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IIT-BHU गैंगरेप मामला: लामबंद हुए छात्र-महिला संगठन, पुलिस जांच पर उठाया सवाल!

“पुलिस हमें टाइमलाइन बताए कि वह कब तक आरोपियों को पकड़ लेगी? पुलिस यह भी स्पष्ट करे कि वह आरोपियों को पकड़ने की स्थिति में है अथवा नहीं?”
IIT BHU

आईआईटी-बीएचयू में बीटेक की छात्रा के साथ गन प्वाइंट पर गैंगरेप की खौफनाक वारदात ने बनारस और देश को झकझोर दिया है। इस घटना से सिर्फ स्टूडेंट्स व शिक्षक ही नहीं, हज़ारों अभिभावक और बीएचयू के पूर्व छात्र भी बेहद आक्रोशित हैं। बीएचयू के इतिहास में यह पहली घटना है जब कैंपस में किसी छात्रा के साथ गैंगरेप की वारदात हुई है। बनारस, पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना की तुलना निर्भया कांड से की जा रही है। एक हफ्ता बीत जाने के बावजूद पुलिस के हाथ आरोपियों तक नहीं पहुंच सके हैं। इसे लेकर पुलिस पर कई सवाल उठ रहे हैं।

बनारस कमिश्नरेट पुलिस पिछले आठ दिनों से आईआईटी-बीएचयू की छात्रा के साथ हैवानियत करने वालों की तलाश कर रही है। पहले यह माना जा रहा था कि छात्रा के साथ छेड़छाड़ की गई है लेकिन मजिस्ट्रेटी बयान के बाद यह पता चला कि आरोपियों ने छात्रा के साथ गन प्वाइंट पर गैंगरेप भी किया था। पुलिस की आधा दर्जन टीम बलात्कार के आरोपियों की तलाश कर रही हैं। गैंगरेप की घटना 01 नवंबर, 2023 की रात करीब डेढ़ बजे की है। बुलेट पर सवाल तीन लोगों ने छात्रा के साथ दरिंदगी की और उसका भी वीडियो बनाया। आरोपियों ने छात्रा का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने की धमकी भी दी। पीड़िता के मजिस्ट्रेटी बयान के बाद लंका थाना पुलिस ने अपने रोजनामचे में गैंगरेप की धारा बढ़ा दी है।

काशी के डीसीपी आरएस गौतम के मुताबिक, "छात्रा से गैंगरेप करने वालों की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ और क्राइम ब्रांच की छह टीमें लगाई गई हैं। करीब सवा दो सौ सीसीटी के फुटेज खंगाले गए हैं और डेढ़ दर्जन से ज़्यादा संदिग्ध लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।"

स्टूडेंट्स में भारी रोष

बीटेक छात्रा के साथ हुई गैंगरेप की घटना से बीएचयू के स्टूडेंट्स दहल गए हैं। छात्र-छात्राएं बेहद गुस्से में हैं। आठ नवंबर को हज़ारों छात्रों ने पुलिस के ख़िलाफ़ प्रतिरोध मार्च निकाला। मौके पर पहुंचे पुलिस अफसरों ने अपराधियों को पकड़ने का वादा भी किया, लेकिन जांच जहां की तहां पड़ी है। बदलाव यह आया है कि बीएचयू के हर चौराहे पर पुलिस और पीएसी के जवान तैनात कर दिए गए हैं। सुरक्षा के नाम पर करीब 11 करोड़ रुपये सालाना खर्च करने वाले बीएचयू में छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना ने समूचे पूर्वांचल और पश्चिमी बिहार को हिला दिया है। बीएचयू में सर्वाधिक छात्र इसी इलाके से पढ़ने आते हैं।

इस मामले की जांच पहले लंका थाने के इंस्पेक्टर सहजानंद श्रीवास्तव कर रहे थे। गैंगरेप की धारा बढ़ने के बाद इस मामले की विवेचना थानाध्यक्ष शिवाकांत मिश्र को सौंपी गई है। पुलिस सिर्फ विवेचना जारी रहने की बात कर रही है। मीडिया के सवालों पर भी पुलिस का एक ही जवाब आ रहा है कि विवेचना जारी है। अपराधी पकड़े जाएंगे तो प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए जानकारी दी जाएगी।

आईआईटी-बीएचयू, स्टूडेंट पार्लियामेंट के मेंबर प्रणव ने कहा, "गैंगरेप की घटना बेहद संगीन वारदात है। पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में बेटियां अगर सुरक्षित नहीं हैं तो गंभीर सवाल ज़रूर खड़े होंगे। बनारस कमिश्नरेट पुलिस अगर जांच नहीं कर पा रही है तो इस केस को सीबीआई के हवाले कर देना चाहिए। पुलिस हमें टाइम लाइन बताए कि वह कब तक आरोपियों को पकड़ लेगी? पुलिस यह भी स्पष्ट करे कि वह आरोपियों को पकड़ने की स्थिति में है अथवा नहीं? पुलिस अफसरों के आश्वासन पर छात्र आंदोलन टाला गया है, लेकिन अपराधी नहीं पकड़े गए तो हम चुप नहीं बैठेंगे।"

