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मध्य प्रदेश : बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद बीजेपी विधायक घर तोड़ने पहुंचे !

ग्रामीणों ने दावा किया कि मंगलवार को 25-30 लोगों की भीड़ ने उनके घरों पर हमला किया, जिसमें मुसलमानों और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया।
bulldozer action

मध्यप्रदेश के मऊगंज से भाजपा विधायक प्रदीप पटेल ने सुप्रीमकोर्ट के बुलडोजर न्याय या विध्वंस के निर्देशों की अवहेलना करते हुए 19 नवंबर, 2024 को कानून अपने हाथ में ले लिया।

पटेल ने खटकरी गांव में एक भूखंड से लोगों को बेदखल करने का प्रयास किया, जहां 7 आदिवासी और 13 हिंदू सहित 43 परिवार पीढ़ियों से रह रहे हैं।

हेट डिटेक्टर की रिपोर्ट के अनुसार, पटेल और दक्षिणपंथी समूहों ने आरोप लगाया कि ग्रामीणों, विशेष रूप से मुसलमानों ने महादेव मंदिर से जुड़ी भूमि पर अतिक्रमण किया है और उन्हें बेदखल करने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि राजस्व न्यायालय ने मंदिर की 9 एकड़ 27 दशमलव भूमि से बेदखल करने के पक्ष में फैसला सुनाया था, फिर भी प्रशासन ने आदेश का पालन नहीं किया।

इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता अनिल तिवारी ने स्पष्ट किया कि 9 एकड़ 27 दशमलव भूमि मंदिर की नहीं है क्योंकि मंदिर का निर्माण राजस्व विभाग की भूमि पर बहुत बाद में हुआ था। यह सरकारी भूमि है।

राजस्व न्यायालय द्वारा बेदखली के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के ध्वस्तीकरण दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए समय मांगा तो भाजपा विधायक पटेल कथित तौर पर नफरती नारों के बीच घरों को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर लेकर गांव पहुंचे।

इससे गांव में हिंसक झड़पें, आगजनी और पथराव की घटनाएं हुईं। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने इलाके में कर्फ्यू लगाते हुए पटेल को गिरफ्तार कर लिया।

इस बीच, ग्रामीणों ने दावा किया कि मंगलवार को 25-30 लोगों की भीड़ ने उनके घरों पर हमला किया, जिसमें मुसलमानों और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया।

पुलिस ने घटना में शामिल 30 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

मऊगंज के जिला मजिस्ट्रेट अजय श्रीवास्तव ने बताया कि राजस्व न्यायालय के आदेश के बाद सभी परिवारों को बेदखली के नोटिस दिए गए थे। प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया है और उसके अनुसार कार्रवाई की है।

भाजपा विधायक के दावों को दरकिनार करते हुए अधिवक्ता अनिल तिवारी ने कहा कि दक्षिणपंथी समूह यह प्रचार कर रहे हैं कि यह एक मुस्लिम गांव है, जो सच नहीं है।

उन्होंने कहा, "यह मिलीजुली आबादी वाला गांव है और 30 से अधिक परिवारों को पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत जमीन दी गई है। और कुछ घर सरकारी जमीन पर बने हैं।"

केवल अवैध रूप से बने घरों को बेदखल करने का नोटिस जारी करने के बजाय, राजस्व न्यायालय ने पूरे गांव को बेदखल करने का आदेश दिया और जिला प्रशासन ने बाद में सभी को बेदखली का नोटिस दिया।

उन्होंने कहा, "चूंकि कई लोगों के पास लीगल लैंड टाइटल हैं, इसलिए हमने राजस्व न्यायालय के बेदखली नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है और यह विचाराधीन है।"

उन्होंने कहा कि पूरा हंगामा राजनीतिक लाभ के लिए मुस्लिम विरोधी नैरेटिव बनाने के लिए झूठ पर बनाया गया था और मीडिया जो भी दिखा रहा है वह रिकॉर्ड से भिन्न है।

साभार : सबरंग 

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