श्रमिक संघों ने दक्षिण अफ्रीकी डेयरी दिग्गज पर पेट्रोल बम हमले करवाने और धमकाने के आरोप लगाये
विभिन्न संगठनों और श्रमिक संघों के कर्मचारियों ने जोहान्सबर्ग में कैथेड्रल हॉल में वर्तमान में जारी क्लोवर स्ट्राइक और भविष्य की रणनीति को लेकर चर्चा करने के लिए एक जनसभा का आयोजन किया। फोटो: वर्कर्स एंड सोशलिस्ट पार्टी
दक्षिण अफ्रीका के सबसे बड़े डेयरी क्षेत्र के नियोक्ता, क्लोवर में पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से हड़ताल की कार्यवाई चल रही है, जिसमें उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। श्रमिक संघों का आरोप है कि इसके सदस्यों को डराने-धमकाने के लिए पेट्रोल बम हमले किये जा रहे हैं।
11 जनवरी के एक बयान में, जनरल इंडस्ट्रीज वर्कर्स यूनियन ऑफ़ साउथ अफ्रीका (जीआईडब्ल्यूयूएसए) और फ़ूड एंड अलाइड वर्कर्स यूनियन (एफएडब्ल्यूयू) ने, जो पिछले 22 नवंबर से 5000 क्लोवर श्रमिकों के द्वारा की गई औद्योगिक कार्यवाई का नेतृत्व कर रही है, ने 7 जनवरी से हुए श्रृंखलाबद्ध हमलों को सूचीबद्ध किया है।
इसके बयान में कहा गया है, “शुक्रवार 7 जनवरी की रात को, एक हडताली कर्मचारी की कार पर पेट्रोल बम से हमला किया गया था। शनिवार 8 जनवरी की रात को, एक अन्य हडताली कर्मचारी की कार पर पेट्रोल बम फेंका गया। रविवार 9 जनवरी की रात को, पांच कारों में सवार लोगों ने दो हड़ताली कर्मचारियों से भेंट की और उनसे हड़ताल खत्म करने की मांग करने लगे। इसके अलावा, रविवार 9 जनवरी की रात को ही, तीन अन्य हड़ताल में शामिल कर्मचारियों के पास रात करीब 11:45 बजे धमकी भरे फोन काल आये, जिसमें उनसे हड़ताल खत्म करने के लिए कहा गया था।”
जीआईडब्ल्यूयूएसए के अध्यक्ष, मामेतल्वे सेबेई ने पीपल्स डिस्पैच को बताया कि इन हमलों और धमकियों के लिए कंपनी को जिम्मेदार ठहराते हुए यूनियनों की ओर से पुलिस में शिकायत दर्ज की जायेगी। सेबेई ने इजराइली सेंट्रल बॉटलिंग कंपनी (सीबीसी) का जिक्र करते हुए कहा, “जिस किसी को भी इस कंपनी के मालिकों की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी है, उसे इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि कंपनी इस तरह के हथकंडों को प्रोत्साहित कर सकती है या इनका इस्तेमाल कर सकती है।” इसके पास मिल्को कंसोर्टियम का 60% मालिकाना हक है जिसने 2019 में एक विवादास्पद विलय में क्लोवर को खरीदा था।
उस दौरान इस विलय का विरोध करते हुए विभिन्न श्रमिक संघों एवं नागरिक समाज समूहों ने तर्क दिया था कि चूँकि, सीबीसी, फिलिस्तीन के अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में अपना संचालन कर रहा था, जो कि अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन था और इसलिए उसे दक्षिण अफ्रीका की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी डेयरी कंपनी को खरीदने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि इस आपत्ति को कम्पटीशन ट्रिब्यूनल ने इस आधार पर ख़ारिज कर दिया था कि उसके पास इन आधारों पर की जाने वाली आपत्तियों पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र नहीं हासिल है।
