सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ एकजुटता दिखाने निकली 'महिला एकता यात्रा'
फ़ानूस बन के जिस की हिफ़ाज़त हवा करे
वो शम्अ' क्या बुझे जिसे रौशन ख़ुदा करे
ये शेर सुंदर नगरी की औरतों ने अपने प्रदर्शन के बारे में बताते हुए सुनाया। पूर्वी दिल्ली का सुंदर नगरी इलाक़ा इन दिनों नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) और एनआरसी के विरोध को लेकर सुर्खियों में है। यहां महिलाएं बीते लगभग एक महीने से रात-दिन धरने पर बैठी हैं और सरकार से सीएए और एनआरसी को वापस लेने की मांग कर रही हैं।
मुहब्बत का दिन यानी वैलंटाइन्स डे, 14 फ़रवरी को देश के अलग-अलग इलाक़ों से आने वाली महिलाओं ने दिल्ली में 24 घंटे धरने प्रदर्शन पर डटी महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए 'महिला एकता यात्रा' की शुरुआत की, तो सबसे पहले उन्होंने सुंदर नगरी के एपीजे अब्दुल कलाम पार्क को चुना।
इस यात्रा में शामिल अमृता जोहरी ने न्यूज़क्लिक को बताया, "हमारी इस यात्रा का मक़सद धरने पर बैठी महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाना, उनका हौसला बढ़ाना है। इसके साथ ही हम सरकार को ये भी बताना चाहते हैं कि ये लड़ाई सिर्फ़ मुस्लिम समुदाय की नहीं है और ना ही किसी धर्म, जाति या लिंग विशेष की है, ये लड़ाई सभी की है।"
सुंदर नगरी में महिला एकता यात्रा में शामिल महिलाओं ने अपनी बातें कहीं, धरने पर बैठी महिलाओं की बातें सुनी। कई भाषाओँं में संविधान की प्रस्तावना का पाठ हुआ। फिर गीत, संगीत और नारेबाज़ी के ज़रिये सीएए-एनआरसी को संविधान विरोधी बताया गया और इसे वापस लेने की मांग की गई।
सुंगर नगरी की आइशा कहती हैं, "सरकार का कहना है कि सीएए नागरिकता देने का क़ानून है, लेने का नहीं। लेकिन फिर इसमें सभी धर्मों को नागरिकता देने की बात क्यों नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 को मिलाकर देखें तो हमारा संविधान हमें बराबरी का अधिकार देता है, जबकि यह क़ानून हमारे साथ भेदभाव करता है। सरकार कहती है कि एनपीआर पहले से चलता आ रहा है, फिर अब इसमें माता- पिता की जानकारी संबंधी नए सवाल जोड़ने की क्या ज़रूरत पड़ गई। हम सब समझते हैं कि सरकार हमारे साथ क्या करना चाहती हैं।"
आइशा के आंदोलन और उनकी बातों के साथ एकजुटता दिखाते हुए महिला एकता यात्रा में शामिल सीपीआई लीडर और एक्टिविस्ट एनी राजा ने कहा, "महिलाएं सब समझती हैं, ये आंदोलन हिंदू-मुस्लमान का नहीं है, ये लड़ाई संविधान को बचाने की है। 'मोशा' (मोदी-शाह) को ये बताने की है कि हम डरने वाले नहीं हैं, हारने वाले भी नहीं हैं। हम संघर्ष करेंगे और जीत हासिल करेंगे।"
इस दौरान समाजिक कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज ने महिलाओं की हिम्मत को सलाम करते हुए कहा, "महिलाओं के इस आंदोलन ने पूरे देश में एक नया जोश भर दिया है, दिल्ली के शाहीन बाग़ से लेकर लखनऊ के घंटाघर तक महिलाओं ने एक नया इतिहास लिख दिया है, जिससे सरकार डर गई है। ये महिलाओं की ताक़त है जो घर को संवारने के साथ-साथ देश संवारने की कला भी जानती हैं।"
यहां पुलवामा सैनिकों की शहादत को याद करते हुए एक प्रतीकात्मक स्थल बनाकर श्रद्धांजलि भी दी गई। महिलाओं ने सरकार से इन जवानों के परिवारजनों के लिए न्याय की मांग भी की।
सुंदर नगरी से महिलाओं की एकता यात्रा का अगला पड़ाव चांद बाग़ था, जिससे पहले ही पुलिस ने गगन सिनेमा के पास इनके कारवां को रोक दिया। पुलिस ने आगे लॉ एंड ऑर्डर का हवाला देते हुए अगले आदेश तक इन महिलाओं को वहीं इंतज़ार करने का निर्देश दिया।
लगभग एक घंटे बाद जब महिलाओं की ओर से वकील आईं और उन्होंने पुलिस के रोके जाने पर सवाल खड़े किए, तब जाकर पुलिस ख़ुद महिलाओं के दल को चांद बाग़ की ओर ले कर गई। पुलिस से जब पूछा गया कि आख़िर महिलाओं को क्यों रोका गया तो पुलिस के पास इसका कोई वाजिब कारण नहीं था सिवाय इसके कि यह क़ानून-व्यवस्था का मामला है।
इसके बाद चांद बाग़ में धरने पर बैठी औरतों से एकता यात्रा में शामिल महिलाओं ने मुलाकात की और उनकी हौसला अफ़ज़ाई की। यहां भी लगभग एक महिले से महिलाओं का सीएए और एनआरसी के खिलाफ संघर्ष जारी है।
प्रदर्शन की आयोजक तब्बसुम ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, "हम महीने भर से अपने हक़ के लिए सड़कों पर बैठे हैं, देश के संविधान की आत्मा को बचाने के लिए बैठे हैं। हम सरकार को ये बताना चाहते हैं कि हम सीएए और एनआरसी को नहीं मानते ना ही हम कोई काग़ज़ दिखाएंगे। पहले आधार बनवाया, फिर नोट बदलने की लंबी लाइनों में खड़ा कर दिया, अब एक बार फिर पुरखों के काग़ज़ के लिए हमें परेशान करने की कोशिश हो रही है।"
यहां भी संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई और देशभक्ति के नारे लगाए गए। महिला एकता यात्रा में आए चारूल और विनय ने अपने क्रांतिकारी गानों से महिलाओं के जज़्बे को सलाम किया। एक के बाद एक महिलाओं ने सीएए के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किए और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की।
अपने अंतिम पड़ाव पर ये महिला एकता यात्रा सीलमपुर की प्रदर्शनकारी महिलाओं तक पहुंची और उनके साथ एकजुटता दिखाई। यहां महिलाओं में भारी जोश देखने को मिला। सभी ने सीएए को एक काला क़ानून बताते हुए, मौजूदा सरकार पर एक विशेष धर्म और एजेंडे को थोपने की बात कही।
ग़ौरतलब है कि महिला एकता यात्रा तीन दिनों का एक प्रस्तावित कार्यक्रम है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आई महिलाएं दिल्ली के अनेक प्रदर्शन स्थलों पर जाकर महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाएंगी। ये यात्री पहले दिन सुंदर नगरी से चलकर तीसरे दिन शाहीनबाग़ में समाप्त होगी।
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