ओडिसा: जबरन जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रही आदिवासी महिला नेता को किया नज़रबंद
ओडिशा प्रदेश स्थित सुंदरगढ़ में 23 अगस्त एक प्रकार से दुर्भाग्यपूर्ण और विडम्बना भरे दिन के रूप में ही याद किया जाएगा। क्योंकि इस दिन एक ओर, इस क्षेत्र से गए भारतीय हॉकी के उन सभी आदिवासी महिला खिलाड़ियों, जिन्होंने इस बार के ओलम्पिक में देश का नाम उंचा किया, का ज़ोरदार राजकीय स्वागत किया गया, वहीं दूसरी ओर इसी जिला अंतर्गत राउरकेला में आदिवासी महिला नेत्री अंजली सोरेन को उनके सभी कार्यकर्त्ताओं के साथ नज़रबंद कर दिया गया. वे ओड़िसा झामुमो कि प्रदेश अध्यक्ष और झारखण्ड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बड़ी बहन हैं.
बताया जाता है कि 23 अगस्त रक्षाबंधन के दिन रांची में अपने भाई हेमंत सोरेन को राखी बांधकर राउरकेला के होटल रेजेन्सी इन पहुंची थीं. वहां से अपनी पार्टी के नया प्रादेश नेताओं व कार्यकर्त्ताओं के साथ राजगांगपुर में जिंदल और ओसीएल कंपनियों के लिए ज़मीन अधिग्रहण को लेकर होनेवाली जनसुनवाई में जाना था. वे होटल से निकलने ही वाली थीं कि कई गाड़ियों में पहुंची ओड़िसा पुलिस ने उन्हें निकलने से रोक दिया. प्रशासन के कहा कि उनके जाने से वहां ‘कानून व्यवस्था’ के लिए संकट खड़ा हो जाएगा इसलिए अगले आदेश तक उन्हें यहीं नज़रबंद रहना होगा.
अंजलि सोरेन और उनके पार्टी नेताओं ने प्रशासन को काफी समझाया कि वे किसी विरोध प्रदर्शन के लिए नहीं बल्कि वहां रह रहे अपने लोगों के लोगों के बुलावे पर जा रहें हैं. लेकिन प्रशासन ने एक नहीं सुनी और पुरे होटल की पुलिस घेरेबंदी कर किसी को भी वहां से नहीं निकलने दिया.
अपने नेताओं की नज़रबंदी की खबर सुनकर वहां पहुंचे झामुमो कार्यकर्त्ताओं ने ओडिसा सरकार और प्रशासन विरोधी नारे लगते हुए राउरकेला के बिरसा मुंडा चौक पर नवीन पटनायक का पुतला जलाकर प्रतिवाद प्रदर्शन किया.
झारखण्ड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी मीडिया में जारी बयान में अपनी पार्टी नेता व बहन की गिरफ्तारी की निंदा की. इसे लोकतान्त्रिक व्यवस्था के खिलाफ बताते हुए कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से जन सुनवाई में भाग लेने जा रहे उनकी पार्टी नेताओं व कार्यकर्त्ताओं की गिरफ्तारी से जन भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है.
ख़बरों के अनुसार पूर्व निर्धारित समय के अनुसार राजगांगपुर और कुतर ब्लॉक के कुकुड़ा प्रशासन ने जनसुनवाई रखी थी. जिसमें सुंदरगढ़ कलक्टर द्वारा जिंदल और ओसीएल इंडिया लिमिटेड की लौंजीबर्ना खान के विस्तार के सम्बन्ध में अलंडा पंचायत में 164.82 एकड़ तथा कुकुड़ा पंचायत में 162.96 एकड़ भूमि अधिग्रहण को लेकर स्थानीय ज़मीन मालिकों से उनकी राय सलाह जानाने के लिए बुलाया गया था.
लेकिन ज़मीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे स्थानीय आदिवासी व मूलवासी समुदाय के सैकड़ों ग्रामीणों ने जाम लगाकर जनसुनवाई के लिए पहुंचे अधिकारीयों को रोक दिया. बाद में उसी स्थान पर प्रशासन ने बैठक की कारवाई शुरू करते हुए उपस्थित ग्रामीणों के समक्ष सरकार की ओर से प्रस्तावित ज़मीन अधिग्रहण के सन्दर्भ में तैयार रिपोर्ट पेश कर लोगों से अपना मत रखने को कहा. जिसे सभी ग्रामीणों ने एक स्वर से उक्त रिपोर्ट के प्रस्तावों को खारिज कर जल जंगल ज़मीन पर आदिवासियों के अधिकारों की बात उठाते हुए किसी भी सूरत में ज़मीन देने से साफ़ मना कर दिया. कारण पूछे जाने पर सबों ने क्षोभ भरे लहजे में कहा कि इसके पहले भी विकास के नाम पर विभिन्न परियोजनाओं के लिए उनकी ज़मीनें लेकर सबको नौकरी और समुचित मुआवजा देने का आश्वासन दिया गया था जो आज तक पूरा नहीं हुआ.
वहां मौजूद ज़मीन देने के कुछ समर्थकों और विरोधियों में हुई आपसी तकरार से थोड़ी देर के लिए अफरा तफरी भी हो गयी थी लेकिन समझा बुझाकर मामला ठंडा कर लिया गया. बाद में प्रशासन एकतरफा ढंग से जन सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने की घोषणा करके वहाँ से चलता बना.