बीएचयू की एक छात्रा सिद्धी ने न्यूज़क्लिक से कहा, "पीड़िता के साथ गैंगरेप करने वाले आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। बनारस के पुलिस अफसर सिर्फ हॉस्टल और कैंपस की व्यवस्था पर बैठकें कर रहे हैं। यौन हिंसा को अंजाम देने वाले दरिंदों को पकड़ने में उनकी खास दिलचस्पी नज़र नहीं आ रही है। छात्रा के साथ हुई दरिंदगी को आठ दिन गुज़र गए हैं, लेकिन पुलिस के हाथ खाली हैं। स्टूडेंट्स का भरोसा पुलिस से उठता जा रहा है। अगर पुलिस इस केस को नहीं सुलझा पा रही है तो वह इसे सीबीआई को ट्रांसफर कर दें।"

बीएचयू के पूर्व छात्र भी लामबंद

इस घटना को लेकर बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व पदाधिकारियों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव और डॉ. राजेश मिश्रा (पूर्व सांसद) ने 09 नवंबर 2023 को बनारस के पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन से मिलकर पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग की। साथ ही छात्रों के ख़िलाफ़ दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग भी उठाई। पुलिस आयुक्त को दिए मांग-पत्र में कहा गया है कि "आईआईटी और बीएचयू में किसी तरह के विभाजन कि बात अव्यावहारिक और गैरज़रूरी है। ऐसे किसी प्रस्ताव को पास करने की ज़रूरत नहीं है। आईआईटी और बीएचयू परिसर में दीवार की बात हो, छात्र संगठनों को आपस में लड़ाना हो या फिर गंभीर आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की बात हो, ऐसी कोशिशों से शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रयासों को नुकसान पंहुचता है। पढ़ने-लिखने का माहौल खराब होता है। पुलिस और बीएचयू प्रशासन को इस तरह के मामले में धैर्य का परिचय देना चाहिए।"

बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव ने सवाल उठाया है कि "आईआईटी की छात्रा के साथ दुराचार करने वालों को पकड़ने में विलंब क्यों किया जा रहा है? बीएचयू की सुरक्षा के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये का बजट अलॉट किया जाता है तो यौन हिंसा के मामलों में सुरक्षा तंत्र को जवाबदेह और सक्षम क्यों नहीं बनाया जा रहा है? शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से आंदोलन करने वाले छात्रों पर मुकदमें क्यों लादे जा रहे हैं? छात्रा के साथ हुई घटना के बाद लंका थाना पुलिस ने आरोपितों को पकड़ने के बजाय छात्रों में गुटीय संघर्ष को बढ़ावा क्यों दिया गया और तमाम छात्रों के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी मुकदमें क्यों दर्ज किए गए?”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन से कहा कि "बीएचयू में आए दिन लड़कियों से छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हैं। बीएचयू में यौन हिंसा की घटना के बाद लंका स्थित सिंघद्वार पर अहिंसक तरीके से प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ पुलिस की मौजूदगी में हिंसा हुई। अराजक तत्व छात्रों के साथ मारपीट करते रहे और सुरक्षाकर्मी तमाशबीन बने रहे। सीधा सवाल यह कि पुलिस अफसरों की मौजूदगी में स्टूडेंट्स के साथ मारपीट कैसे हुई? दोषियों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय निर्दोष छात्रों पर संगीन धाराओं में केस क्यों दर्ज किया गया?"

बीएचयू के छात्र नेताओं का कहना है कि इस मामले में जल्द कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की गई तो देशभर से बीएचयू के पूर्व छात्र बनारस बुलाए जाएंगे और यहां से राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।

जनवादी संगठन से जुड़े छात्रों का आरोप है कि एक तरफ पुलिस जहां गैंग रेप के आरोपियों को पकड़ पाने में नाकाम है, वहीं बीएचयू के स्टूडेंट्स को आपस में लड़ा रही है। दरअसल, बीएचयू यौन हिंसा की घटना के बाद तीन नवंबर से लंका गेट पर जनवादी संगठनों से जुड़े स्टूडेंट्स ने धरना शुरू किया था। यह आंदोलन पीड़िता को न्याय दिलाने के अलावा बीएचयू कैंपस में छात्राओं की सुरक्षा के लिए GSCASH का गठन करने के लिए किया जा रहा था। आंदोलन करने वालों में आइसा, बीएसएम और दिशा समेत कई छात्र संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे। इन संगठनों का आरोप है कि घटना के समय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्रों ने आंदोलनकारियों ने उनके साथ मारपीट की और उन्हीं के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी मामला दर्ज करा दिया।

वहीं दूसरी ओर, एबीवीपी का आरोप है कि उनके सदस्यों के साथ मारपीट की गई और कुछ आपत्तिजनक नारे भी लगाए गए। एबीवीपी का ये भी दावा है कि उनके कुछ सदस्यों को गंभीर चोटें भी आई हैं, कुछ के हाथ-पैर में फ्रैक्चर भी आया है। ऐसे में छात्रों के गुट आमने-सामने हैं जो कि विश्वविद्यालय के माहौल के लिए ठीक नहीं है।

