आदिवासियों के ख़िलाफ़ अपराध में एमपी नंबर वन
मध्य प्रदेश में एक आदिवासी युवक पर बीजेपी के एक युवक द्वारा पेशाब करने का अमानवीय वीडियो आपने देखा ही होगा। उसके बाद उसकी गिरफ्तारी, बुलडोज़र कार्यवाही और मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के द्वारा पीड़ित के पैर धोने की तस्वीरें भी आपने देखी होंगी। ऑफिस ऑफ शिवराज चौहान नाम के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो अपराधियों को ज़मीन में गाड़ देंगे। इस अमानवीय अपराध को एमपी बीजेपी ने एक इवेंट में बदल दिया है। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और शिवराज चौहान आदिवासियों की हितैषी दिखने के लिए जोरदार प्रचार कर रहे है। ऐसी छवि बना रहे है जैसे मध्य प्रदेश में अपराधियों की खैर नहीं। जबकि सच्चाई ये है कि मध्य प्रदेश में आदिवासी और दलित समुदाय हर रोज अमानवीयता और अपराध का सामना कर रहे हैं। लेकिन इस कड़वी सच्चाई से नजरें चुराकर भाजपा सरकार और शिवराज चौहान वायरल वीडियो को इवेंट बनाकर उसकी आड़ में छिपना चाहते हैं।
क्या दशमत के पैर धोने से सरकार की ज़िम्मेदारी खत्म हो गई? क्या एक मामले में कार्यवाही से आदिवासियों के खिलाफ अपराध खत्म हो गए? क्या आदिवासियों की सुरक्षा के लिए हर बार वीडियो को वायरल करना होगा? रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अत्याचार झेल रहे आदिवासियों की सुरक्षा के लिए शिवराज चौहान ने क्या किया है? मध्य प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ अपराध की स्थिति क्या है? दलितों के खिलाफ और कुल मिलाकर अपराध की स्थिति क्या है? आइये, पड़ताल करते हैं।
आदिवासियों के ख़िलाफ़ अपराध में 40% बढ़ोतरी
शिवराज चौहान और मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार इस तरह प्रचार कर रही है जैसे उन्होंने आदिवासियों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर पूरी तरह अंकुश लगा दिया है। लेकिन ये नहीं बता रहे हैं कि पिछले पांच साल में आदिवासियों के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी हुई है या कमी आई है? इस एक आंकड़े से शिवराज चौहान के प्रोपगेंडा की सारी पोल खुल जाएगी।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामले में मध्य प्रदेश देश में नंबर वन है। देश में आदिवासियों के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा यानी 2,627 मामले अकेले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। वर्ष 2018 से लेकर 2021 तक मध्य प्रदेश आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामले में नंबर एक पर रहा है और हर साल मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है।
वर्ष 2018 में आदिवासियों के खिलाफ अपराध के 1,868 मामले, वर्ष 2019 में 1,922, वर्ष 2020 में 2,401 और वर्ष 2021 में 2,627 मामले दर्ज किए गए हैं। वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ अपराध के कुल 1868 मामले दर्ज किए गए थे जो वर्ष 2021 में बढ़कर 2627 हो गए। आंकड़े बता रहे हैं कि शिवराज चौहान की भाजपा सरकार में आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामलों में 40% बढ़ोतरी हुई है। आदिवासियों के खिलाफ अपराध के हर रोज 7 मामले दर्ज हो रहे हैं। लेकिन शिवराज चौहान जवाबदेही की बजाय एक अमानवीय अपराध को इवेंट बनाकर आदिवासियों के रक्षक बनने का प्रोपेगैंडा चला रहे हैं।
मध्य प्रदेश में अपराध की स्थिति
मध्य प्रदेश में अपराध और नागरिकों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 से लेकर लगातार अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में अपराध के कुल 2,48,354 मामले दर्ज किए गए थे जो वर्ष 2021 में बढ़कर 3,04,066 हो गए। मध्य प्रदेश अपराध के मामले में देश में चौथे स्थान पर है। पहले स्थान पर महाराष्ट्र, दूसरे पर उत्तर प्रदेश और तीसरे स्थान पर तमिलनाडु है।
हत्या के मामलों में एमपी देश में चौथे स्थान पर है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार एमपी में वर्ष 2021 में हत्या के कुल 2,034 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी हर रोज हत्या के 5 मामले दर्ज हो रहे हैं। अपहरण के 9,511 मामले दर्ज हुए हैं। अपहरण के मामलों में एमपी देश में चौथे स्थान पर है। एमपी में हर घंटे अपहरण का एक मामला दर्ज हो रहा है।
रेप के मामलों में एमपी देश में दूसरे स्थान पर है। एमपी में रेप के 2,947 मामले दर्ज हुए हैं यानी हर रोज रेप के 8 मामले दर्ज हुए हैं।
दलितों के खिलाफ अपराध के कुल 7,214 मामले दर्ज किए गए हैं। दलित के खिलाफ अपराध के मामले में मध्य प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। एमपी में दलितों के खिलाफ अपराध के हर रोज 19 मामले दर्ज हुए हैं।
महिलाओं के खिलाफ अपराध के 30,673 मामले दर्ज हुए हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में एमपी देश में छठे स्थान पर है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के हर घंटे 3 मामले दर्ज हुए हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)
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