श्रमिक संघों की ओर से इस आधार पर भी आपत्ति जताई जा रही थी कि यह विलय एक पुनर्गठन कार्यक्रम का एक हिस्सा प्रतीत हो रहा है, जिसे उस समय गुपचुप ढंग से अंजाम दिया जा रहा था और इस सबके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर नौकरियों का नुकसान होगा। विलय करने वाली पार्टियों ने ट्रिब्यूनल को इस बात के प्रति आश्वस्त किया था कि विलय के चलते न सिर्फ किसी को नौकरी से निकाला जायेगा बल्कि यह भी कि वर्तमान में जारी छंटनी कार्यक्रम को भी अक्टूबर 2022 तक स्थगित रखा जायेगा और इस बीच 500 नई नौकरियों को पैदा किया जायेगा।
जहाँ एक ओर श्रमिक संघों को इन आश्वासनों पर संदेह था, वहीँ ट्रिब्यूनल इस बात से पूरी तरह से आश्वस्त था और उसके द्वारा विलय के लिए मंजूरी दे दी गई। यूनियनों का तर्क है कि हाल ही में क्लोवर द्वारा छंटनी (धारा 189ए) नोटिस को जारी किया गया है जो उन शर्तों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है जिन पर ट्रिब्यूनल ने विलय की मंजूरी दी थी।
उनकी ओर से साफ-साफ़ इशारा किया गया है कि इन नोटिसों में क्लोवर ने जिस रिस्ट्रक्चरिंग प्लान का उल्लेख किया है उससे क्लोवर और उसकी सहायक कंपनियों के भीतर 7,382 नौकरियां प्रभावित होने जा रही हैं। कंपनी कम से कम 1,418 नौकरियों को खत्म करने पर विचार कर रही है।
क्लोवर की तरफ से 800 से अधिक अन्य नौकरियों को पहले ही कर्मचारियों को स्वैच्छिक विच्छेद पैकेज (वीएसपी) का विकल्प चुनने के लिए मजबूर किया जा चुका है, जिसमें उन्हें अंतर्देशीय क्षेत्रों से महंगे समुद्र तटीय शहरों में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहाँ पर वे वर्तमान में जितना कमा रहे हैं उसमें अपना खर्चा चला पाने में पूरी तरह से असमर्थ रहने वाले थे।
सेबेई ने कहा, “हम एक ऐसी कंपनी के बारे में बात कर रहे हैं जिसका फिलिस्तीनी कब्जे वाले क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन में मिलीभगत का इतिहास रहा है। हम एक ऐसी कंपनी के बारे में बात कर रहे हैं जिसने एक विदेशी देश के कम्पटीशन ट्रिब्यूनल से सरासर झूठ बोलकर उस देश की सबसे बड़ी दुग्ध कंपनी को अपने कब्जे में ले लिया। उनका तर्क है, “ऐसे में इस बात से किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि इस तरह का रिकॉर्ड रखने वाली कंपनी,” हड़ताल में शामिल कर्मचारियों पर शारीरिक तौर पर डराने-धमकाने वाले विकल्प को निश्चय ही चुन सकती है।
ये हमले “इसकी बढ़ती हताशा के संकेत” हैं
जीआईडब्ल्यूयूएसए के अध्यक्ष ने बताया कि पेट्रोल बम हमले ऐसे समय में हुए हैं जब श्रमिक संघों को हाल के दिनों में इस लंबे चले संघर्ष में मिली जीत से कंपनी डगमगा गई है। इस महीने की शुरुआत में 4 जनवरी को हुई बैठक में विभिन्न यूनियनों के द्वारा भेजी गई लिखित शिकायत मिलने पर कम्पटीशन ट्रिब्यूनल ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह क्लोवर के द्वारा विलय की शर्तों के उल्लंघन के उनके आरोपों की जांच करेगा।
एक हफ्ते से कम समय बाद ही 10 जनवरी को, सुलह, बीच-बचाव, और मध्यस्तता आयोग (सीसीएमए) ने क्लोवर के खिलाफ और यूनियनों के पक्ष में फैसला सुना दिया, और साथ ही कंपनी को 14 जनवरी तक हड़ताल में शामिल कर्मचारियों को क्रिसमस बोनस का भुगतान कर देने के आदेश दिए हैं, जिसे इसने अवैध तरीके से निरस्त कर दिया था।
