चंद्रमा पर इनसान की वापसी, अमेरिका और चीन की स्थायी मानव केन्द्र स्थापित करने की योजना
वाशिंगटन: नासा अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को 2024 के अंत तक चंद्रमा की सतह पर वापस भेजने की योजना बना रहा है। यह आने वाले दशकों में अंतरिक्ष के अन्वेषण की व्यापक योजना की शुरूआत भर होगी क्योंकि अमेरिका और चीन दोनों की चंद्रमा पर स्थायी मानव उपस्थिति स्थापित करने की योजना है।
आपका पहला सवाल हो सकता है: अभी क्यों?
संक्षिप्त उत्तर चंद्रमा पर पानी की अपेक्षाकृत हाल की खोज है। लेकिन गहरा और शायद अधिक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष एजेंसियां पृथ्वी के उपग्रह पर सीमित संसाधनों को देखते हुए इस उपलब्धि को कैसे हासिल करेंगी।
द कन्वरसेशन वीकली की इस कड़ी में, हम दो लोगों से चंद्रमा पर स्थायी मानव उपस्थिति के रास्ते में विभिन्न देशों के सामने आने वाली चुनौतियों पर बात करते हैं। इन लोगों में एक ग्रह वैज्ञानिक है जो चंद्रमा के भूविज्ञान का अध्ययन करते हैं, और एक अंतरिक्ष कानून के जानकार वकील जो अंतरिक्ष नीति और भू-राजनीति का अध्ययन करते हैं।
जब अपोलो अंतरिक्ष यात्री 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में पहली बार चंद्रमा की चट्टानों को मिट्टी लाए थे, तो वैज्ञानिकों को नमूनों में पानी या किसी भी उपयोगी चीज का कोई संकेत नहीं मिलने से निराशा हुई। चाँद बंजर जगह लग रहा था।
कुछ दशकों में इस दिशा में तेजी से प्रगति हुई और दो संयोगी घटनाओं ने चंद्रमा के भविष्य को बदल दिया - निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में अचानक उछाल और चंद्रमा की सतह पर गड्ढों में जमे हुए पानी की खोज। अचानक, चंद्रमा पर एक आधार स्थापित करना न केवल वांछनीय था, बल्कि संभव भी था।
‘‘यदि आप मनुष्यों के साथ अंतरिक्ष की खोज करना चाहते हैं, तो पानी सबसे महत्वपूर्ण वस्तुओं में से एक बन जाता है,’’ यूके में ओपन यूनिवर्सिटी में ग्रह विज्ञान और अन्वेषण के प्रोफेसर महेश आनंद बताते हैं, ‘‘हमें जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता है, लेकिन पानी इसके अलग-अलग घटकों में विभाजित हो सकता है, जैसे ऑक्सीजन, जिसकी हमें सांस लेने के लिए आवश्यकता होती है। लेकिन चंद्रमा पर कई अन्य संसाधन हैं, और जैसा कि आनंद बताते हैं, ‘‘पानी वह जगह है जहां से कहानी शुरू होती है, लेकिन यह वहां खत्म नहीं होती है। आप जहां हैं, वहीं संसाधनों का उपयोग वास्तव में चंद्र अन्वेषण के क्षेत्र को खोल रहा है।
यूएस आर्टेमिस कार्यक्रम, जिसने 2022 में अपना पहला लॉन्च किया था, चंद्रमा की सतह के साथ-साथ इसके चारों ओर कक्षा में एक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की योजना की शुरुआत है।
इन चंद्र महत्वाकांक्षाओं में अमेरिका और उसके सहयोगी अकेले नहीं हैं - चीन की भी 2030 से पहले चंद्रमा पर स्थायी उपस्थिति स्थापित करने की योजना है। और दोनों समूह स्पष्ट रूप से इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए चंद्र संसाधनों का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं।
यह सब कानूनी रूप से कैसे काम करता है यह एक खुला प्रश्न है जिस पर अभी संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बहस हो रही है, लेकिन किताबों पर कुछ समझौते पहले से ही हैं।
“अंतरिक्ष के बारे में बिना किसी नियम के वाइल्ड वेस्ट के रूप में सोचना मजेदार है। लेकिन ऐसा नहीं है। हमारे पास बाहरी अंतरिक्ष संधि है,’’
अमेरिका में मिसिसिपी विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर मिशेल हैनलोन बताते हैं कि इस संधि पर अधिकांश देशों ने हस्ताक्षर किए हैं और राष्ट्रों को अंतरिक्ष में कैसे कार्य करना चाहिए, इसके लिए रूपरेखा तैयार की है।
हैनलॉन कहते हैं, ‘‘बाहरी अंतरिक्ष संधि के मुख्य प्रावधान कहते हैं कि अंतरिक्ष हर किसी के लिए है।’’
‘‘कोई भी अंतरिक्ष में किसी भी क्षेत्र का दावा नहीं कर सकता है, यह सभी के द्वारा अन्वेषण और उपयोग के लिए स्वतंत्र है, और चंद्रमा और सभी खगोलीय पिंडों का उपयोग विशेष रूप से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।’’
अंतरिक्ष कानून के उच्च विचारधारा वाले आदर्श तेजी से मानवता की वास्तविकता के साथ टकराव की ओर बढ़ रहे हैं - और हमारे सभी भू-राजनीति और प्रतिस्पर्धी हितों को हमारे साथ ला रहे हैं। चंद्रमा के भविष्य को लेकर बड़े वैज्ञानिक, कानूनी और नैतिक सवालों पर राष्ट्र कैसे नेविगेट कर रहे हैं, यह जानने के लिए पूरा एपिसोड सुनें।
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