर्सिटीज़ कॉन्ट्रैकचुअल टीचर्स एसोसिएशन, हरियाणा (HUCTA) के पदाधिकारी भी सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के अध्यक्ष धर्मबीर फौगाट के नेतृत्व में इस चेतावनी रैली में शामिल हुए। इससे पहले संघ के अध्यक्ष फौगाट ने हरियाणा के सभी अनुबंध/अस्थायी असिस्टेंट प्रोफेसर्स को रैली में शामिल होने के लिए आव्हान किया था।

HUCTA के राज्य प्रधान विजय मलिक ने कहा, "विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स के रिक्त पदों पर स्थाई भर्ती करने से 10-15 सालों से रिक्त पदों के विरुद्ध अनुबंध पर काम कर रहे हज़ारों असिस्टेंट प्रोफेसर्स पर छंटनी की तलवार लटक गई है जिसे लेकर हज़ारों असिस्टेंट प्रोफेसर्स व उनके परिजनों में भारी आक्रोश है और अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंता भी है। स्थाई भर्ती कर पुराने अनुबंध कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करना रोज़गार देना नहीं है।" 

विजय अपनी बात जारी रखते हुए कहते हैं, "सरकार को विश्वविद्यालयों में सालों से कार्यरत अनुबंध असिस्टेंट प्रोफेसर्स को रेगुलर करते हुए पूर्ण सेवा सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए क्योंकि अनुबंध पर काम कर रहे असिस्टेंट प्रोफेसर्स भी सभी औपचारिकताएं पूरी करने के उपरांत ही चयनित हुए थे और अब नई भर्ती होने से वे बाहर हो जाएंगे क्योंकि विज्ञापित पदों पर भर्ती इस तरह से निकली गई है की ज़्यादातर अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर्स आवेदन ही नहीं कर पा रहे हैं।"

विजय मलिक मांग करते हैं कि "प्रदेश सरकार बिना किसी देरी के तुरंत नियमितीकरण की पॉलिसी बनाकर अस्थायी असिस्टेंट प्रोफेसर्स को पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उड़ीसा सरकार की तरह नियमित करे और जब तक ऐसा नहीं किया जाता तब तक उन्हें रेगुलर कर्मचारी के समान वेतन व भत्तों समेत सेवा सुरक्षा प्रदान करे।"

वे प्रदेश सरकार की नीतियों पर सवालिया निशान लगाते हुए कहते हैं, "जब अन्य राज्यों में अनुबंधित कर्मचारियों को नियमित किया जा सकता है तो हरियाणा में क्यों नहीं, जबकि गठबंधन में शामिल दोनों ही पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र में कर्मचारियों को पक्का करने की मांग शामिल थी इसलिए आज सरकार को अपना वादा याद करने की ज़रूरत है।"

इस 'चेतावनी रैली' में कर्मचारियों ने अपनी मांगों को पुरज़ोर तरीके से उठाने के साथ-साथ पहलवानों का भी खुलकर समर्थन किया।

शिक्षक संघ और सर्व कर्मचारी संघ के नेता सीएन भारती ने कहा कि दिल्ली की महिला महापंचायत से इतना क्यों डरते हैं मोदी जी? उन्होंने कहा, "अखिल भारतीय किसान सभा और जनवादी महिला समिति के लगभग सभी लोगों को हरियाणा में गिरफ्तार कर लिया गया है। आज रेलवे स्टेशनों, टोल नाकों, व यूनियन नेताओं के घरों पर दबिश देकर उन्हें गृहबंदी बनाकर रोका जा रहा है, इसके अलावा रास्ते में रोक-रोक कर थानों में भरा जा रहा है ताकि वे दिल्ली के जंतर-मंतर पर ना जा सकें।"

इसके अलावा आगे उन्होंने कहा, "बार-बार साबित हो रहा है कि भाजपा का हाथ, यौन दुराचारियों के साथ है। आख़िर ऐसा क्यों है? क्योंकि इस दुष्कर्म में सभी शामिल लगते हैं। शायद तभी खट्टर व मोदी सरकार दोषी मंत्रियों के साथ खड़ी है। हम सरकार के इस कायराना हरकत की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। हम खिलाड़ियों की न्याय लड़ाई में उनका समर्थन करते हैं।"

हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के नेता वीरेंद्र ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "पुरानी पेंशन नीति कर्मचारियों का हक है। पंजाब और हिमाचल समेत कई प्रदेशों में वहां की सरकारों ने पुरानी पेंशन को लागू कर दिया है, लेकिन हरियाणा सरकार की नींद कब टूटेगी, पता नहीं।"

कर्मचारी नेताओं ने कहा, "अपनी ज़िंदगी के 30 साल सरकार को देने वाले कर्मचारियों की सुध नहीं ली जा रही। इतना ही नहीं, कच्चे कर्मचारियों को भी पक्का करने की बात नहीं की जा रही। हरियाणा में कौशल रोज़गार के नाम पर कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"

जींद की इस 'चेतावनी रैली' में कर्मचारियों ने अपने मुद्दों को बुलंद तरीके से उठाया। मुख्य मांगों में रेगुलाईज़ेशन, पुरानी पेंशन बहाली, नियम से नियमित भर्ती, हरियाणा का अलग से वेतन आयोग, कौशल रोज़गार को भंग करना और निजीकरण पर रोक लगाने जैसी मांगें शामिल थीं।

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