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IIT-BHU: "योगीराज में सुरक्षित नहीं हैं छात्राएं", पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए छात्र संगठनों का प्रदर्शन  

"बीएचयू जैसी शिक्षण संस्था में गैंगरेप की घटना बेहद शर्मनाक है और उससे भी ज़्यादा शर्मनाक है पुलिस की चुप्पी। अभी तक यौन हिंसा करने वाले अभियुक्तों का नहीं पकड़ा जाना यह दर्शाता है कि पुलिस नाकाम हो गई है अथवा वह जानबूझकर अभियुक्तों को बचा रही है।"
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IIT-BHU की पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन करती छात्राएं

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में गैंगरेप की शिकार आईआईटी छात्रा को न्याय दिलाने की मांग को लेकर छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (एपवा) एवं रिवॉल्यूशनरी यूथ एसोसिएशन (आरवाईए) ने गुरुवार को कचहरी स्थित शास्त्री घाट पर प्रदर्शन किया और धरना दिया। बाद में मुख्यमंत्री को संबोधित चार सूत्री मांग-पत्र प्रशासन को सौंपा। धरना स्थल पर आयोजित सभा में एपवा की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा, 'बीएचयू में छात्रा के साथ हुई गैंगरेप की संगीन वारदात के एक पखवाड़ा बीत जाने के बावजूद आरोपित नहीं पकड़े जा सके। योगीराज में बेटियां सुरक्षित नहीं है। यह स्थिति तब है जब बीजेपी सरकार रामराज लाने का दावा करती है।'

आईआईटी-बीएचयू की 20 वर्षीया छात्रा के साथ नवंबर महीने की शुरुआत में कथित तौर पर गैंगरेप, छेड़छाड़ और वीडियो बनाने की वारदात हुई थी। पुलिस ने एफआईआर में गैंगरेप की धारा तब जोड़ी जब मजिस्ट्रेट के सामने उसने बयान दर्ज कराया। पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग को लेकर छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (एपवा) एवं रिवॉल्यूशनरी यूथ एसोसिएशन (आरवाईए) ने आज देशव्यापी कॉल किया था। इसके मद्देनजर शास्त्री घाट कचहरी पर महिलाओं और छात्राओं ने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया और धरना दिया। प्रदर्शनकारी महिलाएं अपने हाथों में पीड़िता को न्याय दिलाने और योगीराज में बेटियां सुरक्षित नहीं जैसे नारे लिखी तख्तियां ले रखी थीं। गैंगरेप के आरोपियों को पकड़ने और उन्हें कड़ी  सजा देने के लिए काफी देर तक नारेबाजी चलती रही।

धरना स्थल पर आयोजित सभा में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा, "पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में छात्रा के साथ गैंगरेप करने वालों को 15 दिन बीत जाने के बाद भी नहीं पकड़ा जाना शर्मनाक है। बीएचयू जैसी शिक्षण संस्था में गैंगरेप की घटना बेहद शर्मनाक है और उससे भी ज्यादा शर्मनाक है पुलिस की चुप्पी। अभी तक यौन हिंसा करने वाले अभियुक्तों का नहीं पकड़ा जाना यह दर्शाता है कि पुलिस नाकाम हो गई है अथवा वह जानबूझकर अभियुक्तों को बचा रही है। मजिस्ट्रेट के समक्ष आईआईटी छात्रा अपना बयान दर्ज करा चुकी है कि उसके साथ सिर्फ छेड़छाड़ ही नहीं, गैंगरेप भी हुआ था। इस खबर को सभी अखबारों ने प्रमुखता से छापा है।"

उन्होंने कहा कि "हैरत की बात यह है कि लंका थाना पुलिस अपराधियों को पकड़ने के बजाय उन लोगों के खिलाफ एक्शन ले रही है जो अभियुक्तों को पकड़ने और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग उठा रहे हैं। 05 नवंबर 2023 को बीएचयू के लंका गेट पर शांतिपूर्वक धरना दे रहे स्टूडेंट्स के साथ एकतरफा और फर्जी मुकदमा दर्ज किया गया। एपवा मांग करती है कि शिक्षण संस्थानों में महिला आज़ादी को बरक़रार रखते हुए जेंडर जस्टिस कायम किया जाए।  इसके लिए जरूरी है की समूचे बीएचयू और आईआईटी में सुप्रीम कोर्ट के नियमानुसार तत्काल जीएससीएएसएच (gender sensitization committee against sexual harassment) का गठन किया जाए।"