सेबेई ने विस्तार से बताया, “जबसे से हड़ताल शुरू हुई है, तबसे तनख्वाह पर रोक लगा दी गई है। क्रिसमस बोनस (आमतौर पर नवंबर में भुगतान कर दिया जाता है) को भी रोककर कंपनी चाहती थी कि श्रमिकों की हड़ताल को बचाए रखने की मुहिम को असंभव बना दिया जाये। हालाँकि, हमने दिसंबर तक किसी तरह आंदोलन को जिंदा रखा, और अब बोनस जारी कर दिए जाने के बाद कर्मचारी एक और महीने तक हड़ताल को जारी रख सकते हैं।” उम्मीद है कि सीसीएमए जल्द ही श्रमिक संघों के द्वारा उठाये गए एक अन्य विवाद जिसमें दिसंबर में सैकड़ों हड़ताली कर्मचारियों को कथित रूप से “अनुचित बर्खास्तगी” के संबंध में अपना फैसला दे देगी।
उनका तर्क था, कंपनी के पास आने वाले इन झटकों को झेलने के बीच, ये हमले “एक प्रकार से उसकी बढ़ती हताशा का संकेत” हैं। उनका कहना था, “भले ही यदि हम कानून की अदालत में उक्त घटना की बात को साबित कर पाने में असमर्थ रहते हैं कि कंपनी के अमुक व्यक्ति ने इन हमलों को करने के लिए इन व्यक्तियों को भुगतान किया है - क्योंकि ऐसे अस्पष्ट सौदे हमेशा गुप्त होते हैं – इसके बावजूद हमारा तर्क यही रहने वाला है कि इसकी अंतिम जवाबदेही कंपनी पर ही बनती है।”
उन्होंने कहा, “भले ही उनके द्वारा सीधे तौर पर हमले का आदेश न दिया गया हो – जो कि एक संभावना है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता है – लेकिन उन्होंने ऐसे हमलों को बढ़ावा देने के लिए समुदायों के बीच में एक माहौल को तैयार किया है।”
गरीबों और बेरोजगार लोगों के सामुदायिक संगठन जो कि ऐतिहासिक तौर पर श्रमिक वर्ग के संगठनों के साथ एकजुटता में खड़े रहे हैं, जैसा कि गौटेंग में यूनाइटेड फ्रंट है। इस संगठन से कथित तौर पर एक बिशप माबेना के द्वारा संपर्क साधा गया था, जिसके द्वारा हड़ताली श्रमिकों के स्थान पर इसके सदस्यों को स्थायी नौकरी देने का वादा किया गया था।
उनका कहना था, “आपको इसे बेरोजगारी के इस भयानक हालात के सन्दर्भ में देखना होगा, जिसने बड़ी संख्या में आम लोगों को नौकरी पाने के लिए बेताब कर दिया है।” “गरीब लोगों के सामुदायिक संगठनों से संपर्क साधकर, जिनके साथ हमारी एकजुटता का लंबा इतिहास रहा है, उन्हें उन नौकरियों को देने का प्रस्ताव दिया गया, जिसे वे जानते हैं कि वे हमारे साथ सम्बद्ध कर्मचारियों की हैं, कंपनी हमारे बीच में दरार पैदा कर रही है।”
सेबेई का आरोप है कि इसकी चालबाजी के चलते कई लोगों को नौकरियों के लिए व्यग्र होने के लिए प्रेरित किया है, उन्हें यह भरोसा दिलाया जा रहा है कि हड़ताली श्रमिकों पर इस तरह के हमलों के द्वारा वे हड़ताल तोड़ने वालों के रूप में क्लोवर को अपनी सेवाएं प्रदान कर उससे रोजगार हासिल कर सकते हैं। “इसलिए भले ही ये हमले हड़ताल-तोड़ने वालों की स्वतंत्र पहलकदमी थे, इसके बावजूद कंपनी इस प्रकार के कृत्यों को लुभाने के लिए माहौल बनाने के लिए जिम्मेदार है।”
बढ़ती एकजुटता