"राज्य में सुरक्षित नहीं बेटियां"

आईआईटी छात्रा से गैंगरेप के मामले में डेवलपमेंट और पुलिस कार्रवाई का जायज़ा लेने, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति का एक प्रतिनिधिमंडल, वरिष्ठ पदाधिकारी मधु गर्ग और वंदना राय के नेतृत्व में, 09 नवंबर 2023 को बनारस पहुंचा। इस मामले में गंभीर चिंता जताते हुए, प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस की जांच पर सवाल खड़ा किया। घटना के बाबत पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा और कहा कि घटना को एक हफ्ते बीत जाने के बाद भी दुष्कर्मियों की गिरफ्तारी न होना यह तस्दीक करता है कि यूपी में सुरक्षा इंतज़ाम ठीक नहीं है। बीएचयू परिसर में गैंगरेप की घटना से इस शैक्षणिक संस्थान की छवि धूमिल हुई है। इस वारदात से दो दिन पहले भी एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना हुई थी। शिकायत दर्ज कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।"

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति के पदाधिकारियों का कहना था कि "साल 2017 में छात्राओं के साथ ऐसी ही अभद्रता हुई थी और आंदोलनकारी छात्राओं पर ही पुलिस ने लाठीचार्ज करा दिया था। बीएचयू की छात्राएं रात के समय लाइब्रेरी से लौटतीं हैं तो उनके साथ आए दिन छेड़छाड़ की वारदातें होती हैं। बीएचयू प्रशासन कठोर कदम उठाने की जगह छात्राओं को ही ज़िम्मेदार ठहराने लग जाता है। सरकार 'बेटी पढ़ाओ' का नारा देती है, हमारे देश में जब बेटियां सुरक्षित ही नहीं रहेंगी तो पढ़ेंगी कैसे? इस घटना से छात्राएं भयभीत हैं। दुष्कर्मी जल्द नहीं पकड़े गए तो समाज में एक ग़लत संदेश जाएगा।"

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय संयुक्त सचिव ओर से पुलिस आयुक्त को दिए गए मांग-पत्र में कहा गया है कि "गोपनीयता के साथ छात्राओं से दोस्ताना माहौल में संवाद किया जाए जिससे और भी घटनाओं की जानकारी मिल सके। बीएचयू कैंपस की सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी की जाए ताकि असामाजिक तत्व कोई हिंसक वारदात नहीं कर सकें। विश्वविद्यालय परिसर में सभी स्थानों पर अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और अनुभवी सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाए। बीएचयू कैंपस में जीएसकैश लागू किया जाए और लड़कियों की शिकायतों पर त्वरित कानूनी कार्रवाई की जाए।"

गैंगरेप से दहल गए हैं अभिभावक

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय संयुक्त सचिव मधु गर्ग ने बीएचयू के हालात पर बात करते हुए न्यूज़क्लिक कहा, "चिंता की बात यह है कि महामना की बगिया अंधेरे में है और बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। पीएम के संसदीय क्षेत्र में कानून व्यवस्था चरमराई हुई है। यह स्थिति तब है जब सीएम योगी आदित्यनाथ आए दिन बनारस का का दौरा करते रहते हैं। बीएचयू में सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम नहीं होंगे तो अभिभावक अपनी बेटियों को यहां पढ़ने के लिए क्यों भेजेंगे?"

"अगर बड़े फलक पर देखें तो आज भी देश में यौन हिंसा का शिकार हो रही हज़ारों महिलाएं न्याय की लंबी और दुरूह लड़ाइयों से जूझ रही हैं। ऊंच-नीच से भरे समाज को दो हिस्सों में बांटा जा रहा है। जहां नफ़रत के सहारे वोट जुटाए जा रहे हों तो वहां गैंगरेप की घटनाएं आम हैं। यौन हिंसा की शिकार तमाम महिलाएं सामाजिक दबाव और पारिवारिक प्रतिष्ठा के भय के चलते शिकायतें दर्ज नहीं करा पाती हैं।"

मधु कहती हैं, "बड़ा सवाल यह है कि क्या हम एक समाज के तौर पर बलात्कारयों के साथ खड़े हैं? क्या हम बलात्कार का दोष किसी न किसी तरीके से पीड़िता पर डालने की कोशिश करते हैं? 'रेप कल्चर' दुनिया के लगभग हर हिस्से और हर समाज में किसी न किसी रूप में मौजूद है। इसमें वह मानसिकता और चलन भी शामिल है जो समाज के एक तबके को दबाने और दूसरे को आगे करने की कोशिश करते हैं। बलात्कार को शर्मिंदगी से जोड़ना, बलात्कार पीड़िता और उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार, अपराधियों को सज़ा दिलाने को लेकर उदासीन रवैया भी इस चलन को बढ़ावा देते हैं।"

(लेखक बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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