आदिवासी महिलाओं से मारपीट, गर्भ में बच्चे की मौत, नहीं हुई एफआईआर
आदिवासी संगठनों ने महिलाओं से छेड़छाड़ और मारपीट को लेकर बडवानी में रैली निकाली जिसमें भारी संख्या में आदिवासी महिलाएं शामिल हुईं। आरोप है कि 20-25 दबंगों ने 31 दिसंबर को
देवड़ा गांव में एक आदिवासी परिवार पर हमला कर दिया जहां लोग नया साल मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे। दबंगों ने धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए वहां मौजूद लोगों और महिलाओं से मारपीट की। इस हमले में एक महिला के गर्भ में आठ महीने के बच्चे की मौत हो गई। गर्भपात होने के बावजूद पुलिस-प्रशासन द्वारा आरोपियों पर कार्यवाही नहीं की गई है और न ही एफआईआर दर्ज की गई है।
आदिवासी संगठन का कहना है कि पीड़ित महिला के परिवार एवं आदिवासी संगठनों द्वारा की गई कई शिकायतों के बावजूद भी पुलिस द्वारा हमलावारों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई| संगठनों का कहना है कि आदिवासी परिवार के घर में घुस कर हिंसक हमला करने के बावजूद बड़वानी पुलिस गुंडों और दबंगों को संरक्षण दे रहा है। साथ ही संगठन ने कहा कि इस तरह की गुंडागर्दी और गुंडों का बचाव आदिवासियों और महिलाओं के संवैधानिक एवं मौलिक अधिकारों पर सीधा हमला है| पीड़िता लीलाबाई के लिए न्याय की मांग करते हुए महिलाओं ने सरकार से सवाल पूछा है कि आखिर आदिवासी महिलाओं की सरकार कहां है?
इस घटना में पुलिस की उदासीनता को शर्मनाक बताते हुए महिलाओं ने कहा कि धर्म के बहाने किसी के घर में घुस कर महिलाओं के साथ छेड़–छाड़ करना, गर्भवती महिला के साथ बदसलूकी कर उसके अजन्मे शिशु की हत्या करना धर्म नहीं अत्याचार है। कोई भी धर्म इस प्रकार की गुंडागर्दी को छूट नहीं देता है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि एक तरफ शिवराज सरकार कहती है कि कोई हमारी भांजियों पर हमला नहीं कर सकता वहीं दूसरी तरफ इस तरह गर्भवती महिला पर हमला करने वाले आरोपियों को बचा रही है।
महिलाओं ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की और साथ ही शिकायत करने पर पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने को लेकर दोषी पुलिस पर कार्रवाई करने की मांग की। घटना की शिकायत करने पर पीड़ित परिवार को लगातार धमकियां मिल रहीं हैं।
मुख्यमंत्री एवं प्रमुख सचिव के नाम ज्ञापन प्रशासन के माध्यम से आदिवासी एकता परिषद्, जय आदिवासी युवा शक्ति, आदिवासी छात्र संगठन एवं जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा सौंपा गया |
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