केरल: मस्जिद समिति द्वारा किए गए जाति-आधारित भेदभाव की कड़ी भर्त्सना
केरल में एक मस्जिद समिति- द्वारा एक दलित मुस्लिम के साथ किए गए जाति आधारित भेदभाव का मामला सामने आया जिसमें उसे इस आधार पर आम बैठक से दूर रहने को कहा गया कि ''परंपरागत रूप से आपके पूर्वजों को आम बैठक में भाग लेने से प्रतिबंधित किया गया था।''
केरल के चंगानास्सेरी में 'पुथूरपल्ली मुस्लिम जमात' मस्जिद द्वारा इस तरह का निर्णय लिया गया था।
इसकी कई मुस्लिम संगठनों द्वारा कड़ी निंदा की गई।
बता दें कि इस्लाम धर्म में जाति की कोई अवधारणा नहीं है, लेकिन जाहिर तौर पर जाति और जाति-आधारित भेदभाव दक्षिण एशिया और अन्य जगहों पर भी इस्लाम की शर्मनाक वास्तविकता का हिस्सा बना हुआ है।
दलित पसमांदा सामूहिक न्याय परियोजना(डीपीसीजेपी) ने इस भेदभाव की घोर निंदा की है। डीपीसीजेपी की आवाज में आवाज मिलाते हुए इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी (आईएमएसडी) ने भी मामले की कड़ी भर्त्सना की है।
डीपीसीजेसी ने मांग की है कि केरल सरकार और पुलिस "जातिवाद/नस्लवाद में विश्वास रखने वाले इन नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।" अन्यथा, “हम उनके खिलाफ अपने तरीके से कार्रवाई करेंगे।” डीपीसीजेसी ने कहा कि वह शांतिपूर्ण विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार का समर्थन करती है।
इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी ने भी एकजुटता दिखाते हुए कहा कि सिद्धांत रूप में, आईएमएसडी सभी प्रकार के जाति-आधारित भेदभाव का विरोध करता है। इस दौर में विशेष सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि सत्तारूढ़-भाजपा पसमांदा मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं को भगवा खेमे में लुभाने की दिनरात कोशिश कर रही है।
डीपीसीजेपी और आईएमएसडी ने मुस्लिम संगठनों और व्यक्तियों का आह्वान करते हुए कहा कि चंगनास्सेरी में संबंधित मस्जिद समिति दलित मुसलमानों से माफी मांगे और भेदभावपूर्ण प्रथा को समाप्त करे।
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