हिमाचल प्रदेश चुनाव: 12 नवंबर को होगा मतदान, कौन पड़ेगा भारी?
हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों की घोषणा हो गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 12 नवंबर को मतदान होंगे और 8 दिसंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। साथ ही चुनाव आयुक्त ने ये जानकारी भी दी कि हिमाचल प्रदेश के चुनाव एक ही चरण में संपन्न कराए जाएंगे।
विधानसभा चुनाव का पूरा प्रोग्राम
नॉटिफिकेशन: 17 अक्टूबर
नॉमिनेशन: 25 अक्टूबर
वोटिंग: 12 नवंबर
काउंटिंग: 8 दिसंबर
आपको बता दें कि 68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में सरकार का कार्यकाल अगले साल 8 जनवरी को खत्म हो रहा है, ऐसे में जहां भाजपा अपनी सरकार को फिर से स्थापित करने के लिए सभी दांव-पेंच लगा रही है, तो कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी ने भी चुनावी बिगुल फूंक दिया है। इन दोनों मुख्य पार्टियों के अलावा इस बार आम आदमी पार्टी चुनाव को दिलचस्प बनाने में अहम भूमिका अदा करेगी।
आपको बता दें कि 68 सीटों वाले हिमाचल में 20 आरक्षित सीटें हैं, जिसमें 17 सीटें अनुसूचित जाति यानी एससी और 3 सीटें अनुसूचित जनजाति यानी एसटी के लिए आरक्षित हैं। राज्य की सभी सीटों पर पिछले साल को चुनावों में पार्टियों के प्रदर्शन की बात करें तो भाजपा ने 44 और कांग्रेस ने 21 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि एक सीट पर सीपीआईएम और दो सीटों पर निर्दलीय विधायक चुने गए थे।
हिमाचल प्रदेश में बहुमत हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी को 35 सीटें जीतने का ज़रूरत होती है, जो फिलहाल भाजपा को हासिल है। पिछले चुनाव में प्रदर्शन को देखते हुए शायद एक बार फिर भाजपा मौजूदा मुख्यमंत्री जयदराम ठाकुर को ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है। हालांकि ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि बड़ा उलटफेर होने पर पार्टी केंद्रीय मंत्री जयराम ठाकुर को भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार बना सकती है। हालांकि आपको बता दें कि पिछले चुनावों में भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के नाम पर चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में भाजपा हाईकमान ने धूमल को हमीरपुर के बजाय सुजानपुर से टिकट दिया और वो चुनाव हार गए, यही कारण था कि वो मुख्यमंत्री नहीं बनाए गए थे।
वहीं बात कांग्रेस की करें तो प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाल लिया है। जिसका कारण शायद ये है कि पार्टी की ओर उम्मीदवार तो बहुत हैं, लेकिन आपसी सहमित नहीं होने के कारण कब कौन इधर से उधर हो जाए कहा नहीं जा सकता। बात पिछले चुनाव की करें तो कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नाम पर चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन साल 2021 में वीरभद्र सिंह का निधन हो गया था, ऐसे में पार्टी आनंद शर्मा पर दांव खेल सकती है। हालांकि चुनाव चुनाव में जीत मिलने के बाद फैसला और चेहरा बदला भी जा सकता है।
भाजपा और कांग्रेस के अलावा बात अगर तीसरे दल की करें तो आम आदमी पार्टी प्रमुख बन चुकी है। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार चुनावी रैलियां कर रहे हैं और भाजपा सरकार चुनौती दे रहे है। लेकिन असल में यहां आम आदमी पार्टी... भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को डरा रही है। इसका एक उदाहरण पूरा देश पंजाब में देख चुका है, अब हिमाचल में भी आम आदमी पार्टी कांग्रेस के लिए वोट कटवा साबित हो सकती है।
फिलहाल हिमाचल प्रदेश के अंदर मुद्दों की भरमार है, लेकिन कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो मौजूद भाजपा सरकार को पलटकर रख सकती है। इसमें कुछ मुद्दों पर नज़र डालें तो महंगाई, बेरोज़गारी, पुलिस पेपर लीक और कर्मचारियों की समस्याएं अहम हैं। कर्मचारियों में सरकारी, ग़ैर सरकारी, संविदा कर्मचारियों की तनख्वाह, पक्का करना, छुट्टियों में समस्याएं, नौकरी से निकालना जैसी तमाम समस्याएं सरकार को परेशान कर सकती हैं। इसके अलावा विपक्षियों के पास पुलिस पेपर लीक मामले को उठाने का भी बड़ा मौका है। फिर महंगाई और बेरोज़गारी से तो पूरा देश त्रस्त है।
वैसे विधानसभा चुनाव से पहले ही राज्य की जनता सरकार को चेतावनी दे चुकी है। पिछले साल तीन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा का सूपड़ा पूरी तरह से साफ हो गया था, यही कारण है कि भाजपा इस बार जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे कर रही है।
ख़ैर.. चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है, अब कुछ महीनों के भीतर तय हो जाएगा कि प्रदेश की जनता क्या चाहती है?
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