मुक्केबाजी में निकहत, पंघाल और नीतू को स्वर्ण , सागर को रजत पदक
बर्मिंघम: मुक्केबाजी रिंग में भारत के लिये राष्ट्रमंडल खेलों में रविवार का दिन स्वर्णिम रहा जिसमें मौजूदा विश्व चैम्पियन निकहत जरीन , स्टार मुक्केबाज अमित पंघाल और नीतू गंघास ने पीले तमगे अपने नाम किये जबकि सागर को रजत पदक मिला ।
शानदार फॉर्म में चल रही 26 साल की निकहत ने लाइट फ्लाईवेट (48-50 किग्रा) स्पर्धा में उत्तरी आयरलैंड की कार्ले मैकनॉल पर एकतरफा फाइनल में 5-0 से जीत दर्ज की।
पंघाल ने पिछले राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में मिली हार का बदला चुकता करते हुए पुरूष फ्लाईवेट वर्ग में जबकि नीतू गंघास ने पदार्पण में ही दबदबा बनाते हुए स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाले। वहीं सुपर हैवीवेट (92 प्लस) वर्ग में सागर अंकों के आधार पर इंग्लैंड के ओरी डेलिशियस से 0 . 5 से हार गए और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा ।
पंघाल (48-51 किग्रा) को चार साल पहले गोल्ड कोस्ट में इंग्लैंड के ही एक प्रतिद्वंद्वी से इसी चरण में हार मिली थी लेकिन इस बार 26 साल के मुक्केबाज ने अपनी आक्रामकता के बूते घरेलू प्रबल दावेदार मैकडोनल्ड कियारान को 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता।
पंघाल काफी तेजी से मुक्के जड़ रहे थे जिससे इस दौरान मैकडोनल्ड के आंख के ऊपर एक कट भी लग गया जिसके लिये उन्हें टांके लगवाने पड़े और खेल रोकना पड़ा।
अपनी लंबाई का इस्तेमाल करते हुए मैकडोनल्ड ने तीसरे राउंड में वापसी की कोशिश की लेकिन एशियाई खेलों के चैम्पियन ने उनके सभी प्रयास नाकाम कर दिये।
पंघाल ने सेमीफाइनल में जाम्बिया के तोक्यो ओलंपियन पैट्रिक चिनयेम्बा के खिलाफ वापसी करते हुए जीत दर्ज की थी जो उनके लिये ‘टर्निंग प्वाइंट’ रही।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सबसे कठिन मुकाबला रहा और ‘टर्निंग प्वाइंट’ भी। मैंने पहला राउंड गंवा दिया था लेकिन अपना सबकुछ लगाकर वापसी कर जीत हासिल की। ’’
ब्रिटिश प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ रणनीति के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘वह मुझसे काफी लंबा था और मुझे काफी आक्रामक होना पड़ा ताकि मुक्का मारने के लिये उसकी हाथों के अंदर जा सकूं। यह रणनीति कारगर रही। मेरे कोच ने बढ़िया काम किया क्योंकि हमने रणनीति बनायी और मैंने वैसा ही रिंग में किया।’’
विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता पंघाल ने कहा, ‘‘मैंने पहले दो राउंड जीतने के लिये अच्छा किया। मुझे लगा कि वह अंतिम राउंड जीत गया लेकिन मैं तब तक उससे काफी आगे जा चुका था। पर वह काफी अच्छा प्रतिद्वंद्वी था। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘इससे मेरा आस्ट्रेलिया (गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेल) में फाइनल में हारने का बदला चुकता हो गया। मैं जानता था कि यह काफी चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि मैं इंग्लैंड में उसके ही मुक्केबाज से लड़ रहा था। लेकिन जज निष्पक्ष और सटीक रहे। ’’
वहीं सबसे पहले रिंग में उतरी नीतू ने महिलाओं के मिनिममवेट (45-48 किग्रा) वर्ग के फाइनल में विश्व चैम्पियनशिप 2019 की कांस्य पदक विजेता रेस्जटान डेमी जेड को सर्वसम्मत फैसले में 5-0 से पराजित किया।
राष्ट्रमंडल खेलों में पदार्पण में ही नीतू ने गजब का आत्मविश्वास दिखाया और फाइनल में भी वह इसी अंदाज में खेली जैसे पिछले मुकाबलों में खेली थीं।
मेजबान देश की प्रबल दावेदार के खिलाफ मुकाबले का माहौल 21 साल की भारतीय मुक्केबाज को भयभीत कर सकता था लेकिन वह इससे परेशान नहीं हुईं।
नीतू अपनी प्रतिद्वंद्वी से थोड़ी लंबी थीं जिसका उन्हें फायदा मिला, उन्होंने विपक्षी के मुक्कों से बचने के लिये पैरों का अच्छा इस्तेमाल किया।
उन्होंने पूरे नौ मिनट तक मुकाबले के तीनों राउंड में नियंत्रण बनाये रखा और विपक्षी मुक्केबाज के मुंह पर दमदार मुक्के जड़ना जारी रखते हुए उसे कहीं भी कोई मौका नहीं दिया।
नीतू ने तेज तर्रार, ‘लंबी रेंज’ के सटीक मुक्कों से प्रतिद्वंद्वी को चारों खाने चित्त कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं। मुझे सांस भी नहीं आ रहा।’’
उनके पिता हरियाणा विधानसभा में कर्मचारी हैं। भारत के मुक्केबाजी में ‘मिनी क्यूबा’ कहलाये जाने वाले भिवानी की नीतू ने कहा, ‘‘मेरे माता-पिता मेरी प्रेरणा रहे हैं और मेरा स्वर्ण पदक उनके लिये ही है। ’’
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