उत्तर प्रदेश में महिला हिंसा की बढ़ती वारदातों का जिक्र करते हुए कुसुम वर्मा ने कहा, "यह योगी सरकार का कैसा सुसाशन है जहां महिलाएं सुरक्षित नहीं है। यहां तो न्याय की मांग करने वालों की आवाज दबाई जा रही है। जेंडर जस्टिस के मामले में डबल इंजन की सरकार फेल हो चुकी है। आईआईटी-बीएचयू की पीड़िता को जल्द न्याय नहीं मिला और छात्रा के पक्ष में आवाज़ बुलंद करने वाले स्टूडेंट्स के खिलाफ फर्जी एफआईआर नहीं हटाई गई तो बनारस की महिलाएं चुप नहीं बैठेंगी। पूरी ताकत के साथ महिलाएं-छात्राएं काशी की सड़कों पर उतरेंगी और जोरदार प्रदर्शन कर दुनिया भर का ध्यान आकृष्ट करेंगी।"

छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की राष्ट्रीय सह सचिव चंदा यादव ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई कि महिलाओं पर यौन हिंसा के मामले में फासीवादी ताकतें सिर उठा रही हैं। उन्होंने कहा, "योगीराज में अब न्याय मांगना भी दुष्कर हो गया है। आईआईटी-बीएचयू की पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आइसा समेत कई छात्र संगठन संयुक्त रूप से बीएचयू के सिंघद्वार पर तीन नवंबर से धरना दे रहे थे। पांच नवंबर को लंका थाना पुलिस की मौजूदगी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने आंदोलनकारी स्टूडेंट्स पर हमला बोल दिया। इस घटना में कई छात्राएं जख्मी हुईं। हमलावरों को रोकने के बजाय लंका थाना पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओं पर एससी-एसटी समेत कई अपराधिक धाराओं में फर्जी मामला दर्ज कर दिया है। बनारस कमिश्नरेट पुलिस की यह कार्रवाई न्याय संगत नहीं है।"

चंदा ने यह भी कहा, "पुलिस का रवैया यह दिखाता है कि वह एबीवीपी के हमलवारों से मिली हुई है। उन्हें गिरफ्तार करने से तो बच रही है। पढ़ने-लिखने और कैंपस में लोकतंत्र बहाली के लिए संघर्ष करने वाले स्टूडेंट्स को झूठे अपराधिक मुकदमें में फंसा रही है, छात्र संगठन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।"

रिवॉल्यूशनरी यूथ एसोसिएशन के प्रदेश सह-सचिव ठाकुर प्रसाद ने आईआईटी-बीएचयू की छात्रा को न्याय दिलाने की मांग उठाते हुए कहा, "योगीराज में महिलाओं और दलितों का उत्पीड़न लगातार बढ़ता जा रहा है। अपराधियों को गिरफतार करने के बजाय पुलिस उन्हें संरक्षण देने का काम कर रही है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र विवेक कुमार की वहां के चीफ प्राक्टर राकेश सिंह ने बर्बर पिटाई की। विवेक और उसके साथी विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि, जेंडर जस्टिस और लोकतंत्र को बहाल करने के पक्ष में आवाज़ उठा रहे थे। इस घटना के एक माह गुजर जाने के बाद अभी तक चीफ प्राक्टर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।"

सभा की अध्यक्षता करते हुए किसान नेता और एपवा की पूर्व राज्य अध्यक्ष कृपा वर्मा ने बेटियों से आह्वान किया कि वो अपने अधिकारों की लड़ाई खुद लड़ें। उन्होंने कहा, "बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नारा लगाने वाली बीजेपी सरकार उनकी हिफाजत नहीं कर पा रही है। यूपी में स्थिति बेहद भयावह है। रोजाना महिलाओं के साथ जघन्य अपराध की वारदातें सामने आ रही हैं। यूपी पुलिस का चेहरा भी बेनकाब होता जा रहा है। जो सरकार बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सकती उससे न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है? बीएचयू जैसी शिक्षण संस्थाओं में छात्राएं काफी संघर्ष करने के बाद दाखिला पाती हैं। जिंदगी में अपना मुकाम हासिल करने के लिए जब वो विश्वविद्यालय में आती हैं तो उन्हें दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है।"

सभा में जाने-माने लेखक वीके सिंह, आरवाईए के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश यादव, मृदुला, प्रिया, विभा वाही, धनशीला, अनीता, सुनीता, जीरा, चंद्रावाती आदि ने विचार व्यक्त किए।

बाद में राष्ट्रपति और जिलाधिकारी को संबोधित चार सूत्री मांग-पत्र सौंपा गया, जिसमें कहा गया है कि आईआईटी-बीएचयू में छात्रा के साथ किए गए गैंगरेप के अपराधियों को तत्काल गिरफ्तार कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए धरना दे रहे स्टूडेंट्स के खिलाफ दर्ज सभी फर्जी मुकदमे तत्काल वापस लिए जाएं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दलित छात्रनेता विवेक कुमार पर हमला करने वाले चीफ प्राक्टर राकेश सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर न्यायोचित कानूनी कार्रवाई की जाए। देश के सभी शैक्षणिक संस्थाओं में जीएससीएएसएच और एससी-एसटी सेल का गठन किया जाए।

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