तस्वीरों में: आंध्र प्रदेश के दोसापाडु गांव में भूमि के अवैध अतिक्रमण के ख़िलाफ़ दलितों का अनोखा विरोध
दोसापाडु गांव में कम से कम 45 दलित परिवारों ने पिछले 20 वर्षों में सरकार द्वारा उन्हें दी गई भूमि खो दी है।
दोसापाडु गांव में दलितों ने शुक्रवार को मछली पकड़ कर अपरंपरागत तारीके से विरोध किया।दोसापाडु गांव में कम से कम 45 दलित परिवारों ने पिछले 20 वर्षों में सरकार द्वारा उन्हें दी गई भूमि खो दी है। उन्होंने A.P Assigned Lands (Prohibition of Transfers) Act, 1977 के उल्लंघन में अवैध भूमि हस्तांतरण के कारण ज़मींदारों को अपनी भूमि खो दी है।
ज़मींदारों ने जलीय कृषि व्यवसाय के लिए साइटों को आकर्षक मछली तालाबों में बदल दिया। इस कारोबार से कथित तौर पर सालाना लगभग 4-5 लाख रुपये प्रति एकड़ की कमाई हो रही थी।
2 सितंबर को, दलितों ने जमीन पर कब्जा कर लिया और 400 एकड़ के मछली तालाबों में मछली पकड़ने का काम किया। उन्होंने कई टन मछलियां पकड़ीं और उन्हें आपस में बांटी।
मौके पर पहुंची पुलिस और डेंदुलुरु के तहसीलदार ने ग्रामीणों व नेताओं से बातचीत की। नेताओं ने एक अल्टीमेटम दिया कि वे मछली पकड़ना तब तक जारी रखेंगे जब तक कि ज़मीन को मूल धारक को वापस नहीं कर दी जाती।
इस विरोध को माकपा और अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन ने समर्थन दिया। वे इस विरोध को तब तक चलाने की योजना बना रहे हैं जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता और उनके परिवारों को जमीन वापस नहीं कर दी जाती है।
लोकायुक्त के आदेश के बावजूद कि जमीनों पर अतिक्रमण किया गया था, यह मामला अब भी मुकदमे में फंसा हुआ है। दलित परिवार 2007 से अपनी ज़मीन वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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