इज़राइल को श्रम-निर्यात भारत के सुरक्षा प्रोटाकॉल की अवहेलना!
इजराइल और हमास के बीच युद्ध जारी है, जिसमें अब तक 25,000 से अधिक गज़ावासियों की जान जा चुकी है और इस बीच भारतीय श्रमिकों को इज़राइल में काम करने के लिए उड़ान भरने की अनुमति दे देना जिसमें ई-माइग्रेट प्रणाली, श्रम प्रवासन की सुरक्षा और विनियमन की अनिवार्य सुरक्षा को दरकिनार कर दिया गया है।
आधिकारिक तौर पर यमन युद्ध शामिल में नहीं है। हालांकि 2014 से सऊदी अरब के नेतृत्व वाला गठबंधन यमनी धरती से हौथी विद्रोहियों को बाहर निकालने के लिए यमनी शहरों पर बमबारी कर रहा है।
2017 के बाद से भारतीय लोगों की यमन की यात्रा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी तरह, इराक भी किसी के साथ युद्ध में शामिल नहीं है। जबकि अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन ने इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों को 'निष्प्रभावी' बना दिया है। फिर भी सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर यहां भी भारतीयों की यात्रा को कुछ प्रांतों तक ही सीमित कर दिया गया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि जब इजराइल और हमास के बीच आधिकारिक युद्ध चल रहा है जिसमें अब तक 25,000 से अधिक गज़ावासियों की जान जा चुकी है, तब भी भारतीय श्रमिकों को इजराइल में काम करने की इजाजत दी जा रही है और उनके लिए सुरक्षा के सभी आवश्यक उपायों को दरकिनार किया जा रहा है।
इस श्रमिक भर्ती प्रक्रिया में भारत सरकार की अपनी ई-माइग्रेट प्रणाली को लूप से बाहर रखा गया है और इसके लिए राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) आवेदन मांग रहा है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, कोई भी भारतीय तब तक विदेश प्रवास नहीं कर सकता है जब तक कि वह इमिग्रेशन के संरक्षक से इमिग्रेंट की मंजूरी हासिल न कर ले।
इसके अलावा, प्रतिकूल श्रम कानूनों या सुरक्षा चिंताओं के कारण 'आवश्यक इमिग्रेशन मंजूरी' के रूप में नामित 17 देशों में से किसी में भी प्रवास करने की योजना बना रहे भारतीय नागरिकों को 2014 और 2015 के बीच पूर्व भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा स्थापित ई-माइग्रेट प्रणाली के माध्यम से पंजीकरण करना होगा।
आवश्यक 17 इमिग्रेशन मंजूरी वाले देश अफ़गानिस्तान, इराक, जॉर्डन, लीबिया, सीरिया, लेबनान, बहरीन, सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, सूडान, यमन, इंडोनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया हैं।
जबकि अफ़गानिस्तान, इराक, लीबिया, सीरिया और यमन महत्वपूर्ण सुरक्षा चिंताओं वाले देशों की श्रेणी में आते हैं। सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, सूडान, इंडोनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया को मुख्य रूप से अमित्र श्रम कानूनों वाले देशों के रूप में दर्ज़ किया गया है।
असुरक्षित और अनियमित श्रमिक प्रवासन के बारे में चिंताओं के जवाब ढूंढते हुए, भारतीय विदेश मंत्रालय ने 2014 और 2015 के बीच कई चरणों में श्रमिकों के सुरक्षित, नियमित और व्यवस्थित आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए ई-माइग्रेट प्रणाली की स्थापना की थी।
यह व्यापक मंच पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निगरानी सुनिश्चित करते हुए, प्रवासियों के संरक्षक, भारतीय दूतावासों, नियोक्ताओं, बीमा एजेंसियों, पासपोर्ट कार्यालयों, भर्ती एजेंसियों और आप्रवासन ब्यूरो को एक साथ जोड़ता है।
इसके लॉन्च होने के बाद से, सिस्टम ने कर्मचारी सुरक्षा और तैयारी दोनों को प्राथमिकता देते हुए उन आदर्श वाक्यों "सुरक्षित जाएं, प्रशिक्षित जाएं" को बरकरार रखा है।
इसके अतिरिक्त, ई-माइग्रेट प्रणाली के माध्यम से प्रवास करने वाले मज़दूर बीमा योजनाओं के भी पात्र होते हैं। हालांकि कुछ कमियों के बावजूद भी उनके कल्याण का ध्यान रखा जाता है।
ई-माइग्रेट प्रणाली के माध्यम से प्रवास करने वाले श्रमिकों को प्रवासी भारतीय भीम योजना, जोकि एक अनिवार्य बीमा योजना है की सदस्यता लेनी होगी। यह योजना विदेशी भूमि पर काम करने गए प्रवासी श्रमिकों के लिए दो और तीन साल की अवधि के लिए क्रमशः 275 और 375 रुपए के बीमा प्रीमियम पर होगी और आकस्मिक मृत्यु या स्थायी विकलांगता के मामले में 10 लाख रुपये का बीमा कवर प्रदान करती है।
यह योजना पासपोर्ट श्रेणी की परवाह किए बिना इमिग्रेंट अधिनियम, 1983 की धारा 2 (ओ) के तहत कार्य श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले विभिन्न व्यवसायों के लिए अनिवार्य है। दिलचस्प बात यह है कि इज़राइल में भर्ती किए गए कर्मचारी उस श्रेणी में आते हैं जिन्हें अनिवार्य रूप से प्रवासी भारतीय भीम योजना का कवर लेना जरूरी है।
