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रियो डी जेनेरियो में पीपल्स ट्रिब्यूनल ने ठहराया इजराइल को नरसंहार का दोषी

पीपल्स ट्रिब्यूनल में इजराइल के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराने वाली फ़िलिस्तीनी वकील, रूला शदीद ने ब्रासिल डे फाटो से बात करते हुए ज़ायोनी हुकूमत के ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाने की ज़रूरत के बारे में तफ़सील से बताया।
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पीपल्स कोर्ट ने 15 नवंबर, 2024 को फंडिकाओ प्रोग्रेसो, रियो डी जनेरियो (आरजे) में पूंजीवाद के अपराधों पर फ़ैसला सुनाया। फोटो: प्रिसिला रामोस/एमएसटी-आरजे

शुक्रवार, 15 नवंबर को पीपल्स ट्रिब्यूनल द्वारा इजराइल को गज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनी आबादी के खिलाफ नरसंहार का दोषी ठहराया गया। यह फैसला पीपल्स ट्रिब्यूनल ने सुनाया है, जिसने पूंजीवाद के अपराधों की जांच और उस कर फैसला सुनाने के लिए रियो डी जेनेरियो (आरजे) में फंडीसाओ प्रोग्रेसो में न्यायविदों, वकीलों और कार्यकर्ताओं का एक समूह तैयार किया था।

सत्र की अध्यक्षता करने वाले ब्राजीलियन एसोसिएशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स फॉर डेमोक्रेसी (ABJD) के न्यायाधीश सिमोन दलिला नासिफ द्वारा पढ़े गए फैसले में कहा गया कि, "लोगों के नरसंहार के मामले में, केस फाइल में मौजूद साक्ष्य से पता चलता है कि फ़िलिस्तीन के लोग, विशेष रूप से गज़ा में, 76 वर्षों से उपनिवेशवाद निज़ाम के अधीन रहे हैं और 409 दिनों से नरसंहार का सामना कर रहे हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी और अन्य यूरोपीय और पश्चिमी देशों की मिलीभगत से इजराइल हुकूमत द्वारा खुले तौर पर किया जा रहा है।"

"गज़ा में हम जो अमानवीयता देख रहे हैं, वह हमारी कल्पना से परे है। अस्पतालों को यातना के चेम्बरों में बदलना, बमबारी करना और उन घरों और ठिकानों को जलाना, जहां लोगों को सुरक्षा, संयुक्त राष्ट्र की सुविधाएं, स्कूल हैं," जी-20 सोशल पीपल्स कोर्ट में नरसंहार के लिए मामला पेश करने वाली फ़िलिस्तीनी वकील रूला शदीद ने ब्रासिल डे फाटो को उक्त बातें बताई।

रामल्लाह स्थित फ़िलिस्तीनी नागरिक समाज संगठन, फ़िलिस्तीन इंस्टीट्यूट फॉर पब्लिक डिप्लोमेसी (पीआईपीडी) के निदेशक, इस निंदा को क्षेत्र में इजराइल के सैन्य आक्रमण को रोकने के प्रयासों में एक “बहुत महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक कार्रवाई” मानते हैं।

"इसमें दुनिया भर से प्रमुख लोग शामिल हैं। यह इस बात को दिखाने का एक तरीका है कि कैसे अलग-अलग प्रणालियां हैं और इस तथ्य के बावजूद कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने पहले ही कार्रवाई कर दी है, हम अभी भी गज़ा और वेस्ट बैंक में अपने लोगों के खिलाफ नरसंहार देख रहे हैं, और लेबनान, सीरियाई क्षेत्र और अन्य जगहों पर भी लोगों के खिलाफ नरसंहार हो रहा है।"

वकील रूला शदीद उस पीपल्स कोर्ट की सदस्य हैं जिसने गज़ा पट्टी में नरसंहार के लिए बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार की निंदा की थी। फोटो: अयमान अबू रामूज

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक विशेष समिति ने गुरुवार, 14 नवंबर को घोषणा की कि गज़ा पट्टी में इजराइल द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले युद्ध के तरीके "नरसंहार की विशेषताओं के अनुरूप हैं" और इजराइली अधिकारियों ने "सार्वजनिक रूप से ऐसी नीतियों का समर्थन किया है जो फ़िलिस्तीनियों को भोजन, पानी और ईंधन सहित सबसे बुनियादी महत्वपूर्ण जरूरतों से वंचित करती हैं"। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा तेजी से उठाए जा रहे सख्त रुख के बावजूद, शदीद का मानना है कि गज़ा में नरसंहार पूरे मानवाधिकार प्रणाली में बदलाव की जरूरत को दर्शाता है।

"अब मानवाधिकार नहीं बचे हैं, हम यह नहीं कह सकते कि मानवाधिकारों का कानूनी ढांचा वास्तव में काम कर रहा है। इसलिए, इस तरह के और दुनिया भर में तैयार किए जा रहे कई अन्य ट्रिब्यूनल/न्यायाधिकरण आवश्यक हैं, क्योंकि हमें अन्य रास्तों की आवश्यकता है और हमें किसी तरह की जवाबदेही देखने की आवश्यकता है, जिससे नौकरशाही अदालतों में वास्तविक औपचारिकता हो सके, ताकि एक कदम आगे बढ़ा जा सके।"

उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में इजराइल का सैन्य आक्रमण मुख्य रूप से अपने मुख्य सहयोगियों, जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो शक्ति वाले देशों से हासिल वित्तीय और सैन्य समर्थन के कारण कायम है, जो पश्चिम एशिया में अपने सहयोगी के खिलाफ अधिक निर्णायक निर्णय लेने या यहां तक कि क्षेत्र में युद्ध विराम को भी रोकते हैं।

"समय आ गया है कि हम वीटो पर आधारित नियमित नौकरशाही, पितृसत्तात्मक और सत्तावादी व्यवस्था से दूर हो जाएं। दुनिया में पांच ऐसे देश हैं जो किसी भी ऐसे निर्णय को धोखा दे रहे हैं जिससे किसी तरह की जिम्मेदारी, सुरक्षा या स्थिरता मिल सकती है। मुझे यह भी समझ में नहीं आता कि हम इस व्यवस्था को इतने लंबे समय तक कैसे जारी रहने दे सकते हैं।"

शदीद कहते हैं कि यह तथ्य कि इजराइल की आक्रामकता को अंतर्राष्ट्रीय कानूनी प्रणाली द्वारा दंडित नहीं किया जाता है, इसकी सैन्य शक्ति को अन्य लोगों के खिलाफ मोड़ने का एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।

"सूडान, सोमालिया और अन्य जगहों पर अन्य स्थितियों और संघर्षों में पहले भी चेतावनियां दी जा चुकी हैं। जब उत्पीड़कों को एहसास होता है कि कोई जवाबदेही नहीं है, तो अगला हमला या आक्रामकता और भी बड़ा होगा, क्योंकि उन्हें रोकने के लिए कुछ भी नहीं है। हमने अमेरिकी आक्रमण के बाद से इराक में युद्ध देखा है। हमने अफ़गानिस्तान पर हमला देखा। कोई जवाबदेही नहीं। इसलिए यह बहुत खेदजनक है और हमारे लोगों को इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।"

“मुझे उम्मीद है कि ब्राज़ील मुझे आश्चर्यचकित करेगा”

फ़िलिस्तीनी आबादी के खिलाफ इजराइल द्वारा किया गया नरसंहार ब्राजील के जी-20 प्रेसीडेंसी के संचालन के लिए मुख्य चुनौती पेश करता है, जो सोमवार, 18 नवंबर और मंगलवार, 19 नवंबर को रियो डी जेनेरियो (आरजे) में हो रहा है। पीपल्स कोर्ट द्वारा इस अपराध की निंदा ने लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा की सरकार पर नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ ठोस रुख अपनाने का दबाव बढ़ा दिया है।

फ़िलिस्तीनी वकील का कहना है कि, "मुझे उम्मीद है कि ब्राज़ील हमें चौंका देगा, लेकिन मुझे यकीन नहीं है कि ऐसा होगा। इसलिए हम यूनियनों, मज़दूरों और अश्वेत आंदोलन, स्वदेशी आंदोलनों और अन्य लोगों से अपील करते हैं जो उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, जो कि, वैसे भी, इज़राइली क्रूरता से बहुत अधिक प्रेरित है। इज़राइली औपनिवेशिक ताकतें दुनिया भर के कई देशों में हिंसा को बढ़ावा देती हैं और ठीक यही इस्तेमाल ब्राज़ील में भी विभिन्न वंचित लोगों और समूहों के खिलाफ़ किया जा रहा है।"

शदीद का कहना है कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में किए गए सैन्य हमले को पहले ही नरसंहार के रूप में वर्गीकृत किए जाने के बावजूद, ब्राजील सरकार को इस अपराध में सहयोगी माना जा सकता है।

अगस्त में, गैर-लाभकारी संगठन ऑयल चेंज इंटरनेशनल द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इजराइल को आपूर्ति किए जाने वाले कुल कच्चे तेल की सप्लाई में 9 फीसदी के लिए ब्राजील जिम्मेदार है और यह भी बताया गया कि तेल प्रतिबंध से क्षेत्र में युद्ध विराम को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

बुधवार, 13 नवंबर को, फ़िलिस्तीनी संगठनों के नेतृत्व में एक गठबंधन ने COP29 – संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन – में ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की से अनुरोध किया कि वे इजराइल को गैस और ऊर्जा की आपूर्ति बंद कर दें, जैसा कि कोलंबियाई सरकार ने किया है।

"मुझे वाकई उम्मीद है कि ब्राज़ील के लोग, जन-आंदोलन, यूनियनें और लोग, एक ऐसे बदलाव के लिए दबाव बनाएंगे जिससे इस भयानक नरसंहार को रोका जा सके और फ़िलिस्तीनी लोगों को फ़ायदा हो, और इससे उनके अपने लोगों को भी फ़ायदा हो। पिछले पांच हफ़्तों में, हमने घेराबंदी, अविश्वसनीय स्थिति और गज़ा के उत्तरी हिस्से में किसी भी मानवीय सहायता का अंत देखा है, और ऐसा इसलिए है क्योंकि ब्राज़ील और तुर्की जैसे देश, जो नरसंहार के बारे में बहुत स्पष्ट हैं, ने कोई कार्रवाई नहीं की है।"

लिआंड्रो मेलिटो का यह लेख पहली बार पुर्तगाली भाषा में ब्रासिल डे फाटो में प्रकाशित हुआ था।

सौजन्य: पीपल्स डिस्पैच

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