इस सबके बावजूद, हड़ताल की कार्यवाई के लिए समर्थन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। 8 जनवरी को एक जनसभा में 25 संगठनों ने हड़ताल की कार्यवाई के साथ एकजुटता की शपथ ली है और उपभोक्ताओं से क्लोवर के बहिष्कार के आह्वान को अपना समर्थन दिया है। इसमें विभिन्न सामुदायिक संगठन, अनएम्प्लोयेड पीपुल्स मूवमेंट (यूपीएम), एक फेरी वालों का संघ, कृषि एवं संबद्ध श्रमिक संघ, विभिन्न फिलिस्तीन एकजुटता संगठन, वाम राजनीतिक दल, और कई अन्य ट्रेड यूनियन शामिल हैं।
9 जनवरी को जीआईडब्ल्यूयूएसए और एफएडब्ल्यूयू के एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि, “द साउथ अफ्रीकन फेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (एसएऍफ़टीयू) ने एकजुटता के लिए समर्थन जुटाने का बीड़ा उठाया है, इसमें विशेष तौर पर क्लोवर से सम्बद्ध कंपनियों और उसके कार्यस्थलों से जुड़े ट्रेड यूनियनों को शामिल किया गया है।”
“खास तौर पर, नेशनल यूनियन ऑफ़ मेटलवर्कर्स ऑफ़ साउथ अफ्रीका (एनयूएसएसए) और ट्रांसपोर्ट एक्शन रिटेल एंड जनरल वर्कर्स यूनियन (टीएचओआर) से संपर्क किया जा रहा है। एनयूएमएसए के द्वारा नामपाक और डेयरीपैक; और टीएचओआर के द्वारा उन खुदरा दुकानों जिनके द्वारा क्लोवर उत्पादों का भंडारण और बिक्री की जाती है, को संगठित किया जायेगा।”
सत्तारूढ़ एएनसी की श्रमिक सहयोगी, द कांग्रेस ऑफ़ साउथ अफ्रीकन ट्रेड यूनियंस (सीओएसएटीयू) से संबद्ध, द कमर्शियल, कैटरिंग एंड अलाइड वर्कर्स यूनियन (एसएसीसीएडब्ल्यूयू) ने भी “हडताली श्रमिकों के साथ संभावित एकजुटता समर्थन पर चर्चा करने के लिए बैठक करने पर” अपनी वचनबद्धता व्यक्त की है। एसएसीसीसीएडब्ल्यूयू का कामकाज शॉपराईट और पिक-एन-पे जैसे प्रमुख खुदरा कंपनियों के बीच में है।
इस बीच, सरकार पर नौकरियों के खत्म होने पर लगाम लगाने के लिए हस्तक्षेप करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। क्लोवर द्वारा विलय की शर्तों के कथित उल्लंघनों के मद्देनजर श्रमिक संघों की ओर से सरकार से इसका राष्ट्रीयकरण करने और इस उद्योग को श्रमिकों के प्रबंधन के तहत रखने का आह्वान किया जा रहा है।
गुरूवार 13 जनवरी को, हड़ताली कर्मचारी व्यापार, उद्योग एवं प्रतिस्पर्धा विभाग (डीटीआईसी) के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे, और वहां से प्रिटोरिया में यूनियन बिल्डिंग तक मार्च प्रस्तावित है।
जीआईडब्ल्यूयूएसए और ऍफ़एडब्ल्यूयू ने एक बयान में कहा है, “उनके द्वारा एक मांगपत्र सौंपा जायेगा जिसमें (सीबीसी प्रभुत्व वाले) मिल्को (क्लोवर से) का भंडाफोड़ करने का आह्वान किया जायेगा, क्लोवर श्रमिकों की बहाली और डीटीआईसी से कल-कारखानों की बंदी और छंटनी पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की जाएगी।”
एसएएफटीयू के महासचिव, ज्वेलिनजिमा वावी प्रिटोरिया में कर्मचारियों के साथ प्रदर्शन में शामिल होंगे। केप टाउन के बाहर हड़ताली कर्मचारियों के द्वारा एक अलग से भी प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है। इन प्रदर्शनों में कई नागरिक समाज संगठनों एवं प्रगतिशील आंदोलनों के शामिल होने की उम्मीद है।
साभार : पीपल्स डिस्पैच
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