जीवन के रंग मिटाकर तुम/ किस रंग की होली खेलोगे?
हिंसा और नफ़रत के इस मौसम में कोई कैसे होली मनाए, कैसे खुशी मनाए! दिल्ली की हिंसा वाकई दिलों को व्यथित करने वाली है। आज हर संवेदनशील व्यक्ति के सामने यही सवाल है कि जब पड़ोस के घर के मातम हो तो वो कैसे हंसे-बोले, किसके साथ नाचे-गाए, खुशी मनाए।
हिंसा और नफ़रत के इस मौसम में कोई कैसे होली मनाए, कैसे खुशी मनाए! दिल्ली की हिंसा वाकई दिलों को व्यथित करने वाली है। आज हर संवेदनशील व्यक्ति के सामने यही सवाल है कि जब पड़ोस के घर के मातम हो तो वो कैसे हंसे-बोले, किसके साथ नाचे-गाए, खुशी मनाए। इसी पीड़ा, इसी दर्द को बयान करती है मुकुल सरल की कविता। जिसमें सवाल भी हैं और संदेश भी कि इस नफ़रत की राजनीति को समझना और इससे लड़ना बहुत ज़रूरी है।
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।