''KEEPING UP THE GOOD FIGHT'’ : आपातकाल से मौजूदा समय तक को आइना दिखाती प्रबीर की किताब पर चर्चा, दिखी एकजुटता
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, वकील, शिक्षाविद और कार्यकर्ता 14 दिसंबर को न्यूज़क्लिक के संस्थापक व प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए एक साथ आए। इस आयोजन का उद्देश्य पुरकायस्थ की नवीनतम पुस्तक ''कीपिंग अप द गुड फाइट: फ्रॉम द इमरजेंसी टू द प्रेजेंट डे'’ (KEEPING UP THE GOOD FIGHT: FROM THE EMERGENCY TO THE PRESENT DAY) पर चर्चा करना था। इस कार्यक्रम की मेजबानी लेफ्टवर्ड बुक्स और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने संयुक्त रूप से की।
प्रबीर पुरकायस्थ के साथ संस्थान के मानव संसाधन प्रमुख अमित चक्रवर्ती भी न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें गत अक्टूबर में दिल्ली पुलिस द्वारा कठोर ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ़्तार किया गया है।
द हिंदू ग्रुप पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक एन राम वरचुअली इस कार्यक्रम में शामिल हुए और पुस्तक में 1975-77 के आपातकाल के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर प्रकाश डाला। इस दौरान पुरकायस्थ को गिरफ्तार किया गया और जेल में डाल दिया गया था। वर्तमान समय में भी इन्हीं चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने स्वतंत्र प्रेस पर लक्षित हमलों पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी की और इसे "अंधकार युग से कहीं अधिक गंभीर हमला" बताया।
उन्होंने कहा, "संस्थानों पर कब्जा कर लिया गया है, संस्थानों में हेरफेर किया गया है, और मीडिया की स्वतंत्रता पर बड़े पैमाने पर हमला किया जा रहा है... बेशक, अभी भी जगहें हैं जहां लोग बोलते हैं," उन्होंने मौजूदा दौर का जिक्र करते हुए वर्तमान समय को " हिंदुत्व अधिनायकवादी शासन'’ बताया। उन्होंने इन चुनौतियों के बावजूद आशावाद को प्रोत्साहित किया। इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पुस्तक यह सबक देती है कि यद्यपि मीडिया की स्वतंत्रता और बुनियादी मानवाधिकारों के लिए चीजें निराशाजनक लग सकती हैं, लेकिन किसी को निराशावाद के आगे नहीं झुकना चाहिए।
एन राम के हवाले से द हिंदू ने प्रकाशित किया कि "हो सकता है कि अल्पकालिक निराशावाद लाजमी हो, लेकिन निराशावादी न बनें। मुझे लगता है कि इसकी इस पुस्तक में काल्पनिक या कृत्रिम रूप चर्चा नहीं की गई है, यह अनुभव जीने से आता है।"
राम ने अगस्त में अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम पर प्रकाशित एक लेख का जिक्र करते हुए कहा, “हम मैककार्थीवाद अभियान को जानते हैं, यह कोई एक मीडिया की स्टोरी नहीं है, यह एक संपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक, वैचारिक रचना के बारे में है जिसने सूचना पारिस्थितिकी तंत्र में जहर घोला है। न्यूज़क्लिक और विशेष रूप से प्रबीर और अमित पर जो मैककार्थीवाद का प्रभाव पड़ा है, उसे न्यूयॉर्क टाइम्स की घटिया पत्रकारिता ने बढ़ावा दिया…।”
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ वकील हेगड़े ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संविधान की रक्षा करने के लिए प्रबीर अपने जीवन में दो बार शिकार हुए हैं। “ये अंतरात्मा वाले पुरुष और महिलाएं हैं जो अच्छी लड़ाई लड़ते हैं या हमें याद दिलाते हैं कि संविधान नागरिक और नागरिक के बीच एक गंभीर समझौता है जैसे यह एक राष्ट्र है कि हम एक साथ काम करेंगे और हम एक साथ रहेंगे।'’
पुरकायस्थ को संविधान के रक्षक के रूप में बताते हुए, हेगड़े ने कहा कि पुरकायस्थ ने पीड़ित होने को अस्वीकार कर दिया है क्योंकि यह इतिहास को आकार देने में व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी को छीनता है, उन्हें मात्र वस्तुओं तक सीमित कर देता है।
कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं में लेखिका गीता हरिहरन, इंद्राणी मजूमदार, जो पहले महिला विकास अध्ययन केंद्र से जुड़ी थीं, और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता बेजवादा विल्सन शामिल थे। ये सभी पुरकायस्थ को कई दशकों से जानते हैं।
इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
Voices Unite: Solidarity Pours in at NewsClick Founder Prabir Purkayastha’s Book Event
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