उधर प्रशासन ने दो दिनों तक अंजलि सोरेन समेत सभी झामुमो नेताओं को राउरकेला के होटल रीजेंसी इन में लगातार दो दिनों तक नज़रबंद रखकर वहां से निकलने नहीं दिया. जिसके खिलाफ नज़रबंद नेताओं ने वही से अपने वीडियो वायरल करते हुए ओड़िसा सरकार और प्रशासन पर तानाशाही का रवैया अपनाने का आरोप लगाया. बार बार जनसुनवाई स्थल पर जाने देने की मांग भी की लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी. इस बीच कई स्थानों पर झामुमो कार्यकर्त्ताओं ने सड़कों पर प्रतिवाद प्रदर्शित कर नज़रबंद नेताओं की अविलम्ब रिहाई की मांग करते हुए मुख्यमंत्री और सरकार का पुतला जलाया.
25 अगस्त को राउरकेला होटल में नज़रबंद झामुमो ओड़िसा राज्य झामुमो अध्यक्ष अंजलि सोरेन की विशेष अपील पर उन्हें अपने सहयोगियों के साथ पुलिस के घेरे में राउरकेला महानगर निगम उपायुक्त के पास जाने की अनुमति मिली. जहां उन्होंने डीसी को अपना ज्ञापन प्रेषित करते हुए उक्त क्षेत्र में ज़मीन अधिग्रहण को लेकर की जा रही जन सुनवाई को तकाल रद्द करने की. ज्ञापन के जरिये यह भी कहा कि – पुरखों के ज़माने से ही हमलोग अपनी छोटी सी ज़मीन पर चास करके अपने परिवार का पेट पाल रहें हैं. अगर हमारी ये ज़मीन भी चली जायेगी तो हमारे बच्चों और परिवार का भरण पोषण हम कैसे करेंगे. सरकार तो हमसे ज़मीन ले लेगी और इसके बदले रोज़गार और मुआवजा भी नहीं देगी. तब हम कैसे जियेंगे ? इसी दिन पुलिस ने सभी नज़रबंद नेताओं रिहा कर दिया.
दूसरी ओर, 25 अगस्त को ही राजगांगपुर ब्लॉक के केसरामाल और झगरपुर ग्राम पंचायत में 12 प्लाटून अर्ध सैन्य बल और कई दर्जन पुलिस फ़ोर्स के साथ प्रशासन के लोग वहाँ फिर से जन सुनवाई करने पहुचे. इस बार भी स्थानीय आदिवासी और मूलवासी समुदायों के लोगों ने रास्ता जाम कर उन्हें रोक दिया. ग्रामीणों के प्रतिवाद के नेतृत्व कर रहे राजगांगपुर विधायक ने सरकार और कंपनियों के प्रस्तावित ड्राफ्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इस रिपोर्ट को बनानेवाली एजेंसी ने यहाँ की ज़मीनी हकीक़त जाने बगैर और परियोजना से प्रभावित इलाके के लोगों से मिलकर वास्तुस्थिति को सही ढंग से समझे बिना ही सारा रिपोर्ट तैयार किया है. इसलिए इस रिपोर्ट को रद्द कर देनी चाहिए. जाम स्थल पर – विकास के नाम पर आदिवासी ज़मीनों की लूट बंद करो, आदिवासी विरोधी नवीन पटनायक हाय हाय ... जैसे नारे लगाए जा रहे थे.
प्रदेश की राजधानी भुवनेश्वर में ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम की प्रदेश इकाई ने जिंदल और ओसीएल निजी कंपनियों के लिए जबरन ज़मीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे ग्रामीणों के समर्थान में जा रहे झामुमो नेताओं की नज़रबंदी का कड़ा विरोध किया है. फोरम राज्य संयोजक टीम के राधाकान्त सेठी ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से पूछा है कि यह विकास का कैसा नाटक है कि जब निजी कंपनिया देश के हॉकी खेल और इसकी टीमों के सहायतार्थ स्पांसर नहीं बनती हैं तो वे अपनी सरकार की ओर से स्पांसरशिप देकर हॉकी के उत्थान नायक बन जाते हैं. लेकिन दूसरी ओर, धरातल पर इन्हीं निजी कंपनियों के लिए वे आदिवासी मूलवासियों की ज़मीनें ज़बरन छीनने पर आमादा हैं.
उक्त बातों में भी दम है. क्योंकि पिछले दिनों पुरे देश ने भी देखा है कि किस तरह से ओड़िसा की सरकार ने विकास के नाम पर निजी कंपनी व कॉर्पोरेट परस्त विकास का मॉडल लागू करने के लिए विवादों सवालों के घेरे में रही है. जबरन ज़मीन अधिग्रहण का विरोध करने पर कलिंगनगर और पोस्को विरोधी आंदोलन समेत कई स्थानों पर आदिवासियों मूलवासियों और किसानों पर गोलियां चलवाई .
ओलम्पिक के समय भारतीय हॉकी के संरक्षण उत्थान नायक के रूप में ओड़िसा सरकार और उसके मुख्यमंत्री जी चर्चा में आये थे
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