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लैंसेट पत्रिका में गज़ा में 1,86,000 लोगों की मौत का अनुमान

विश्व की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिकाओं में से एक लैंसेट में प्रकाशित एक पत्र में नरसंहार के आरोपों को ताज़ा कर दिया है जिसमें दावा किया गया है कि गज़ा में 7 अक्टूबर से मारे गए लोगों की वर्तमान अनुमानित संख्या वास्तविक संख्या से बहुत कम है।
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फ़िलिस्तीनी रेड क्रिसेंट दल इजरायली सेना द्वारा मारे गए साथी पैरामेडिक्स हैथम तुबासी और सुहैल हसौना के लिए शोक मना रहे हैं (फोटो: पीआरसीएस)

5 जुलाई को द लैंसेट में प्रकाशित एक पत्र में लिखा गया कि, "इस बात का अनुमान लगाना असंभव नहीं है कि गज़ा में चल रहे मौजूदा एकतरफा युद्ध के कारण 186,000 या उससे भी अधिक मौतें हो सकती हैं।" यह पत्र रशा खतीब, मार्टिन मैककी और सलीम यूसुफ ने लिखा है। "गज़ा पट्टी की 2022 की अनुमानित जनसंख्या 2,375,259 के आधार पर, यह गज़ा पट्टी की कुल आबादी का 7-9 फीसदी होना चाहिए।"

इन चौंकाने वाले आंकड़ों ने इजरायल के खिलाफ नरसंहार के वैश्विक आरोपों को फिर से हवा दे दी है, जिसने 7 अक्टूबर से गज़ा के लोगों के खिलाफ क्रूर युद्ध छेड़ा हुआ है।

"ये आंकड़े सर्वनाशकारी हैं," यह डॉ. घासन अबू सिट्टा का कहना है, जो प्रसिद्ध फ़िलिस्तीनी सर्जन हैं और जिन्होंने 7 अक्टूबर के बाद भड़की हिंसा के दौरान गज़ा में इजरायली आक्रमण के पीड़ितों का ऑपरेशन किया था।

ये आंकड़े तब सामने आए जब इजरायली +972 पत्रिका में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई, जिसमें बताया गया कि इजरायली सेना ने अपने सैनिकों द्वारा फिलिस्तीनियों के खिलाफ अप्रतिबंधित हिंसा को अनिवार्य रूप से मंजूरी दी है। रिपोर्ट में उद्धृत स्रोतों ने बताया कि उन्हें फ़िलिस्तीनियों के खिलाफ अंधाधुंध हिंसा करने की अनुमति दी गई थी। गज़ा में तैनात आईओएफ के एक रिजर्विस्ट ने कहा, "मैंने खुद बिना किसी कारण के समुद्र में या फुटपाथ पर या एक परित्यक्त इमारत पर कुछ गोलियां चलाईं थीं।" "वे इसे 'सामान्य गोलीबारी' के रूप में रिपोर्ट करते हैं, जो 'मैं ऊब गया हूं, एक कोडनेम है इसलिए मैं गोली चलाता हूं।"

ये नवीनतम अनुमान गज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय से आने वाली आधिकारिक मृत्यु दर को उजागर करता है, जिसकी विश्वसनीयता पर ज़ो बाइडेन और साथ ही इजरायली अधिकारियों ने सवाल उठाए हैं, जबकि इजरायली खुफिया एजेंसियों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र और डब्ल्यूएचओ जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी इसे स्वीकार किया है। 19 जून तक, स्वास्थ्य मंत्रालय ने गज़ा पट्टी में 37,396 लोगों के मारे जाने की सूचना दी है।

जारी पत्र में बताए गए 186,000 लोगों के अनुमान और आधिकारिक मृत्यु दर के बीच का अंतर कई कारणों से भी है। इनमें गज़ा पट्टी के बुनियादी ढांचे का व्यापक विनाश शामिल है, जिससे मृत्यु दर का अनुमान लगाने में मुश्किलें आती हैं। आधिकारिक मृत्यु दर में शामिल कई लोग अज्ञात शव हैं - मई तक, 35,091 मौतों में से 30 फीसदी की पहचान नहीं हो पाई थी।

पत्र से पता चलता है कि इस बात की भी संभावना है कि गज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय मौतों की संख्या कम बता रहा है, न कि ज़्यादा बता रहा है, जैसा कि कई आलोचक दावा करते हैं। पत्र में कहा गया है कि, "गैर-सरकारी संगठन एयरवार्स गज़ा पट्टी में घटनाओं का विस्तृत आकलन करता है और अक्सर पाता है कि पहचाने जाने योग्य पीड़ितों के सभी नाम मंत्रालय की सूची में शामिल नहीं हैं।"

एक और तरीका जिससे 37,396 का अनुमान वास्तविकता से बहुत कम हो सकता है, वह है मलबे के नीचे बड़ी संख्या में शवों का दबा होना, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार गज़ा की 35 फीसदी इमारतें इजरायल ने नष्ट कर दी हैं। संयुक्त राष्ट्र का यह भी अनुमान है कि मलबे के नीचे 10,000 से अधिक शव दबे हुए हैं, जिनका आधिकारिक मृत्यु गणना के लिए आकलन नहीं किया जा सका है।

पत्र में बड़ी संख्या में मौतों का भी उल्लेख किया गया है, जो अप्रत्यक्ष रूप से सैन्य हिंसा से संबंधित कारणों से हो सकती हैं। इनमें बीमारी और भूख शामिल है, क्योंकि गज़ा की अधिक से अधिक आबादी विस्थापित हो चुकी है, और उसे मौसम की मार झेलनी पड़ रही है। जैसा कि पीपल्स हेल्थ डिस्पैच ने 28 जून को रिपोर्ट किया था कि, "एकीकृत खाद्य सुरक्षा चरण वर्गीकरण (आईपीसी) द्वारा प्रकाशित सबसे हालिया विश्लेषणात्मक स्नैपशॉट में अनुमान लगाया गया है कि मध्य जून से सितंबर के अंत तक, गज़ा में 96 फीसदी लोगों को गंभीर कुपोषण का सामना करना पड़ेगा या उन्हें न्यूनतम आवश्यक मात्रा में भोजन हासिल करने के लिए अन्य आवश्यक जरूरतों को छोड़ना पड़ेगा।"

पत्र में लिखा गया है कि, "इस युद्ध की तीव्रता, नष्ट हो चुके स्वास्थ्य सेवा ढांचे, भोजन, पानी और आश्रय की गंभीर कमी, लोगों की सुरक्षित स्थानों पर भागने में असमर्थता और UNRWA को मिलने वाली वित्तीय सहायता में कमी को देखते हुए कुल मौतों की संख्या बहुत अधिक होने की संभावना है, जो गज़ा पट्टी में अभी भी सक्रिय बहुत कम मानवीय संगठनों में से एक है।" "हाल के युद्ध में, ऐसी अप्रत्यक्ष मौतें प्रत्यक्ष मौतों की संख्या से तीन से 15 गुना अधिक हैं।"

पत्र के अंत में तत्काल युद्ध विराम तथा मानवीय जरूरतों के वितरण का आह्वान किया गया है।

ाभार: पीपल्स डिस्पैच

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