दुर्भाग्य से, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा इज़राइल में की जाने वाली वर्तमान भर्ती ई-माइग्रेट प्रणाली के माध्यम से नहीं की गई है।
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम एक गैर-लाभकारी पब्लिक लिमिटेड कंपनी है जिसे 31 जुलाई, 2008 को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत शामिल किया गया था।
वित्त मंत्रालय ने इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर स्थापित किया था। भारत सरकार, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के माध्यम से, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम की 49 प्रतिशत शेयर पूंजी रखती है, जबकि निजी क्षेत्र के पास शेष 51 प्रतिशत शेयर पूंजी है।
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के 'हमारे बारे में जाने' अनुभाग के अनुसार, इसका उद्देश्य बड़े, गुणवत्तापूर्ण और लाभकारी व्यावसायिक संस्थानों के निर्माण को बढ़ावा देकर कौशल विकास को बढ़ावा देना है। दिलचस्प बात यह है कि यह भर्ती इसके 'हमारे बारे में जाने' अनुभाग में शामिल नहीं है।
ई-माइग्रेट का इस्तेमाल न करने के बावजूद, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम इज़राइल में विभिन्न नौकरी श्रेणियों के लिए 10,000 संभावित प्रवासियों से आवेदन आमंत्रित कर रहा है। दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारें भी ई-माइग्रेट को दरकिनार कर इज़राइल में श्रमिकों की भर्ती के लिए मैदान में कूद पड़ी हैं।
दस्तावेज़ों पर करीब से नज़र डालने पर पता चलता है कि भारत और इज़राइल ने शांति की अवधि के दौरान मई 2023 में श्रमिक प्रवासन पर निर्णय लिया था। अक्टूबर में हमास के हमले का समझौते पर कोई असर नहीं पड़ा और दोनों देश इस पर आगे बढ़ते रहे हैं।
एक अन्य आधिकारिक दस्तावेज़ से पता चलता है कि भारतीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने निर्माण और देखभाल क्षेत्रों के लिए श्रमिकों की भर्ती के लिए नवंबर 2023 में इज़राइल के साथ तीन साल का समझौता किया था, जो 2023 में शुरू होगा और 2026 तक जारी रहेगा।
दिलचस्प बात यह है कि दस्तावेज़ से यह भी पता चलता है कि दिसंबर 2023 में भर्ती प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया गया था जबकि इज़राइल और हमास एक सशस्त्र संघर्ष में भिड़े हुए थे।
यह भी दिलचस्प बात यह है कि 19 दिसंबर को इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक नोट से पता चलता है कि उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ "भारत से इज़राइल राज्य में विदेशी श्रमिकों के आगमन को आगे बढ़ाने" पर बात की थी।
इस बीच, भारत-इज़राइल श्रमिक प्रवासन के बारे में विदेश मंत्रालय के अपडेट के बारे में जानने वाले एक सूत्र ने द लीफलेट को बताया था कि इज़राइल में भर्ती होने वाले श्रमिकों को अन्य लाभों के अलावा प्रवासी भारतीय भीम योजना कवर नहीं मिलेगा क्योंकि उन्हें ई-माइग्रेट प्रणाली माध्यम से भर्ती नहीं किया गया है।
संक्षेप में, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के माध्यम से भर्ती किए गए श्रमिकों को ई-माइग्रेट प्रणाली में सूचीबद्ध कोई बीमा कवरेज और अन्य सुरक्षा नहीं मिलेगी।
नवंबर 2023 में ऐसी खबरें आई थीं कि इजरायल फिलिस्तीनियों को काम से हटाकर उनकी जगह भारतीयों को ले लेगा। उसी महीने, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने बताया था कि इज़राइल-हमास युद्ध की शुरुआत के बाद से लगभग 182,000 गज़ावासियों ने अपनी ही पट्टी में नौकरियां खो दी थीं। इसके अतिरिक्त, ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि युद्ध शुरू होने के बाद हजारों थाई श्रमिकों ने इज़राइल छोड़ दिया है।
जबकि फ़िलिस्तीनियों को काम से 'हटाया' जा रहा है और अन्य विदेशी कामगार इज़राइल से भाग रहे हैं और भारतीय श्रमिक आश्चर्यजनक रूप से बिना किसी सुरक्षा के युद्धक्षेत्र में काम करने जा रहे हैं।
दोनों प्रधानमंत्री फोन पर बात कर श्रमिकों के आगमन को आगे बढ़ावा दे रहे हैं। भारत ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए, सारा का सारा काम कौशल विकास निगम को सौंप दिया है, और फिलहाल हमारे दो राज्य इस मौके का लाभ उठाने के लिए मैदान में कूद पड़े हैं।
यह सब दिवंगत मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा निर्धारित आधिकारिक प्रवासन चैनल को दरकिनार करते हुए हो रहा है। यह श्रमिकों को खतरे में डालने वाला है और एक गलत मिसाल कायम करने वाला है। क्योंकि युद्ध क्षेत्र में कोई सुरक्षित क्षेत्र नहीं होता जहां श्रमिक काम कर सकें।
रेजिमोन कुट्टपन एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और प्रवासियों के अधिकार के शोधकर्ता हैं।
सौजन्य: द लीफ़लेट
मूल अंग्रेजी लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।